शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा बढ़ाकर रोकना होगा मतांतरण
शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें ईसाई मिशनरियां वर्षों से सक्रिय हैं। पवित्र भाव से स्कूल और अस्पताल चलाने वालों की कमी नहीं तो इसकी आड़ में अधिक से अधिक मतांतरण की मंशा पूरा करने वाले भी पूरे देश में भरे पड़े हैं।
रांची, [संजय कुमार]। शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें ईसाई मिशनरियां वर्षों से सक्रिय हैं। पवित्र भाव से स्कूल और अस्पताल चलाने वालों की कमी नहीं, तो इसकी आड़ में अधिक से अधिक मतांतरण की मंशा पूरा करने वाले भी पूरे देश में भरे पड़े हैं। लक्षित वर्ग को दाना भी यहीं से फेंका जाता है। बच्चे मिशनरी स्कूल में दाखिला लें या कोई पीडि़त इनके अस्पताल में भर्ती हो, मतांतरण का हित साधने वाले लोग यहीं से इनके पीछे पड़ जाते हैं।
बहरहाल, इन क्षेत्रों में सेवा करके ही समाज को एकजुट रखा जा सकता है यह हिंदू संगठनों ने भी महसूस किया है। गांवों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अनुषांगिक संगठनों ने एकल विद्यालय, आरोग्य सेवा केंद्र, अस्पताल, स्कूल आदि खोले तो हैं, लेकिन ईसाई मिशनरियां यहां बहुत आगे हैं। तेजी से यहां काम करना होगा, सुदूर इलाकों में सेवा भाव और बढ़ाना होगा।
राष्ट्रीय सेवा भारती के पदाधिकारी गुरुशरण प्रसाद कमी स्वीकार करते हुए कहते हैं कि हमने जिन इलाकों में जरूरतमंदों की सेवा शुरू की है वहां मतांतरण में कमी आई है। यहां सभी संगठनों को जोर लगाना होगा। मिशनरी वाले गरीब बच्चों को पहले टारगेट करते हैं, उनके घर पहुंच बच्चे का दाखिला निश्शुल्क आवासीय विद्यालय में कराने की बात करते हैं। दाखिले के बाद घर आते-जाते प्रभाव में लेकर इनका मतांतरण करा दिया जाता है।
इसी तरह अस्पताल में किसी पीडि़त का इलाज कराने के बाद उसका मतांतरण कराया जाता है। गुरुशरण कहते हैं, हमारी संस्थाओं के स्कूल और अस्पताल हों तो लोगों को इस मकडज़ाल से बचाया जा सकता है। समाज के लोगों से अपील की कि अपने आसपास के जरूरतमंदों पर नजर रखें और उनकी मदद के लिए अधिक से अधिक आगे आएं ताकि समाज को टूटने से बचाया जा सके। धर्म छोडऩे वालों और समाज के हर तबके में जागरुकता भी बढ़ानी होगी।
सुनी नहीं जा रही शिकायत
सेवा क्षेत्र एक बात, एक और सवाल यह उठता है कि मतांतरण रोकने के लिए कानून है तो लोग आवाज क्यूं नहीं उठाते। सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मुंडा कहती हैं, हम चुप नहीं बैठे हैं। जैसे ही किसी मामले की जानकारी मिलती है पुलिस तक शिकायत पहुंचाते हैं लेकिन हमारी बात नहीं सुनी जा रही।
खूंटी जिला के तोरपा स्थित पनढरिया गांव में मतांतरण में लगे पादरियों से मैंने बपतिस्मा प्रमाण पत्र मांगा, इसमें अंकित रहता है कि आपने कब किसका मतांतरण कराया। इस बात पर बहस हुई और पादरी वहां से निकल भागे। थाने में जब इसका मामला पहुंचा तो समझौते का दबाव पड़ा। देर रात एक बजे तक मुझे थाने में बिठाकर रखा गया। प्रिया कहती हैं, ऐसा ही हो रहा है। शिकायत करने वालों को परेशान किया जाता है।