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Jharkhand में कोरोना का खतरनाक ट्रेंड, UK Strain 70% संक्रमण बढ़ाएगा, Double Mutant जानलेवा HIGH ALERT

Jharkhand News Samachar Double Mutant Strain झारखंड में कोरोना के यूके स्ट्रेन तथा डबल म्यूटेंट स्‍ट्रेन मिलने से चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों की मानें तो यूके का स्ट्रेन इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसमें संक्रमण का खतरा 70 प्रतिशत तक अधिक होता है। डबल म्यूटेंट इससे अधिक खतरनाक जानलेवा है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 07:07 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 10:30 AM (IST)
Jharkhand में कोरोना का खतरनाक ट्रेंड, UK Strain 70% संक्रमण बढ़ाएगा, Double Mutant जानलेवा HIGH ALERT
Jharkhand News Samachar, Double Mutant Strain: झारखंड में मिले यूके स्ट्रेन से अधिक खतरनाक है कोरोना का डबल म्यूटेंट।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News Samachar, Double Mutant Strain, UK Mutant Strain, Corona New Strain अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी कोरोना के यूके म्यूटेंट स्ट्रेन तथा डबल स्ट्रेन मिलने से सभी की चिंता बढ़ गई है। राज्य सरकार को भी इसपर नए सिरे से रणनीति तैयार करनी पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो यूके का स्ट्रेन इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसमें संक्रमण बढ़ने की खतरा काफी अधिक होता है। यह वायरस 35 से 70 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलता है। वहीं, डबल म्यूटेंट इससे भी अधिक खतरनाक और जानलेवा है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि राज्य सरकार को अधिक पॉजीटिव सैंपल की जीनोम सिक्वेसिंग करानी चाहिए। इससे कोरोना के सही स्वरूप का पता चलेगा तथा उससे निपटने की रणनीति तैयार करने में सहुलियत होगी। साथ ही कोरोना के चेन तोड़ने के लिए सख्ती, मास्क, शारीरिक दूरी का अनुपालन अहम बताया है।

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बता दें कि भुवनेश्वर स्थित रीजनल जीनोम सिक्वेसिंग लेबोरेट्री में 39 सैंपल की हुई जीनोम सिक्वेसिंग में 13 सैंपल के वायरस खतरनाक पाए गए। नौ सैंपल में जहां यूके म्यूटेंट स्ट्रेन पाया गया, वहीं चार सैंपल में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन मिला। जिन नौ सैंपल में यूके म्यूटेंट स्ट्रेन पाए गए उनमें आठ रांची तथा एक पूर्वी सिंहभूम के थे। वहीं, जिन चार सैंपल में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन पाए गए उनमें तीन रांची तथा एक पूर्वी सिंहभूम के थे। कोरोना के नए स्ट्रेन कितने खतरनाक हैं, इसका असर क्या पड़ेगा तथा इससे निपटने के लिए किस तरह की रणनीति जरूरी है, इसे जानने के लिए दैनिक जागरण ने तीन विशेषज्ञों से बात की।

नए स्ट्रेन से संक्रमण बढ़ने का खतरा अधिक

कोरोना के यूके स्ट्रेन तथा डबल म्यूटेंट झारखंड के अलावा कई अन्य राज्यों में मिले हैं। वर्तमान में इतनी तेजी से संक्रमण बढ़ने का कारण ये वायरस ही हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, कोरोना के यूके स्ट्रेन से संक्रमण अधिक बढ़ता है। झारखंड या देश में पूर्व में पाए गए वायरस से एक से अधिकतम पांच लोग संक्रमित हो रहे थे। इस वायरस से एक से कई लोग संक्रमित हो सकते हैं। इस स्ट्रेन में संक्रमण का खतरा 70 फीसद तक बढ़ सकता है। अधिक लोगों के संंक्रमित होने से मृत्यु की दर भी बढ़ जाती है। इसी कारण, यूनाइटेड किंगडम में भी इस स्ट्रेन ने काफी नुकसान किया था। हवा में यह वायरस कितनी देर तक सकता है या कितनी दूरी तक जा सकता है, यह तो स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता लेकिन यह तय है कि यूके स्ट्रेन का संक्रमण कांटेक्ट से अधिक बढ़ता है। इसलिए सरकार को अधिक से अधिक कांटेक्ट ट्रेसिंग कर उनकी जांच करने का प्रयास करना चाहिए। डा. डीके सिंह, पूर्व निदेशक, रिम्स, रांची, वर्तमान में कार्यकारी निदेशक, एम्स, भटिंडा।

