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World Environment Day 2019: बढ़ रहा तापमान-सांस लेना मुश्किल, खतरे में जीवन

Jharkhand. विकास की अंधाधुंध दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा। इससे हवा पानी सबमें जहर घुल गया है। जंगल काटे जा रहे। क्रंकीट के जंगल खड़े हो रहे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 07:40 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 04:36 PM (IST)
World Environment Day 2019: बढ़ रहा तापमान-सांस लेना मुश्किल, खतरे में जीवन
World Environment Day 2019: बढ़ रहा तापमान-सांस लेना मुश्किल, खतरे में जीवन

रांची, राज्य ब्यूरो। विकास की अंधाधुंध दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा। इससे हवा, पानी सबमें जहर घुल गया है। जंगल काटे जा रहे। क्रंकीट के जंगल खड़े हो रहे। धरती खतरे में है। कभी अपने शानदार मौसम के लिए पहचान रखने वाली रांची में भी अब पारा 42 पार रहता है। घर-घर एसी लग रहे हैं। प्रदूषण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा पॉलीथिन। पिछले साल पांच जून को राज्य सरकार ने पॉलीथिन मुक्त झारखंड की घोषणा की थी। कुछ दिनों तक सख्ती दिखी।

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अभियान चला, जुर्माना लगा तो कुछ दिनों तक पॉलीथिन पर बैन रहा लेकिन फिर धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल होने लगा। पॉलीथिन पर्यावरण का दम घोंट रहा है। आज नदियों, तालाबों में हर जगह पॉलीथिन नजर आता है। पानी प्रदूषित होता है। जलीय जीवों पर संकट है। इन सबके बीच आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए दिन-रात जुटे रहते हैं। हमें इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें इनसे प्रेरणा लेकर सजग होना होगा। नहीं जागे तो न धरती रहेगी न हम।

खोखले हो रहे जंगल, वन क्षेत्र बढ़ा लेकिन घट रहा सघन वनों का क्षेत्रफल
रांची-टाटा रोड का फोर लेन का निर्माण भले ही पूरा न हुआ हो लेकिन यहां सैकड़ों बरसों पुराने पेड़ों की बलि ले दी गई। राजधानी की स्मार्ट सड़कों के लिए भी पेड़ों को काटने से गुरेज नहीं किया गया। जब राजधानी रांची का यह हाल है तो प्रदेश के अन्य जिलों की स्थिति का आकलन स्वयं लगाया जा सकता है। पूरे देश को ऑक्सीजन देना वाले झारखंड में वन अब खोखले हो रहे हैं। जिस सारंडा में घने पेड़ों के कारण सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंचती थी उस क्षेत्र को माइनिंग ने तबाह कर दिया है।

हालांकि, वन विभाग की रपट में झारखंड में वन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। वन एवं पर्यावरण विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2001 में जहां कुल भू-भाग का 28.40 फीसद था वह आज बढ़कर 29.55 प्रतिशत तक पहुंच गया है। भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी इन आंकड़ों पर मुहर लगाती है। लेकिन इन दावों में भी हकीकत दिख जाती है। झारखंड में सघन वन क्षेत्र लगातार घट रहा है। कुल वन क्षेत्र का महज 10-11 फीसद ही सघन वन हैं। सघन वन उसे कहते हैं जहां पेड़ों का घनत्व 70 प्रतिशत या उससे अधिक होता है। यही जंगल वन्य जीवों के रहने के अनुकूल होता है। शेष जंगल सामान्य या खुले हैं।

राज्य में पचास फीसद खुला वन क्षेत्र हैं जिसका घनत्व 10-40 प्रतिशत के बीच माना जाता है। ये आंकड़े ही इस बात की पुष्टि करते हैं कि सघन वन क्षेत्र कम हो रहा है जबकि खुला वन बढ़ रहा हैं। पेड़ों की कटाई के अनुरूप भले ही बड़े पैमाने पौधे लगाए जा रहे हो लेकिन उनकी उत्तरजीविता का प्रतिशत भी संतोषजनक नहीं है। नतीजा तापमान में वृद्धि हो रही है। रांची शहर का औसत तापमान में पिछले दस सालों में पांच डिग्री से अधिक की वृद्धि हुई है। जिस रांची में पंखे तक की जरुरत कभी महसूस नहीं की जाती थी, वहां आज एसी की भरमार है।

सूख रहीं नदियां, धरती को आ रहा बुखार
जल पुरुष राजेंद्र सिंह निरंतर गर्म होती धरती को उसका बुखार मानते हैं। झारखंड में भी धरती को बुखार आ गया है। सूखी नदियां व तालाब, गिरता जलस्तर इसके गवाह हैं। राज्य में दामोदर, उत्तर व दक्षिण कोयल जैसी कुछ नदियों को छोड़ दें तो शायद ही कोई नदीं ऐसी हो जो गर्मी में सूख न जाती हो। हां, साहिबगंज से बहने वाली गंगा जरूर अपवाद है। धरती का भू-गर्भ जल स्तर गिरने से हजारों फीट की गहराई में पानी नहीं मिल रहा है। राजधानी रांची के लिए एक दर्जन स्थानों को क्रिटिकल ड्राइजोन की श्रेणी में माना जा रहा है।

झारखंड में वनों की स्थिति

वन क्षेत्र                                          क्षेत्रफल (वर्ग किमी में)
अत्यंत सघन वन (वनावरण घनत्व 70 प्रतिशत से अधिक)    2598
सामान्य सघन वन (वनावरण घनत्व 40-70 प्रतिशत)      9686
खुले वन (वनावरण घनत्व 10-40 प्रतिशत)       11269.00
योग                                23,553.00

अब वायु प्रदूषण पर होगा जोर
विश्व पर्यावरण दिवस की पिछली बार की थीम बीट प्लास्टिक थी, जबकि इस बार वायु प्रदूषण पर जोर होगा। झारखंड में विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर राज्यस्तरीय समारोह का आयोजन रांची में किया जाएगा। डोरंडा के पलाश सभागार में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में विकास आयुक्त सुखदेव सिंह बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी, पीसीसीएफ संजय कुमार सहित पर्यावरण से जुड़े अन्य विशेषज्ञ शिरकत करेंगे।

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