ज्रेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि, विभाग दे रहा क्लीन चिट
Jharkhand News ऊर्जा विभाग ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को जवाब भेजा। कहा कि कोई दोष सिद्ध नहीं है।
रांची, [आशीष झा]। orruption in Jharkhand झारखंड में भ्रष्टाचार ने किस तरह से जड़ें फैला रखी हैं और इसके पोषक तत्व कैसे सक्रिय हैं इसका जीता जागता उदाहरण ऊर्जा विभाग है। ऊर्जा विभाग ने एक ऐसे व्यक्ति को क्लीनचिट दे दी है जिसके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का मुख्यमंत्री ने ही आदेश दिया था। मुख्यमंत्री इस विभाग के मंत्री भी हैं। एसीबी ने जांच की तो प्रारंभिक तौर पर ज्रेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाणित भी हुए लेकिन विस्तृत जांच के पूर्व विभाग ने निरंजन कुमार को क्लीन चिट दे दी।
आश्चर्यजनक तौर पर विभागीय मंत्री के रूप में क्लीन चिट देने से संबंधित फाइल पर सीएम से कोई मंतव्य नहीं लिया गया है। अब मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने इस संदर्भ में ऊर्जा विभाग से जानकारी मांगी है ताकि एसीबी की विस्तृत जांच शुरू हो सके। दरअसल, प्राथमिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद निरंजन कुमार के खिलाफ विस्तृत जांच करने के लिए एसीबी ने निगरानी विभाग से अनुमति मांगी थी। प्रक्रिया यही है और इसके बगैर जांच शुरू नहीं हो सकती।
ऐसे तमाम मामलों में निगरानी विभाग भी संबंधित विभाग से मंतव्य मांगता है। इस मामले में ऊर्जा विभाग में एक कमेटी बनाई गई, जिसने निरंजन कुमार के पक्ष में अपना मंतव्य दे दिया। अब विभागीय सचिव भी बदल चुके हैं और मामला तूल भी पकड़ रहा है तो एक बार फिर से विभाग का मंतव्य आना तय है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने पूछा है कि क्लीन चिट संबंधी मंतव्य पर विभागीय मंत्री की सहमति है अथवा नहीं।
गलत तरीके से दिया था टेंडर, पद की भी नहीं थी अर्हता
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद एसीबी ने प्रारंभिक जांच में निरंजन कुमार के विरुद्ध लगे आरोपों को सत्य पाया था। जांच में पता चला था कि निरंजन कुमार ने जाली बैंक गारंटी के बावजूद हैदराबाद की कंपनी को गलत तरीके से टेंडर दिया और उस फाइल को दबाए रखा।
वर्ष 2019 में जब नए निदेशक अशोक कुमार ने पदभार ग्रहण किया, तो इसका खुलासा हुआ। इसके बाद रांची के डोरंडा थाने में कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं, जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्रेडा के लिए कोई आइएएस, आइएफएस या टेक्निकल अफसर ही निदेशक बनने योग्य है, इसके बावजूद निरंजन कुमार बिना योग्यता के पहले निदेशक बने।
निरंजन कुमार पर क्या हैं आरोप
इन्होंने सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इन पर सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने तथा विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा की शर्तें बदलने का आरोप है।
- भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के वरीय पदाधिकारी निरंजन कुमार पर आरोप है कि वे बिना अर्हता पूरी किए पुराने परिचय का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल व ज्रेडा के निदेशक पद पर बने रहे। 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र या कार्मिक विभाग ने नहीं किया। ये पद पर बने रहे और वेतन भी उठाते रहे।