फसल बीमा और सब्सिडी से निखरेगी गुलाब की खेती
राज्य सरकार के द्वारा राची और आसपास में किसानों को फूलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, राची : राज्य सरकार के द्वारा राची और आसपास में किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए नेशनल बागवानी मिशन (एनएचएम) के तहत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। अब तक किसान गुलाब की खेती करने से कतराते रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि फूल की फसल का बीमा नहीं होना। राज्य सरकार या केंद्र सरकार के द्वारा ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे फसल खराब होने पर किसानों को मुआवजा मिल सके। इसके साथ ही खेती शुरू करने के लिए मिलने वाली सब्सिडी भी काफी कम है। औसत 50 डिसमिल में गुलाब की खेती करने के लिए 15-20 लाख तक का खर्च आता है। जो किसी भी किसान के लिए एक बार में लगाना काफी मुश्किल है।
गुलाब के फूलों का फसलों की तरह हो बीमा::
बीएयू के विभागाध्यक्ष उद्यान डॉ. केके झा बताते हैं कि विश्वविद्यालय के द्वारा किसानों को उन्नत किस्म के गुलाब के पौधों की जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही संस्थान के द्वारा किसानों को खेती से पहले सात दिन और 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद किसानों को खेती शुरू करने से लेकर गुलाब तैयार होने तक हर कदम पर गाइडलाइन भी दिया जाता है। अगर जरूरत होती है तो केवीके या विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक खेत में पहुंचकर किसानों का मार्गदर्शन करते हैं। बीएयू के द्वारा लगातार गुलाबों की क्वालिटी, मैनेजमेंट और बेहतर परफॉरमेंस के लिए रिसर्च किया जा रहा है। मगर सरकार को गुलाब की खेती करने वालों की पूंजी की सुरक्षा के लिए फूलों का बीमा करने की सुविधा देनी चाहिए। इससे फसल खराब होने के डर से फूलों की खेती नहीं करनेवाले किसान भी अपना रूझान इस तरफ बनाएंगे। जल्द रिवाइज होगी सब्सिडी रेट:::
नेशनल बागवानी मिशन (एनएचएम), भारत सरकार के निदेशक विजय कुमार बताते हैं कि किसानों को प्रोटेक्टेट एरिया में फूलों की खेती करने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार के द्वारा प्रोत्साहन की पूरी व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए खेती के लिए आवेदन करने वाले किसानों को पॉलीहाउस बनाने के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। किसानों को रियायत 2014 के रेट से दी जाती थी, इससे किसान सरकार से शिकायत करते थे। ऐसे में उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने रेट को फिर से रिवाईज कर दिया है। मगर कोरोना संक्रमण के कारण इसे अभी लागू नहीं किया जा सकता है। जल्द की इसे लागू किया जाएगा। गुलाब के अलावा एनएचएम के तहत और भी कई तरह की फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसका राज्य के अलावा बाहर भी माग है। राज्य के 24 जिलों में से 17 में एनएचएम और 7 जिलों में एनएचएम की तर्ज पर ही राज्य सरकार के द्वारा भी योजना चलाई जा रही है। इसका लाभ भी किसानों को मिल रहा है।
-------------क्या कहते हैं मजदूर --------------
कोरोना के कारण हमारा काम छूट गया था। खाने तक की दिक्कत हो गयी तो हमने वापस आने की ठान ली। अब वापस आने के बाद समझ नहीं आ रहा है कि क्या करेंगे। सरकार से कुछ मदद मिलती को अच्छा होता।
रामबली बेदिया, प्रवासी कामगार
अपने यहा काम नहीं मिला तब मजबूरी में दूसरे राज्य में काम करने गए। अब बहुत कष्ट के बाद वापस गाव आ सकें हैं। अब वापस दूसरे राज्य कमाने जाने की हिम्मत नहीं है।
पुनिल बेदिया, प्रवासी मजदूर
कोरोना में जितना कमाया नहीं उससे ज्यादा गवा दिया। अब तो वापस जाने के लिए सोचकर भी डर लगता है। अब सरकार से मदद मिले तो अपने जिले मे ही काम करेंगे।
चंद्रमोहन साडिल, मजदूर
घर में पैसे की कमी थी तो शहर में काफी काम खोजा मगर न काम मिला न तो पैसा। मजबूरी में गाव के कुछ लोगों के साथ पैसा कमाने के लिए दूसरे राज्य में गये। वापस तो आ गये हैं अब समझ नहीं आ रहा है गुजर कैसे होगा।
कृष्णा मुंडा, मजदूर