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दलबदल मामले में गवाही पूरी, अब चलेगी बहस

स्पीकर कोर्ट में हाजिर हुए मंत्री रणधीर सिंह और आवास बोर्ड के अध्यक्ष जानकी यादव -गाड़ी

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 10:17 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2018 10:17 AM (IST)
दलबदल मामले में गवाही पूरी, अब चलेगी बहस
दलबदल मामले में गवाही पूरी, अब चलेगी बहस

स्पीकर कोर्ट में हाजिर हुए मंत्री रणधीर सिंह और आवास बोर्ड के अध्यक्ष जानकी यादव -गाड़ी खराब नहीं होती तो झाविमो के सातवें विधायक भी भाजपा में होते

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-झाविमो कभी नियमों पर नहीं चला, आलमीरा में बंद रहा पार्टी का संविधान : जानकी यादव

राज्य ब्यूरो, रांची : झाविमो छोड़ भाजपा में शामिल हुए छह विधायकों पर चल रहे दलबदल मामले में गवाही की प्रक्रिया पूरी हो गई। अंतिम दो गवाहों में शुक्रवार को प्रतिवादी पक्ष (भाजपा) की ओर से शुक्रवार को राज्य के कृषि मंत्री रणधीर सिंह और झारखंड राज्य आवास बोर्ड के अध्यक्ष जानकी प्रसाद यादव स्पीकर कोर्ट में हाजिर हुए। पिछले 11 महीने से प्रतिवादी पक्ष की ओर से चली आ रही गवाही के दौरान कुल 53 गवाहों के बयान स्पीकर कोर्ट में रिकार्ड किए गए। अब इस प्रकरण में बहस की प्रक्रिया शुरू होगी। प्रतिवादी पक्ष के अन्य गवाहों की ही तरह शुक्रवार को भी दोनों गवाहों ने झाविमो का विलय भाजपा में हो जाने का दावा ठोंका, जिसका वादी पक्ष (झाविमो) के अधिवक्ता ने पुरजोर विरोध किया और दोनों पर झूठी गवाही का आरोप मढ़ा।

अपनी गवाही के दौरान रणधीर सिंह और जानकी यादव ने दावा किया कि अगर ऐन मौके पर विधायक प्रकाश राम की गाड़ी खराब नहीं होती तो वे भी आठ फरवरी 2015 को रांची के दलादली में हुई बैठक में शामिल होते और आज भाजपा का हिस्सा होते। उन्होंने यहां तक दावा किया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलकर वापस रांची लौटने के बाद झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने स्वयं झाविमो के गिरते जनाधार को देखते हुए भाजपा में पार्टी के विलय का प्रस्ताव दिया था। दलादली की बैठक की अध्यक्षता बाबूलाल को ही करनी थी, परंतु प्रदीप यादव ने उन्हें आने नहीं दिया।

नेताओं ने वादी पक्ष के अधिवक्ताओं के सवालों का जवाब देते हुए दो टूक कहा कि झाविमो में पार्टी के प्रधान महासचिव का रवैया तानाशाह वाला था। छड़वा डैम, हजारीबाग में महाधिवेशन के दौरान यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि बाबूलाल लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और विधानसभा चुनाव में वे झाविमो से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे, परंतु उन्होंने किसी की भी परवाह न की और दो-दो जगहों से किस्मत आजमाई और हार गए। इसके बाद पार्टी का ग्राफ क्रमश: गिरता गया। पार्टी के कई कद्दावर झाविमो छोड़ कर चले गए। ऐसे में स्थायी सरकार और राज्यहित को देखते हुए झाविमो का विलय विधिसम्मत तरीके से भाजपा में कर दिया गया।

वादी पक्ष के अधिवक्ता के यह पूछने पर कि जब पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बैठक की अध्यक्षता नहीं की, फिर यह विलय गैरकानूनी है। इस पर जानकी यादव ने कहा, जब बाबूलाल नहीं आए, सर्वसम्मति से बैठक की अध्यक्षता का दायित्व उन्हें (जानकी) सौंपा गया और सर्वसम्मति से पार्टी का विलय हो गया। अधिवक्ता ने इस पर पार्टी के संविधान की विभिन्न धाराओं की दुहाई दी, नेताओं ने इसपर आपत्ति जताई, कहा कि झाविमो कभी नियमों पर नहीं चला, संविधान हमेशा आलमीरा में बंद रहा। पार्टी में लोकतंत्र चलता है, न कि राजतंत्र, पार्टी जो चाहेगी, वह नहीं हो सकता, कार्यकर्ताओं की भी अहमियत होती है।

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इनसेट

खूब चले शब्दों के वाण रणधीर सिंह की तल्खी

-आपने (वादी पक्ष के अधिवक्ता राजनंदन सहाय) स्पीकर पर दबाव डालकर हमारे गवाहों की गवाही नहीं होने दी।

-सोनिया गांधी ने भी नहीं ली बाबूलाल मरांडी की सुध। अब इधर-उधर तांक-झांक रहे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से आज भी मिलते हैं बाबूलाल।

-बाबूलाल ने कहा था, प्रदीप यादव को मना लो, हम विलय को तैयार।

-आप अधिवक्ता हैं तो मैं भी मंत्री हूं। जितना आप चिल्लाएंगे, मैं भी चिल्लाऊंगा।

-कोर्ट का सम्मान करते हैं, वकीलों का नहीं।

-न खाता, न बही, झाविमो में जो प्रदीप यादव कहे, वही सही।

-राजनीति में क्या, शाम में समर्थन दिया, सुबह वापस। छह विधायकों के मिलने से और मजबूत हुई भाजपा।

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जानकी यादव के बोल

-बाबूलाल को बुलाइये, गीता की शपथ दिलाइए कि भाजपा में झाविमो की विलय की बात उन्होंने कही थी अथवा नहीं।

-भाजपा में शामिल होकर सवा तीन करोड़ जनता का मान बढ़ाया। राज्य को स्थायित्व दिया।

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