अर्द्धसैनिक बलों के खर्च का बोझ बांटे केंद्र सरकार : रघुवर दास Ranchi News
Jharkhanbd. रघुवर दास ने उग्रवादियों से लड़ाई में केंद्र से मिल रहे सहयोग की सराहना की है। उन्होंने अद्र्धसैनिक बलों पर खर्च होने वाली राशि का बोझ बांटने का भी अनुरोध किया।
रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड में उग्रवादियों से लड़ाई में केंद्र सरकार से मिल रहे सहयोग की सराहना की है। हालांकि उन्होंने उग्रवाद से निपटने के लिए केंद्र सरकार के स्तर से की गई अर्द्धसैनिक बलों की नियुक्ति के एवज में खर्च होने वाली राशि का बोझ बांटने का भी अनुरोध किया है। शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की 5वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की प्राथमिकताएं गिनाईं और केंद्र सरकार के स्तर से मिल रहे सहयोग पर आभार जताया।
मुख्यमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, समेत अन्य विषयों पर राज्य में हो रही गतिविधियों से नीति आयोग को अवगत कराया। यह भी कहा कि नीति आयोग के सहयोग से झारखंड के विकास को गति मिली है। नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों का हवाला देते हुए कहा कि अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति पर आने वाली खर्च राज्य सरकार पर एक बड़ा बोझ है। अनुरोध किया कि इस राशि को वसूलने के प्रावधान को पूर्णत: समाप्त किया जाए और यदि ऐसा संभव नहीं है तो केंद्र तथा राज्य सरकार 50-50 फीसद इस खर्च को वहन करें।
आपदा राहत कोष के नियमों को करें लचीला
मुख्यमंत्री ने आपदा राहत कोष के तहत राज्य सरकारों को मुहैया कराई जाने वाली राशि लिए तय किए गए नियमों को लचीला करने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने तार्किक ढंग से इस बात को रखते हुए कहा कि कई बार तकनीकी दृष्टिकोण से राज्य को सुखाड़ घोषित करने की स्थिति नहीं बन पाती, लेकिन राहत कार्य की आवश्यकता रहती है।
ऐसी स्थिति में आपदा राहत कोष का उपयोग नहीं किया जा सकता। कहा, निधि की सहायता राशि पर भी बाउंडेशन लगाए गए हैं। मसलन, सिंचाई योजनाओं की मरम्मत के लिए मात्र 1.50 लाख की ही सीमा है। झारखंड में वज्रपात और अल्पवृष्टि से उत्पन्न पेयजल संकट जैसी आपदाओं के विरुद्ध अधिक राशि की आवश्यकता पड़ती है।
निजी बाजारों की स्थापना की प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने निजी बाजारों की स्थापना की प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत बताई। कहा, निजी बाजारों के लाइसेंसीकरण के प्रावधानों में व्यापक सुधार की जरूरत है क्योंकि मार्केटिंग बोर्ड की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं रह गई है कि वो ई-नाम योजना के तहत होने वाले खर्च का वहन कर सके। एपीएमसी एक्ट को और व्यापक कवरेज प्रदान करने की जरूरत है ताकि कृषि विपणन बोर्ड अधिक सक्षम हो सके।
आवश्यक वस्तु अधिनियम की आवश्यकता पर पुनर्विचार की जरूरत
मुख्यमंत्री ने आवश्यक वस्तु अधिनियम की मौजूदा समय में प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाए। कहा, पिछले दस वर्ष के अनुभव व आंकड़े बताते हैं कि इस अधिनियम का प्रयोग केवल दाल की कीमत को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने किया है। चावल व गेंहू का उत्पादन अधिक होने के कारण यह अधिनियम अब सार्थक नहीं रह गया है।
इसलिए आवश्यक वस्तु अधिनियम की आवश्यकता पर पुनर्विचार की जरूरत है। सुझाव दिया कि इसके लिए नीति आयोग एक सब-ग्रुप का गठन कर विचार कर सकता है। इसके अलावा दालों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत लाने पर विचार किया जा सकता है।
आखिरी सांसें ले रहा नक्सलवाद
मुख्यमंत्री ने उग्रवाद नियंत्रण की दिशा में उठाए गए कदमों की भी चर्चा की। कहा, नक्सलवाद झारखंड में आखिरी सांसे ले रहा है। राज्य के 24 जिलों में 19 जिलों का चयन आकांक्षी जिलों के तौर पर किया गया है। झारखंड में इन आकांक्षी जिलों में 16 नक्सल प्रभावित हैं। इन जिलों में लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च कर लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा रहा है।
बड़े पैमाने पर उग्रवादियों के आत्मसमर्पण के फलस्वरूप आज यह हम कह सकते हैं कि नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्र में कमी आई है। उन्होंने उग्रवादी घटनाओं में हुई कमी का आंकड़ा भी पेश किया। साथ ही उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में की गई सुरक्षा बलों की तैनाती की भी जानकारी दी।
जल संकट को बताया बड़ी चुनौती
मुख्यमंत्री ने जल संकट को झारखंड के लिए बड़ी चुनौती बताया। कहा, कि गत वर्ष भी 18 जिलों के 129 प्रखंड सुखाड़ प्रभावित हो गए थे। इस वर्ष भी अब तक प्री-मॉनसून वर्षा 50 प्रतिशत कम हुई है। सीएम ने इस दिशा में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में उठाए गए कदमों की चर्चा भी की। कहा, शहरी क्षेत्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अधिनियम को सख्ती से प्रभावी बनाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई व पेयजल के लिए किए जा रहे उपायों की भी चर्चा की।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप