बेटी ने जोड़ी मां-बाप के टूटे रिश्ते की डोर, एक हुए 14 साल से अलग रह रहे पति-पत्नी; जानें पूरा मामला
तीन साल तक सुनवाई के बाद अदालत ने तलाक की अर्जी तो खारिज कर दी लेकिन पति-पत्नी अलग रहने लगे। बेटी के भरण पोषण के लिए महिला ने 2008 में याचिका दाखिल की।
रांची, [मनोज कुमार सिंह]। वर्तमान समय में रिश्तों को बचाए रखने में बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, शायद यही वजह है कि अदालत भी यही प्रयास करती है कि पति-पत्नी को समझा बुझा कर में एक-दूसरे से मिला दिया जाए। सिविल कोर्ट की महिला जज के साथ-साथ एक बेटी ने भी अपने मां-बाप को मिलाने के लिए अथक प्रयास किया। दोनों की मेहनत रंग लाई और 14 साल से अलग रह रहे पति-पत्नी आखिरकार एक हो गए।
अदालत भी यह मानती है कि गुस्से में पति-पत्नी द्वारा उठाया गया कदम एक परिवार को पूरी तरह से बर्बाद करने के लिए काफी है। अलग होने पर उनके बच्चों की किसी तरह परवरिश तो हो जाती है, लेकिन बचपन से ही मां-बाप की लड़ाई देखकर उनका रिश्तों से भरोसा डगमगा जाता है।
तलाक की अर्जी खारिज होने के बाद भी रह रहे थे अलग
दरअसल 2004-05 में रांची के ही रहने वाले पति-पत्नी में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। बात इतनी बढ़ गई कि पति ने अपनी पत्नी से तलाक लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। इस दौरान इनकी एक बेटी हुई। तीन साल तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने तलाक की अर्जी तो खारिज कर दी लेकिन पति-पत्नी अलग रहने लगे। बेटी के भरण पोषण के लिए महिला ने 2008 में कुटुंब न्यायालय में याचिका दाखिल की।
जब मामला जज प्रेमलता त्रिपाठी के पास पहुंचा तो उन्होंने बड़ी संजीदगी से इस मामले को सुना। सुनवाई के दौरान उन्हें लगा कि पति-पत्नी को मिलाने की कोशिश की जा सकती है तो उन्होंने कई बार अलग से इन दोनों से बातचीत की। बेटी का हवाला देकर एक साथ आने का आग्र्रह किया। वहीं 14 साल की बेटी के भी अथक प्रयास के बाद उसके मां-बाप एक हो गए। डालसा के सचिव फहीम किरमानी ने पारिवारिक कारणों से इनका नाम नहीं प्रकाशित करने का आग्र्रह किया है।