डॉ इरफान अंसारी जामताड़ा वाले... मतलब शर्तिया इलाज की गारंटी; पढ़ें सियासत की खरी-खरी
Coronavirus Latest News डंडे पर बाकायदा सेनेटाइजर लगाकर शरीर के पृष्ठ भाग पर मध्यम वेग व नियत गति (फिजिक्स के सिद्धान्तों के अनुरूप) से वार कर इलाज की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
रांची, राज्य ब्यूरो। कोराेना वायरस की महामारी को लेकर हर कोई हलकान है। छोटे-बड़े, अमीर-गरीब और नेता-कार्यकर्ता भी इस बीमारी से पार पाने की जुगत तलाश रहा है। जामताड़ा के कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी ने तो बकायदा डॉक्टरी शुरू कर दी है। इधर पुलिस महकमा भी किसी सूरत में लॉक डाउन लागू करने पर आमदा है। हालांकि अब तक झारखंड के लिए राहत की बात यह है कि भले यहां दूर-देश से हजारों प्रवासी आ गए हों, लेकिन अब तक कोरोना का कोई मरीज नहीं मिला है। यहां पढ़ें राज्य ब्यूरो के प्रधान संवाददाता आनंद मिश्रा के साथ खरी-खरी...
मरीज की तलाश
विधायक जी डॉक्टर हैं। अब किसी को उनकी इस विशेष योग्यता पर शक कतई नहीं करना चाहिए। संकट की इस घड़ी में सफेद कोट और आला लटकाकर वे रिम्स पहुंचे और फोटो सेशन भी कराया। इलाज भी शुरू कर ही देंगे। मरीज की तलाश जोर-शोर से शुरू भी कर दी गई है। काफी संवेदनशील होकर उन्होंने यह कदम उठाया है। जामताड़ा से रांची तक बाकायदा मुनादी करा उन्होंने अपनी सेवाओं की पेशकश की है। अब कमल क्लब वालों की बात मत कीजिएगा, उनकी तो आदत है बक-बक करने की। बताइए इलाज करने छोटे नवाब जा रहे हैं और पेट में दर्द इनके शुरू हो गया है। सदन में तो टोका-टाकी करते ही हैं, अब प्रोफेशनल फील्ड में भी उंगली कर रहे हैं। दूसरों की क्या कहें, अपने भी उनकी इस गंभीर पहल को हल्के में ले रहे हैं। डॉक्टर साहब सुई में धार दे रहे हैं, मौका के इंतजार में हैं।
पंजाब फार्मूले ने फंसाया
नई बीमारी से बचाव का जो पुराना नुस्खा पंजाब पुलिस ने निकाला है, उसकी पूरे देश मे चर्चा है। वहां एक बड़ी आबादी के इलाज की जिम्मेदारी खाकी वर्दी ने उठा रखी है। डंडे पर बाकायदा सेनेटाइजर लगाकर शरीर के पृष्ठ भाग पर, मध्यम वेग व नियत गति (फिजिक्स के सिद्धान्तों के अनुरूप) से वार कर इलाज की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। बताया जा रहा है यह इलाज काफी कारगर है। कनपुरिया मुर्गा छाप फार्मूला भी शर्तिया इलाज की गारंटी का दावा करता है। हमारे खाकी वर्दी वालोंं ने भी पंजाब फार्मूला अपनाया। हटिया में हठ कर रहे युवक को तगड़ी खुराक दे दी लेकिन हाकिमों को रास नहीं आया। कर दिए गए लाइन हाजिर। दवा देने गए थे अब दुआ कर रहे हैं वापसी की। कहते हैं न कि नकल के लिए भी अकल चाहिए। खुराक ऐसी दो कि किसी को खबर न हो और दर्द ऐसा हो कि किसी को दिखे नहीं।
नए हाकिम
सूबे को नए हाकिम मिल ही गए। इनके नाम और काम में व्युक्रमानुपाती रिश्ता है। मिजाज नाम के अनुरूप है लेकिन तेवर बिल्कुल उलट। लंबा प्रशासनिक अनुभव है। झारखंड में इतने बरस गुजार चुके हैं कि अफसर का नाम बताते ही पूरी कुंडली कागज पर खींच देते हैं। अब जिनकी कुंडली के आठवें घर में शनि बैठा है वे हैरान-परेशान हैं। जिसका डर था वही हुआ। कोई मनौती काम न आई। बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस के साथ-साथ अफसरशाही में फैले भ्रष्टाचार के वायरस को मारने के लिए साहब को लाया गया है। कईयों की पुरानी फाइल खुल सकती है। मुश्किल यह भी है कि हाकिम टिकेंगे भी लंबे समय तक। कोरोना के कहर से किसी तरह बच भी गए तो हाकिम के कहर से बचना मुश्किल है।
मंत्री की दिक्कत
कोरोना का रोना कम था कि छोटे नवाब ने अपनी चिकित्सीय विधा बता नई चुनौती पेश कर दी। अब स्वास्थ्य मंत्री अपना फोकस इस विकट आपदा से निपटने पर करें या नवाब से निपटें। बोरिया -बिस्तर लेकर जामताड़ा से कुछ वैसे ही टपक पड़े जैसे बिन बुलाए घर पर कोई मेहमान आ जाए। ऊपर से डॉक्टर का तमगा, भले असली हो या नकली। इधर कुर्सी से वंचित रह गए हाथ वाले कुछ माननीय भी पूरा मजा ले रहे हैं। कहते हैं कि योग्यता तो आप ही रखते हैं। छोटे नवाब की वैसे भी आंख गड़ी है, स्वास्थ्य वाली कुर्सी पर। जामताड़ा से आला लेकर पहुंचे भी इसी उद्देश्य से थे। वो तो भला हो मुखिया जी के कुछ सलाहकारों का जो कुछ काम थमा इन्हें वापसी की गाड़ी पकड़ा दी। मंत्री जी कोरोना की पल-पल की रिपोर्ट के साथ ही छोटे नवाब की भी रिपोर्टिंग करवा रहे हैं।