बच्चों का फीस माफ करने का विरोध कर रही कांग्रेस, झारखंड की महागठबंधन सरकार में तल्खी बढ़ी; हो सकता है बड़ा धमाका
Jharkhand Politics. कांग्रेस पार्टी प्राइवेट स्कूलों के साथ खड़ी हुई। झामुमो पर दबाव बनाया। सत्ताधारी दल के नेता विभिन्न मुद्दों पर एक-दूसरे के खिलाफ लगातार मोर्चा खोल रहे हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य की सत्ता में साझीदार रहने के बावजूद झामुमो के साथ कांग्रेस की तल्खी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है और अब एक नया मोर्चा खुलता दिख रहा है। प्राइवेट स्कूलों को फीस माफ़ करने को लेकर झामुमो कोटे से मंत्री जगरनाथ महतो लगातार बयान देकर दबाव बनाए हुए हैं लेकिन अब कांग्रेस ने खुले तौर पर इसका विरोध कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि इस फैसले से राज्य के तीन लाख शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मियों का वेतन समय पर नहीं मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
इसके पूर्व झामुमो की ओर से खाद्यान्न वितरण में गड़बड़ी का आरोप लगाया जा चुका है। गौरतलब है कि यह विभाग कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव के पास है। कांग्रेस कोटे से मंत्री आलमगीर आलम और बन्ना गुप्ता पहले ही झामुमो के निशाने पर रहे हैं। जगरनाथ महतो के निर्देश पर एक कमेटी बनी है जो प्राइवेट स्कूलों का फीस माफ करने के लिए अपना सुझाव देगी।
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि लाॅकडाउन के दौरान निजी स्कूल प्रबंधन पर शुल्क नहीं लेने का दबाव बनाने या इस तरह का कोई आदेश जारी करने से राज्य में संचालित करीब 20 हजार निजी स्कूलों के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। निजी स्कूलों पर ट्यूशन शुल्क माफ करने का दबाव बनाना उचित नहीं है, लेकिन निजी स्कूलों को डेवलपमेंट शुल्क, कंप्यूटर शुल्क और लाइब्रेरी शुल्क को माफ करना चाहिए। यह सर्वथा अनुचित होगा कि निजी स्कूल प्रबंधन पर पूरी तरह से ट्यूशन शुल्क माफ करने का दबाव बनाया जाए।
ऐसा होने पर इन स्कूलों में कार्यरत करीब तीन लाख शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। लाखों लोग प्रभावित होंगे और एक नई समस्या उत्पन्न हो जाएगी एवं साथ ही साथ स्कूल के अस्तित्व पर भी गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है। निजी स्कूल प्रबंधन को अपने शिक्षक और अन्य कर्मचारियों के बीच वेतन भुगतान के अलावा अन्य जरूरतों के लिए स्कूल फीस पर निर्भर हैं। गर्मी की छुट्टियों मैं भी स्कूल प्रबंधन अपने शिक्षकों को तो पैसा देता ही है।
दुबे ने कहा कि सूबे के 20 हजार से अधिक निजी स्कूल प्रबंधन को कोई अनुदान या वित्तीय सहायता राज्य सरकार के स्तर से नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन और गरीब बच्चों के लिए सीट आरक्षित रखने का दबाव स्कूल प्रबंधन पर पहले से ही होता है, ऐसे में राज्य सरकार को भी इन स्कूल प्रबंधन की समस्याओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए।
राज्य में 15 हजार से अधिक स्कूल किराए के भवन में चलते हैं और उनसे टैक्स और बिजली शुल्क भी वसूला जाता है। सरकार इस टैक्स को माफ करने पर भी विचार करे।हालांकि कुछ चन्द मुट्ठी भर स्कूल व्यापारिक दृष्टिकोण के तहत जरुर कार्य करते हैं। पिछले 5 वर्षों के दौरान रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में झारखंड में हजारों सरकारी स्कूल को बंद कर दिया गया। प्राइवेट स्कूल भी बंद हुए तो राज्य में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जाएगी।
दोनों दलों के बीच अब तक के विवाद
- झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक ने राहत कार्य के दौरान खाद्यान्न वितरण में गड़बड़ी के आरोप लगाया।
- आलमगीर आलम के निर्देश पर उनके विधानसभा क्षेत्र के लिए रांची डीसी ने बसों को जाने की अनुमति दी जिस पर रांची डीसी को शो कॉज हो गया।
- स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता विभागीय सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को हटाना चाहते हैं लेकिन उनकी नहीं सुनी जा रही है।