शहर में सज गया है पटाखों का बाजार, अपर बाजार से मोरहाबादी हुआ शिफ्ट
दिवाली को लेकर रांची में 4 जगह पटाखों का बाजार सज चुका है। शहर वासी आज से खुदरा खरीदारी कर सकेंगे। 420 दुकानदारों को बिक्री का लाइसेंस दिया गया है।
रांची, जासं। दिवाली आई है तो पटाखा बिकेंगे ही, लेकिन इस बार पटाखा अपर बाजार में नहीं, मोरहाबादी मैदान में बिक रहे हैं। सुरक्षा कारणों से इस बार जिला प्रशासन से पटाखों की थोक मंडी अपर बाजार से मोरहाबादी में स्थानांतरित कर दिया है। सो, बहुत से बाहर से आने वाले लोग परेशान हो रहे हैं। पहले वे अपर बाजार में अपने चिरपरिचित दुकान जाते हैं, वहां खबर मिलती है कि दुकान मोरहाबादी मैदान में चली गई है।
खुदरा खरीदारी के लिए जयपाल सिंह स्टेडियम से लेकर कई अन्य जगहों पर खरीदी कर सकते हैं। खुदरा के लिए आए थे सात सौ आवेदन इस बार खुदरा पटाखा बेचने के लिए जिला प्रशासन को करीब 670 आवेदन आए थे, लेकिन प्रशासन ने मात्र सवा चार सौ को ही लाइसेंस निर्गत किया। अभी भी लोग लाइसेंस के लिए परेशान हो रहे हैं और जिला प्रशासन कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।
फुटकर खरीदारी के लिए जाएं जयपाल सिंह स्टेडियम वैसे शहर में कई जगह फुटकर पटाखों की बिक्री चार नवंबर से शुरू हो जाएगी। मोरहाबादी में भी आज से खुदरा पटाखों की खरीदारी की जा सकेगी। ग्राहकों को लुभाने के लिए बाजार सज चुका है। इस बार पिछली बार की अपेक्षा पटाखों की कीमत में लगभग 20 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। अनार की शुरूआत 150 रुपये प्रति डिब्बे से हो रही है।
वहीं अच्छी क्वालिटी की चकरी आपको 200 रुपये डिब्बे के हिसाब से मिल जाएगी। फुलझड़ी की कीमत 150 प्रति डिब्बे से शुरू होती है। 200 रुपये प्रति डिब्बा रॉकेट की कीमत है। ज्यादा ध्वानि वाले पटाखे 50 रुपये प्रति पीस से मिल रहे हैं।
एक दर्जन दुकानें सजी हैं शहर में : करीब एक दर्जन दुकानें थोक पटाखा बेचती हैं। ये सभी मोरहाबादी मैदान में चली गई हैं। पटाखा व्यवसायी मनोज चौधरी कहते हैं कि यहां उच्च क्वालिटी के पटाखे ही मिलते हैं। बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम के मुख्य द्वार के पास सजी दुकानों में हर तरह के पटाखे हैं। फूलझड़ी से लेकर अनार, चकरी सब कुछ। पटाखा व्यवसायी विवेक साहू कहते हैं कि हम उच्च गुणवत्ता वाले बेचते हैं।
दमकल की व्यवस्था नहीं : एक दर्जन पटाखा की दुकानें सजी हैं। यहां थोक भंडार है। इसलिए काफी संख्या में यहां पटाखें हैं, पर दमकल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। दो-चार घंटे के लिए यहां दमकल आकर खड़ा रहता है, फिर चला जाता है जबकि पटाखों का भंडार यहां दिन रात है। पटाखा दुकानदारों का कहना है कि यहां चौबीस घंटे दमकल रहना चाहिए। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।