अधिक खतरनाक और चिंताजनक है डबल म्यूटेंट का मिलना

कोरोना का डबल म्यूटेंट यूके स्ट्रेन से अधिक खतरनाक और जानलेवा है, क्योंकि इसका दो बार म्यूटेशन हो चुका होता है। यह ब्राजील, आस्ट्रेलिया या दक्षिणी अफ्रीका किसी का भी हो सकता है। डबल म्यूटेशन के कारण में इसमें संक्रमण बढ़ने का खतरा काफी अधिक होता है। झारखंड सहित पूरे देश में हो रहे टीकाकरण में टीका के यूके स्ट्रेन पर प्रभावी होने की बात साबित हो चुकी है। इसका मतलब यह है कि जो दो डोज का टीका ले चुके हैं उन्हें यह वायरस संक्रमित नहीं करेगा। ब्राजील, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका के स्ट्रेन पर टीका का ट्रायल अभी नहीं हुआ है। राज्य में कोरोना का संक्रमण इतनी तेजी से फैलने का कारण ये स्ट्रेन हो सकते हैं। राज्य सरकार की योजना शीघ्र 500-600 पॉजिटिव सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराने की है ताकि झारखंड में कोरोना के सही स्वरूप का पता चल सके। लोगों द्वारा कोविड व्यवहार के अनुपालन करने तथा शारीरिक दूरी के अनुपालन से हम इस स्ट्रेन पर भी काबू पा सकते हैं। डा. प्रवीण कुमार कर्ण, संक्रामक रोग विशेषज्ञ सह राज्य सर्विलांस पदाधिकारी, झारखंड

यूके स्ट्रेन खतरनाक, लेकिन ब्राजील जैसा नहीं

झारखंड में यूके का स्ट्रेन मिला है। यह इसलिए खतरनाक है क्योंकि इस नए स्ट्रेन से वायरस के संक्रमण का खतरा बहुत अधिक रहता है। हालांकि यह वायरस ब्राजील के स्ट्रेन जैसा खतरनाक नहीं है। अभी तक के अध्ययन के अनुसार, यूके के स्ट्रेन में संक्रमण पहली लहर के वायरस से कई गुना अधिक है। यही कारण है कि झारखंड में कोरोना का संक्रमण इस लहर में तेजी से हो रहा है। लेकिन इसमें होनेवाली मौत की दर उतनी नहीं है जितना ब्राजील के स्ट्रेन में है। झारखंड में डबल स्ट्रेन भी मिला है जो अधिक खतरनाक हो सकता है। दोनों वायरस वातावरण में अधिक समय तक रहता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि लोग कोविड व्यवहार का सख्ती से अनुपालन करें। मास्क, शारीरिक दूरी तथा टीकाकरण ही बचाव का महत्वपूर्ण माध्यम है। डा. देवेश कुमार, विभागाध्यक्ष, प्रीविंटिव एंड सोशल मेडिसिन विभाग, रिम्स, रांची।

कोरोना के नए स्ट्रेन से संक्रमण बढ़ने का खतरा अधिक, पिछले वायरस से अधिक जानलेवा भी

  • नौ सैंपल में मिले हैं यूके म्यूटेंट स्ट्रेन, चार सैंपल में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन
  • विशेषज्ञों के अनुसार, चिंता का विषय है झारखंड में कोरोना का नया स्ट्रेन मिलना
  • राज्य सरकार को अधिक से अधिक सैंपल की जीनाेम सिक्वेंसिंग कराने की सलाह
  • चेन तोड़ने के लिए सख्ती भी जरूरी, मास्क, शारीरिक दूरी का अनुपालन होगा अहम

क्या है यूके म्यूटेंट स्ट्रेन

ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस के स्ट्रेन को बी.1.1.7 नाम दिया गया। भारत में यह स्ट्रेन सबसे पहली बार 29 दिसंबर, 2020 को छह लोगों में पाया गया था। इसके बांद कई राज्यों में यह फैल गया। विश्व में तीन देशों में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन मिले हैं जिनमें ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील शामिल हैं। इनमें ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के वैरिएंट को अधिक खतरनाक बताया जाता है क्योंकि यह उन लोगों को भी दोबारा हो सकता है जो इससे पहले संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। 

क्या है डबल म्यूटेंट

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्राेल ने मार्च के अंत में देश में नए वेरिएंट डबल म्यूटेंट की जानकारी दी थी। इसे बी.1.617 नाम दिया गया था। इसे डबल म्युटेंट इसलिए कहा गया कि इस वायरस के जीनाेम में दाे बार बदलाव हाे चुका है। बता दें कि वायरस खुद काे लंबे समय तक प्रभावी रखने तथा लोगों को संक्रमित करने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं। वायरस जितना ज्यादा मल्टीप्लाई होता है, उसमें म्यूटेशन होते हैं। जीनोम में होने वाले बदलावों को ही म्यूटेशन कहते हैं। इससे नए और बदले रूप में वायरस सामने आता है, जिसे वैरिएंट कहते हैं।


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