भूख से मौत को परिभाषित करने के लिए बनी समिति
भूख से होने वाली मौत को परिभाषित करने के क्रम में यह देखा जाना चाहिए कि मृतक के परिवार का सामाजिक स्तर क्या है, राशन कार्ड, पेंशन आदि का लाभ उसे मिल रहा है अथवा नहीं।
राज्य ब्यूरो, रांची। मौत की वजह भूख है अथवा बीमारी, सरकार इसे परिभाषित करेगी। खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री सरयू राय के निर्देश पर विभाग ने इससे संबंधित गाइडलाइन तैयार करने के लिए एक समिति गठित की है।
निदेशक, खाद्य सुनील कुमार सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति में बतौर सदस्य सुप्रीम कोर्ट द्वारा मनोनीत खाद्य सुरक्षा आयुक्त के झारखंड सलाहकार बलराम, राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य राकेश कुमार सिंह, भोजन का अधिकार, झारखंड के संयोजक अशर्फी नंद प्रसाद, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के डा. सुरनजीत प्रसाद के अलावा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता तथा महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के संयुक्त सचिव स्तर के एक-एक पदाधिकारी होंगे।
पिछले दिनों कुछ जिलों से आई मौत की खबरें समाचारपत्रों की सुर्खियों में थी। भोजन के अधिकार से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे जहां भूख से हुई मौत करार दिया था, वहीं सरकार इसकी वजह बीमारी बताती रही।
मंत्री ने कहा है कि भूख से होने वाली मौत को परिभाषित करने के क्रम में यह देखा जाना चाहिए कि मृतक के परिवार का सामाजिक स्तर क्या है, राशन कार्ड, पेंशन आदि का लाभ उसे मिल रहा है अथवा नहीं। यदि उस परिवार का जुड़ाव सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से है तो उसे उन योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं। वृद्ध, विधवा, दिव्यांग, परित्यक्ता आदि जैसे बिंदुओं को केंद्र में रखकर ऐसी मौतों को परिभाषित करने की जरूरत है।
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