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आदिम जनजातियों के समक्ष अस्तित्व का संकट, तेज से सिमट रही आबादी

झारखंड में आदिवासियों की आबादी तेजी से सिमट रही है। इनसे इनके अस्तित्व पर आए संकट की आहट महसूस की जा सकती है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 04:35 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 06:00 PM (IST)
आदिम जनजातियों के समक्ष अस्तित्व का संकट, तेज से सिमट रही आबादी
आदिम जनजातियों के समक्ष अस्तित्व का संकट, तेज से सिमट रही आबादी

रांची, प्रदीप सिंह। झारखंड में आदिवासियों की आबादी तेजी से सिमट रही है। इनसे इनके अस्तित्व पर आए संकट की आहट महसूस की जा सकती है। सरकारी आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। 1951 में की गई जनगणना के मुताबिक झारखंड की कुल आबादी का 35.8 प्रतिशत आदिवासी थे। 2011 के ताजा सर्वे में ये दस प्रतिशत तक घट गए। इनकी जनसंख्या सिमटकर 26.11 फीसद ही रह गई।

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आदिवासियों में भी आदिम जनजाति की आबादी के घटने की गति काफी ज्यादा है। राज्य सरकार ने इन्हें विलुप्त हो रही जनजातियों की श्रेणी में रखा है। इनके लिए कई कल्याणकारी योजनाएं भी सरकार चला रही है। इन्हें सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है। 2001 में झारखंड में आदिम जनजाति की आबादी 3,87,000 थी। 2011 की जनगणना में इनकी जनसंख्या घटकर 2,92,000 हो गई।

पलायन एक बड़ा कारण
- रोजी-रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में भारी संख्या में पलायन।
-कई परिवार वापस नहीं लौटते। जिन राज्यों में गए वहीं बस गए।
-असम, पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में झारखंड के आदिवासी बड़ी संख्या में।
-अंडमान में बसा है रांची गांव। झारखंड के आदिवासियों की है आबादी।
-सुदूर इलाकों में चिकित्सा समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं की किल्लत।

मुख्यमंत्री की पहल पर चिन्हित किए जा रहे कारण
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने शासनकाल में जनजातीय समुदाय की बेहतरी के लिए जहां कई कई योजनाएं लागू की वहीं उन्होंने आदिवासियों की आबादी कम होने की वजहें जानने की भी कवायद की है। इसके लिए ट्राइबल एडवाइजरी कौंसिल की एक उपसमिति बनाई गई है। उपसमिति ने जनजातीय बहुल संताल परगना का दौरा कर लिया है। जल्द हीं समिति अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौपेगी। अध्ययन में वैसे सारे बिंदु शुमार किए गए हैं जो आदिवासियों की घटती आबादी के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं।

रघुवर सरकार ने आरंभ की कल्याणकारी योजनाएं
-महिलाओं को दो दुधारु गाय 90 फीसद सब्सिडी पर। शेष 10 प्रतिशत राशि उत्पाद से होने वाली आय से कटेगी।
-आदिवासी बहुल गांवों में आदिवासी विकास समितियों का गठन। गांवों में पांच लाख तक के विकास कार्य समिति करेगी।
-मुर्गीपालन से जोड़ा जा रहा जनजातीय समुदाय को। अंडा समीपवर्ती स्कूल में उपयोग होगा मिड डे मील में।
-तसर व लाह उत्पादन से जोड़ा जा रहा जनजातीय समुदाय को।
-आदिवासी समुदाय के बीच प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति ज्योति योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, मिशन इंद्रधनुष, उज्जवला योजना, उजाला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और सौभाग्य योजना प्रभावी।


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