सीएम रघुवर की पारा शिक्षकों से अपील, काम पर लौट आएं; बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित
CM Raghubar Das. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पारा शिक्षकों से अपील की है कि वह काम पर लौट आएं, बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पारा शिक्षकों की मांगों पर विचार करने के लिए शिक्षा मंत्री नीरा यादव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी गठित की है। इस कमेटी में विकास आयुक्त डीके तिवारी, योजना सह वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने अपनी मांगों को लेकर लगभग डेढ़ माह से पारा शिक्षकों के हड़ताल पर रहने तथा इससे बच्चों का पठन-पाठन बाधित होने को देखते हुए यह निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री ने इस उच्च स्तरीय कमेटी को पारा शिक्षकों के मानदेय बढ़ाने, टेट पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए नई नियमावली गठित करने पर परामर्श देने को कहा है। साथ ही पारा शिक्षकों की अन्य मांगों पर भी विधिसम्मत अनुशंसा करने का निर्देश दिया है। वहीं, मुख्यमंत्री ने हड़ताल के दौरान मृत पारा शिक्षकों के आश्रितों को एक-एक लाख रुपये अपने विवेकाधीन अनुदान से देने की घोषणा की है। हड़ताल के दौरान लगभग 17 पारा शिक्षकों की मौत विभिन्न कारणों से हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि नियमावली बनने के बाद पारा शिक्षक कल्याण कोष से पारा शिक्षकों के आश्रितों को आर्थिक मदद की जाएगी।
सीएम ने की हड़ताल से लौटने की अपील
मुख्यमंत्री ने सभी पारा शिक्षकों से हड़ताल से वापस लौटने तथा स्कूलों में शिक्षण कार्य शुरू करने की अपील भी की है। उन्होंने कहा है कि हड़ताल से बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है। यह भी कहा है कि सरकार पारा शिक्षकों की मांगों पर गंभीर है और उनके हितों का हरसंभव ख्याल रखा जाएगा।
कमेटी लॉलीपाप, वेतनमान मिलने तक जारी रहेगी हड़ताल
पारा शिक्षकों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेताओं ने मुख्यमंत्री द्वारा गठित कमेटी को लॉलीपाप बताते हुए कहा कि वेतनमान मिलने तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी। मोर्चा के नेता संजय दूबे, विनोद बिहारी महतो, विनोद तिवारी, सिंटू सिंह आदि ने कहा है कि उनकी मांगों पर विचार करने के लिए पहले भी कार्मिक सचिव केके खंडेलवाल की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। उसमें भी लगभग वही पदाधिकारी थे, जो नई कमेटी में शामिल हैं।
इस कमेटी ने पारा शिक्षकों के साथ अन्याय ही किया। मोर्चा ने कमेटी में पारा शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल को शामिल नहीं करने पर भी सवाल उठाया है। साथ ही कहा है कि मुख्यमंत्री को पहले पारा शिक्षकों के साथ वार्ता कर उनका दर्द जानने का प्रयास करना चाहिए था। आखिर पारा शिक्षकों ने लाठियां केवल कमेटी गठित करने के लिए नहीं खाई थी।
जानें, क्या चाहते हैं पारा शिक्षक
-सरकार नौकरी स्थायी करे
-मानदेय की बजाय वेतनमान मिले