दामोदर हुई निर्मल, अन्य नदियों के बहुरेंगे दिन!
Damodar River. 14 साल में योजनाबद्ध तरीके से लड़ी गई लड़ाई का सुपरिणाम है कि औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त हुई दामोदर नदी लोगों में नई उम्मीद जगा रही है।
रांची, आनंद मिश्र। सामूहिक संकल्प और साझा प्रयास साथ चलें तो दामोदर जैसी प्रदूषित नदी भी अपने दामन पर लगे दाग को धो सकती है। दामोदर नई उम्मीद जगा रही है। झारखंड की सर्वाधिक प्रदूषित यह नदी अब लगभग पूरी तरह से औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त हो चुकी है। दामोदर में अब जो थोड़ा बहुत प्रदूषण दिखता है वह नगरीय प्रदूषण है। इस प्रदूषण से मुक्ति के लिए भी अभियान जारी है।
दामोदर के परिणाम से उत्साहित संस्थाओं ने अब स्वर्णरेखा नदी को लेकर भी इसी तरह का अभियान शुरू किया है। स्वयं सेवी संस्था युगातंर भारती द्वारा दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए छेड़े गए अभियान का परिणाम है कि नदी के प्रवाह ने गति पकड़ी है और इसकी पीएच वैल्यू सुधरी है। जबकि कुछ वर्ष पहले तक खलारी से सिंदरी तक इस नदी में पानी नहीं सिर्फ छाई और राख बहती थी, जानवर तक इसका पानी पीने में कतराते थे।
दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने के अभियान की शुरुआत 2004 में हुई थी। युगांतर भारती से कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों और आम लोगों को साथ लेकर जनजागरूकता के साथ-साथ नदी में प्रदूषण फैला रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया, जो जन अभियान बन गया। गंगा दशहरा के दिन दामोदर महोत्सव भी शुरू किया गया, वह भी एक साथ 35 स्थानों पर। डीवीसी, सीसीएल, बीसीसीएल, बोकारो स्टील सहित राज्य सरकार के उपक्रमों के समक्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर धरने जैसे काम भी हुए।
युगांतर भारती के संरक्षक और राज्य सरकार के मंत्री सरयू राय ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ कई दौर की वार्ता की। मंत्री के स्तर से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निर्देश दिया गया। इसके परिणाम भी दिखे। तमाम इकाईयों ने दूषित पानी को पाउंड में जमा कर री-साइकिल करना शुरू किया और शून्य डिस्चार्ज तक स्थिति को पहुंचा दिया। फिलहाल सिर्फ बोकारो स्टील के एक भाग से अम्लीय डिस्चार्ज हो रहा है, इसका हल निकालने की बात भी फरवरी माह तक की जा रही है।
झारखंड की जीवनदायनी माने जाने वाली स्वर्णरेखा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए भी जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा। युगांतर भारती ने इसके लिए पांच फेज का एक एक्शन प्लान तैयार किया है। पहला फेज रांची के नगड़ी से धुर्वा तक चलेगा। यहां चावल मिलों का प्रदूषित पानी नदी में जाता है। यह पानी धुर्वा डैम को भी प्रदूषित कर रहा है। दूसरा चरण धुर्वा से गेतलसूद तक चलेगा।
यह इस नदी का सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र माना जाता है। तीसरा चरण गेतलसूद से चांडिल तक चलेगा यहां मुरी में हिंडाल्को प्लांट सहित कुछ स्पंज आयरन प्लांट अपना प्रदूषित पानी नदी में छोड़ते हैं। चौथा चरण चांडिल से गालूडीह बराज तक चलेगा। यहां जमशेदपुर और आदित्यपुर की फैक्ट्रियों की गंदगी नदी में बहा दी जाती है। पांचवा चरण गालूडीह से नदी के अंतिम छोर तक चलेगा।
प्रदूषण पर हो कड़ाई : नदी पर कृपा करने की जरूरत नहीं है, नदियां खुद अपने को साफ कर लेती हैं। लगाम प्रदूषण फैलाने वालों पर लगानी होगी। ऐसे प्रदूषण के लिए आम नागरिक से कहीं अधिक मेधावी मस्तिष्क जिम्मेदार है। जरूरत ऐसे लोगों को आईना दिखाने की है। -सरयू राय, संरक्षक युगांतर भारती