लगातार बारिश ने बढ़ाई किसानों की मुश्किल
झारखंड राज्य में सब्जियों का सरप्लस उत्पादन होता है।
जागरण संवाददाता, राची : झारखंड राज्य में सब्जियों का सरप्लस उत्पादन होता है। सब्जी की खेती पर छोटे, मंझोले एवं बड़े किसानों की आजीविका काफी हद तक निर्भर करती है। पिछले चार-पाच महीनों से हो रही बारिश से किसानों को फायदा कम और नुकसान काफी हुआ है। कोरोना संकट की वजह से लॉकडाउन लागू होने पर किसानों को कृषि कार्य के लिए रियायत मिली है, लेकिन स्थानीय बाजार में काफी सस्ती दर और खरीदारी की कमी और बाहरी व्यापारी के नहीं आने से किसानों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। बेमौसम बारिश व कोरोना संकट की मार से किसान हताश हैं। पूंजी के अभाव में आगे की खेती के मामले में संशय में हैं।
नगरी प्रखंड के देवरी गाव में किसान किशोर साहू ने करीब 3.2 एकड़ में 90 हजार की लागत से बंधा गोभी, फ्रेंचबीन और मटर की खेती की, लेकिन बारिश से बंधा गोभी फसल गल गई। अधिकतर फ्रेंचबीन पौधों को नुकसान पहुंचा और मटर को फल लगने के समय भारी क्षति हुई। किशोर साहू बताते हैं कि उन्हें 24000 मात्र आमदनी हुई और करीब ढाई लाख का नुकसान हुआ है। बर्बाद फसल को गाय को खिलाना पड़ा। अभी 50-50 डिसमिल जमीन में फूल गोभी और गरमा मकई लगाई गई है। लगातार बारिश से मकई फसल पर कीटों का प्रकोप है और दवा देने के बावजूद कीड़े का नियंत्रण नहीं हो रहा है।
किसान बजरंग साहू ने करीब 1.2 एकड़ में फुल गोभी, बंधा गोभी की खेती की। बारिश से फसल को काफी क्षति पहुंची। इसके बावजूद कुछ फसल हुई, लेकिन बाजार में खरीदार नहीं मिले। मुखिया मंजू कच्छप का कहना है कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और किसी विभाग के मार्गदर्शन में सब्जी फलों की गुणवत्ता एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। क्षेत्र के किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके हैं और परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।
किसानों के मनोबल को बनाए रखने की जररूत
बीएयू के डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव कहते हैं कि किसानों के मनोबल को बनाए रखने की जरूरत है। हालात को देखते हुए किसानों को बहुस्तरीय खेती प्रणाली को अपनाना होगा। किसान प्रत्येक फसल का फसल बीमा कराएं। बाजार प्रबंधन को सुदृढ़ एवं प्रखंडों में कोल्ड स्टोरेज व प्रसंस्करण यूनिट की स्थापना से किसान समस्याओं का हल संभव हो सकता है।