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Weekly News Roundup Ranchi: तीसरी आंख भी नहीं ढूंढ पा रही चोर, पढ़ें पुलिस-प्रशासन की हफ्तेभर की हलचल

Weekly News Roundup Ranchi. राजधानी रांची में पुलिस प्रशासन का नियम कायदा सब यहीं बनता है लेकिन अपराधियों को अब पुलिस से भी भय नहीं रह गया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 03:26 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 03:26 PM (IST)
Weekly News Roundup Ranchi: तीसरी आंख भी नहीं ढूंढ पा रही चोर, पढ़ें पुलिस-प्रशासन की हफ्तेभर की हलचल
Weekly News Roundup Ranchi: तीसरी आंख भी नहीं ढूंढ पा रही चोर, पढ़ें पुलिस-प्रशासन की हफ्तेभर की हलचल

रांची, [फहीम अख्तर]। रांची वैसे तो झारखंड की राजधानी है, लेकिन अब यह क्राइम कैपिटल भी बनता जा रहा है। पुलिस प्रशासन का नियम कायदा सब यहीं बनता है, लेकिन वह भी ठीक से लागू नहीं हो पाता है। अपराधियों को अब पुलिस से भी भय नहीं रह गया है। वे भी बेधड़क अपराध करने पर आमादा हैं। कहीं भी किसी को गोली मार देते हैं, किसी भी दुकान को लूट लेते हैं। आइए जानते हैं पुलिस-प्रशासन की सप्ताह भर की हलचल...

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चोरी का खुलासा, चोर पहेली

कुछ दिनों पहले की बात है। शहर में सोने-चांदी का व्यवसाय करनेवाले लोगों पर जानलेवा हमला किया गया। लॉ एंड ऑर्डर को लेकर सवाल खड़े हो गए। चैंबर भी सड़कों पर उतर गया। मांग उठी, पुलिस हमलावरों की जल्द पहचान करे। इस कवायद में इतिहास में दफन एक मुद्दा फिर चर्चा के केंद्र में आ गया। मेन रोड स्थित आनंद ज्वेलर्स में 12 अक्टूबर, 2013 को चोरी हुई। छह वर्ष गुजर गए।

सबसे बड़ी चोरी का राज अब तक नहीं खुला। पांच एसएसपी बदल गए। चार थानेदारों का तबादला हो गया। चोर कहां गए, पता नहीं। लगभग 12.25 करोड़ के गहनों की चोरी हुई थी। 11.75 करोड़ के गहने बरामद भी हो गए। चोर कौन? यह पहेली ही बना रहा। पुलिस ने तब दावा किया था कि चोरी हुए गहने दुकान की छत के ऊपर पानी टंकी से बरामद किए। चोर अब भी कहीं गहरे पानी में पैठ बैठा है।

सवालों के घेरे में थानेदार

राजधानी से सटे मांडर के मुड़मा निवासी झामुमो नेता सुबोधनंद तिवारी हत्याकांड चर्चा के केंद्र में है। मामले में डीआइजी एवी होमकर से शिकायत की गई है। सवालों के घेरे में थानेदार को ही खड़ा कर दिया गया है। हत्याकांड में पुलिस पर लापरवाही और आरोपित को मदद पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। मांडर थानेदार राणा जंग बहादुर सिंह तथा सर्किल इंस्पेक्टर शांता प्रसाद के सरकारी व पर्सनल मोबाइल नंबर खंगालने की मांग की गई है। सीसीटीवी की जांच की गुहार लगाई गई है।

सुबोधनंद के बड़े भाई रविंद्रनंद तिवारी ने आवेदन दिया है। उच्च स्तरीय जांच का अनुरोध किया है। मामला सत्ताधारी दल के नेता की हत्या से जुड़ा है। लिहाजा पुलिस हर-छोटे बड़े घटनाक्रम को लेकर सतर्क है। 21 दिसंबर, 2019 की रात करीब नौ बजे बाइक सवार अपराधियों ने हत्या की घटना को अंजाम दिया था। मुड़मा चौक पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। सवाल अनसुलझे हैं।

कानून के लंबे हाथ

कहावत है, कानून के हाथ लंबे होते हैं। रांची में पिछले कुछ वर्षों से कानून के हाथ हकीकत में लंबे हो गए हैं। एसएसपी अनीश गुप्ता के कार्यकाल में क्राइम कंट्रोल का नया फार्मूला खोज निकाला गया है। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि एसएसपी के कमान संभालने के बाद से शहर में हर दिन औसतन आठ अपराधी गिरफ्तार हुए हैं। पिछले वर्ष कुल 2248 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।

82 हथियार भी बरामद किए गए। इनमें एके-47, एके-56 सहित कई घातक हथियार शामिल रहे। वर्ष 2019 के जनवरी से लेकर दिसंबर तक 23 उग्रवादियों को दबोचा गया है। रांची जिले में हत्या की घटनाएं पिछले पांच वर्षों में वर्ष 2019 में सबसे कम हुईं। 152 हत्याएं हुई, 11 डकैती हुई है। इन सबके बावजूद रांची पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं। जाहिर है, आगे भी उठते रहेंगे।

पुलिस को भी सुरक्षा की चिंता

रांची में पुलिस वालों पर हमला कोई नई बात नहीं। अराजक तत्व लगातार घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं। ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं हो पा रही। इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है। अब वरिष्ठ अधिकारी तक सुरक्षित नहीं हैं। हर दिन कोई न कोई घटना हो रही। मुआवजे के लिए प्रदर्शन के दौरान सहजानंद चौक पर एक सीनियर अधिकारी भीड़ के गुस्से का शिकार हो गए।

पिछले वर्ष 11 नवंबर को रांची यूनिवर्सिटी के पास युवकों ने ट्रैफिक जवान निरंजन कुमार से मारपीट की। 11 सितंबर, 2019 को रांची के अनगड़ा में उपद्रवी लोगों ने अनगड़ा थानेदार और पुलिसकर्मियों की पिटाई कर दी। 10 सितंबर, 2019 को रांची के प्लाजा चौक पर चालान काटने को लेकर दो युवकों ने एएसआई की पिटाई कर दी। ऐसी घटनाओं की पूरी फेहरिस्त है। सवाल उठता है कि अगर पुलिस ही सुरक्षित नहीं रहेगी, तो व्यवस्था कैसे बनेगी।


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