जंगल-पहाड़ भागते फिर रहे नक्सली, कोबरा-जगुआर के operation clean से शामत
Maoist Encounter. सीआरपीएफ का कोबारा और झारखंड पुलिस का जगुआर जंगलों में चहलकदमी तेज करते हुए शीर्ष नक्सलियों और उनके शागिर्दों को घेरने में जुटी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड पुलिस नक्सलियों पर निर्णायक फतह की तैयारी में है। सीआरपीएफ के साथ मिलकर झारखंड जगुआर का मारक दस्ता लगातार सफलता हासिल कर रहा है। सभी नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सल विरोधी अभियान 'ऑपरेशन क्लीन' जारी है और इसका परिणाम भी दिख रहा है। ताजा उदाहरण खूंटी के अड़की स्थित तिरला है, जहां दो दिन पूर्व ही पुलिस ने मुठभेड़ में पांच नक्सलियों को मार गिराया।
डीजीपी डीके पांडेय पिछले दो साल से 31 दिसंबर तक नक्सलियों के सफाये का लक्ष्य दे रहे थे। दूसरा लक्ष्य भी पूरा हो चुका है, लेकिन पुलिस चुप नहीं बैठी है। अभियान और तेज है। नक्सलियों को आर्थिक चोट पहुंचाने के लिए उनकी संपत्ति जब्त करने से लेकर उन्हें दबोचने के लिए उनपर इनाम तक की घोषणा हो चुकी है। जंगलों में पुलिस की चहलकदमी तेज है, जिससे शीर्ष नक्सलियों को छोड़ उनके लगभग सभी बड़े शागिर्द या तो पकड़े गए या राज्य छोड़कर फरार हो चुके हैं।
इस वर्ष एक जनवरी के बाद बोकारो में भाकपा माओवादियों के जोनल कमांडर मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन के दस्ते से मुठभेड़ हुई, लेकिन वह बच निकला। वहीं, चार जनवरी को चतरा में मुठभेड़ में भाकपा माओवादियों का एरिया कमांडर चंद्र सिंह भोक्ता मारा गया। गिरिडीह के मधुबन में छापेमारी टीम ने जहां भाकपा माओवादी अजय महतो दस्ते के बंकर को ध्वस्त किया। वहीं, दुमका के शिकारीपाड़ा में एसपी अमरजीत बलिहार के कातिल माओवादी सहदेव राय उर्फ ताला को मार गिराया। सरायकेला, खूंटी और लातेहार में भी नक्सलियों पर पुलिस दबाव बनाया है।
जंगल में पुलिस कैंप बनाकर नक्सलियों पर दबाव बनाने की कोशिश
पुलिस सिर्फ अभियान चला कर ही नहीं, नक्सलियों की गढ़ में कैंप बनाकर उनपर दबाव बनाने की कोशिश में है। पारसनाथ, गुमला, लोहरदगा, चैनपुर, पलामू, बोकारो, चाईबासा, लातेहार आदि माओवादियों के 13 प्रभाव क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है। यहां पहले से पुलिस के 22 कैंप थे। अब यहां के जंगलों में 30 अतिरिक्त कैंप स्थापित किए जाने हैं। इस तरह जंगलों में पुलिस के 52 कैंप हो जाएंगे, जो नक्सलियों के विचरण क्षेत्र को ब्लॉक करेंगे।
डेवलपमेंट प्लान पर भी जोर
झारखंड पुलिस नक्सल उन्मूलन की दिशा में सुदूर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में डेवलपमेंट प्लान भी चला रही है। पहले फेज में जहां 780 गांव चिह्नित किए गए थे, वहीं दूसरे फेज में 751 गांव चिह्नित किए गए हैं। यहां पुलिस-प्रशासन का फोकस एरिया डेवलपमेंट प्लान चलेगा, जिसमें उक्त गांवों की मूलभूत समस्याओं का समाधान होगा। ऐसे गांव भी चिह्नित किए गए हैं, जहां के दो या इससे अधिक नक्सली हैं और मुख्य धारा से भटके हुए हैं। वैसे गांवों में भी विकास अभियान चल रहा है। बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्लान के तहत भी ढाई सौ से अधिक गांव चिह्नित हैं, जहां झारखंड से सटे राज्यों की सीमा पर विकास कार्य जारी है।