Jharkhand: ...तो सांस लेने के लिए भी नहीं मिलेगा ऑक्सीजन
Ranchi. विकास कार्य में डूबा मनुष्य अब हरियाली से दूर जा रहा है। पेड़-पौधों को काटकर कंक्रीट की बड़ी इमारतों और सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।
रांची, जागरण संवाददाता। विकास कार्य में डूबा मनुष्य अब हरियाली से दूर जा रहा है। पेड़-पौधों को काटकर कंक्रीट की बड़ी इमारतों और सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। पेड़ काटने के अनुरूप पौधरोपण नहीं हो रहा है। आलम यह है कि समय रहते मनुष्य नहीं चेता, तब वह दिन दूर नहीं जब सांस लेने के लिए लोगों को ऑक्सीजन भी नहीं मिलेगा।
उक्त बातें पर्यावरणविद डॉ. सुरेश अग्रवाल ने डंगराटोली में आयोजित पब्लिक डायलॉग ऑन एयर पॉल्यूशन एंड हेल्थ रिस्क विषय पर परिचर्चा के दौरान कही। सुरेश अग्रवाल ने कहा कि लोग एक कदम भी पैदल चलना नहीं चाहते। कल-कारखानों और स्पंज की फैक्ट्रियों से निकलने वाली रासायनिक पदार्थ से भी सांस की बीमारियां हो रही हैं।
वायु प्रदूषण की समस्या से शरीर में इम्युनिटी घट रही है, जिससे निपटने के लिए रोजाना योग करने की आवश्यकता है। मौके पर डॉ. घनश्याम ने कहा कि सभी तरह की प्रदूषण से सबसे अधिक नुकसान समाज के निचले तबके को हो रहा है। अमीर व्यक्ति अपनी सांस की समस्या पैसे की बदौलत दूर कर सकता है, लेकिन गरीब इसके लिए क्या करेगा, यह बड़ा सवाल है।
किसी भी राजनीति दलों के पास प्रदूषण रोकथाम का एजेंडा नहीं
उन्होंने कहा कि यह घोर विडंबना है कि किसी भी राजनीति दल को इस बात की चर्चा करते नहीं देखा जाता है। उनके पास प्रदूषण दूर करने के लिए किसी ठोस एजेंडे पर काम नहीं किया जा रहा है। मानव जाति के समक्ष आज जितनी सुविधा है, उतनी दुविधा बढ़ रही है। परिचर्चा में फैजल अनुराग, नितिश प्रियदर्शी, समाज सेविका आशा प्रवीण महतो समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।
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