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छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल संभालेंगे चुनाव की कमान

रांची झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त दिलाने की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेंद्र बघेल को सौंपी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 04:46 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 06:21 AM (IST)
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल संभालेंगे चुनाव की कमान
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल संभालेंगे चुनाव की कमान

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त दिलाने की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर होगी। बघेल एक बार राज्य का दौरा कर चुके हैं। वे प्रदेश नेतृत्व के लगातार संपर्क में हैं। 22 अक्टूबर को वे जामताड़ा में पार्टी की रैली से चुनावी अभियान का आगाज करेंगे। इस बाबत तैयारी को लेकर जामताड़ा में बैठक हो चुकी है। कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पर चुनाव में बेहतर प्रदर्शन का दारोमदार सौंपा है। इसकी एक बड़ी वजह छत्तीसगढ़ का झारखंड की सीमा से सटा होना है। गुमला और उसके आसपास के इलाके में छत्तीसगढ़ की राजनीति का असर पड़ता है। भूपेश बघेल की छवि का फायदा कांग्रेस उठा सकती है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाकर संगठनात्मक कौशल का भी परिचय दिया है।

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झामुमो से हर हाल में समझौता : इरफान

प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डा. इरफान अंसारी का कहना है कि राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के बीच तालमेल हर हाल में होगा। उन्होंने कहा कि तालमेल के लिए दोनों दलों को उदार रवैया अपनाने की जरूरत है। टारगेट भाजपा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में झारखंड गर्त में जा रहा है। चारों तरफ हाहाकार मचा है। वक्त की आवश्यकता है कि कांग्रेस, झामुमो समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़े। सीटों का मसला आपसी बातचीत से तय किया जाए। अगर विपक्षी दल मिलकर चुनाव में नहीं जाएंगे तो भाजपा को फायदा होगा। आजसू ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछे सवाल

रांची : आजसू पार्टी के महासचिव राजेंद्र मेहता ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से 16 सवालों का जवाब जानना चाहा है। उन्होंने कहा है कि ये सवाल न तो उनके व्यक्तिगत हैं और न ही पार्टी के, बल्कि आम जनता के हैं। उन्होंने कहा है कि पूर्व में भी हेमंत सोरेन से ये सवाल किए गए थे, परंतु वे चुप रहे। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को इन सवालों का जवाब देना चाहिए, ताकि राजनीतिक पार्टी के तौर पर झामुमो की नीयत और नीति का पता चल सके।

उन्होंने पूछा है कि क्या सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव पर हेमंत सोरेन एवं मथुरा महतो ने सहमति दी थी? केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए झामुमो पर जो आरोप लगे और मुकदमे हुए उसमें झामुमो ने क्या झारखंड के वोट की सौदेबाजी नहीं की थी? वर्ष 2009-10 में पहले एनडीए की सरकार में शामिल होना फिर पाच महीने में ही सरकार को गिराने के पीछे सिर्फ हेमंत सोरेन की सत्तालोलुपता थी या कुछ और? पाच महीने में ही षडयंत्र कर गुरुजी को मुख्यमंत्री पद से हटवा दिया और पुन: पाच महीने बाद आजसू और भाजपा के सहयोग से सरकार में उप मुख्यमंत्री बन बैठे। आखिर क्यों? आजसू ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछे सवाल

रांची : आजसू पार्टी के महासचिव राजेंद्र मेहता ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से 16 सवालों का जवाब जानना चाहा है। उन्होंने कहा है कि ये सवाल न तो उनके व्यक्तिगत हैं और न ही पार्टी के, बल्कि आम जनता के हैं। उन्होंने कहा है कि पूर्व में भी हेमंत सोरेन से ये सवाल किए गए थे, परंतु वे चुप रहे। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को इन सवालों का जवाब देना चाहिए, ताकि राजनीतिक पार्टी के तौर पर झामुमो की नीयत और नीति का पता चल सके।

उन्होंने पूछा है कि क्या सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव पर हेमंत सोरेन एवं मथुरा महतो ने सहमति दी थी? केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए झामुमो पर जो आरोप लगे और मुकदमे हुए उसमें झामुमो ने क्या झारखंड के वोट की सौदेबाजी नहीं की थी? वर्ष 2009-10 में पहले एनडीए की सरकार में शामिल होना फिर पाच महीने में ही सरकार को गिराने के पीछे सिर्फ हेमंत सोरेन की सत्तालोलुपता थी या कुछ और? पाच महीने में ही षडयंत्र कर गुरुजी को मुख्यमंत्री पद से हटवा दिया और पुन: पाच महीने बाद आजसू और भाजपा के सहयोग से सरकार में उप मुख्यमंत्री बन बैठे। आखिर क्यों? दल तय करें न करें, दावेदारों ने कस ली कमर

रांची : झारखंड में चुनाव का माहौल बन चुका है। राजनीतिक यात्राओं और रैलियों का शोर भी बढ़ चुका है। ऐसे में राजनीतिक दलों ने भले ही अभी अपने उम्मीदवारों को लेकर अभी पत्ते नहीं खोले हैं। जाहिर है चुनाव की घोषणा के बाद इस बाबत प्रक्रिया शुरू की जाएगी। खास बात यह है कि दलों की रणनीति चाहे जो हो, लेकिन दावेदारों का सब्र जवाब देने लगा है। उन्होंने पार्टी लाइन से इतर अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव खोल दिया है और विज्ञापनों के माध्यम से जनता तक संदेश पहुंचाना भी शुरू कर दिया है। ऐसे तमाम प्रत्याशियों का एजेंडा साफ है कि उन्हें चुनाव लड़ना है। मंशा संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में अपने दल के अन्य दावेदारों का मनोबल गिराने की भी है ताकि ऐसा महसूस हो कि उनका टिकट फाइनल है। अनुशासित मानी जाने वाली भाजपा के दावेदार भी इस कड़ी में पीछे नहीं रहे हैं।

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हटिया पर नेताओं की हठ, एक दर्जन से अधिक दावेदार

हटिया से भाजपा उम्मीदवार के रूप में पिछला चुनाव लड़ चुकी सीमा शर्मा ने बगैर दल की सहमति के खुद को आगे करते हुए चुनावी अभियान तेज कर दिया है। हालांकि उन्होंने बतौर प्रत्याशी अपने को प्रोजेक्ट नहीं किया है, लेकिन इशारा स्पष्ट है और समझने वाले समझ भी रहे हैं। हटिया वह विधानसभा क्षेत्र हैं जहां भाजपा के एक दर्जन से अधिक दावेदार अपना जोर लगा रहे हैं। झाविमो से भाजपा में शामिल हुए वर्तमान विधायक नवीन जायसवाल भी इसी क्षेत्र से आते हैं। जाहिर है हटिया में नेताओं की हठ बड़ी किचकिच की वजह बनेगी।

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भाजपा कार्यालय में पहुंच रहा टिकट के दावेदारों का समूह

भाजपा प्रदेश कार्यालय में टिकट के दावेदारों की लंबी कतार इन दिनों देखी जा सकती है। सर्वाधिक रेला पलामू और संताल प्रमंडल से आ रहा है। इनमें महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष की अनुपस्थिति में टिकट के दावेदार संगठन महामंत्री से मिल उन्हें अपना बायोडाटा सौंप लौट जा रहे हैं। प्रदेश कार्यालय के बाद कांके रोड का रुख भी इनकी नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है।


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