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प्रशिक्षण के नाम पर फर्जी निकासी की होगी एसीबी जांच

मनोज कुमार सिंह, रांची : झारखंड में युवक-युवतियों को प्रशिक्षण देने के नाम पर करोड़ों रुपये

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Feb 2018 03:02 AM (IST)Updated: Tue, 27 Feb 2018 03:02 AM (IST)
प्रशिक्षण के नाम पर फर्जी निकासी की होगी एसीबी जांच
प्रशिक्षण के नाम पर फर्जी निकासी की होगी एसीबी जांच

मनोज कुमार सिंह, रांची : झारखंड में युवक-युवतियों को प्रशिक्षण देने के नाम पर करोड़ों रुपये की फर्जी भुगतान के मामले की अब एसीबी जांच करेगी। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्य सचिव की अनुशंसा पर अपनी मुहर लगा दी है। हालांकि इस प्रक्रिया में दो साल जरूर लग गए। लेकिन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने इस मामले में मुख्यमंत्री को एसीबी जांच की अनुशंसा यह कहते हुए किया था कि जांच का दायरा बहुत बड़ा है और इसमें ज्यादा घोटाला होने की संभावना है। ऐसे में राज्यस्तरीय टीम से जांच कराने की बजाय इसकी जांच एसीबी से कराई जाए। दैनिक जागरण ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

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तीन बिंदुओं पर होगी जांच :

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले में तीन बिंदुओं पर जांच करने के लिए एसीबी को आदेश दिया है। जिसमें कहा गया है कि जिन वीटीपी (वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर) का भुगतान कर दिया गया है। उस सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थियों से संपर्क कर सत्यता की जांच करें। जिनका भुगतान लंबित हो, उनके प्रशिक्षणार्थियों से भी संपर्क कर पूछताछ करें। वहीं, वीटीपी के आधारभूत संरचना की भी जांच की जाए।

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दो साल पहले हुई थी एसीबी जांच की मांग :

विभागीय मंत्री राज पलिवार ने मार्च 2016 में एसीबी (भ्रष्टाचार निरोध ब्यूरो) से मामले की जांच कराने की अनुशंसा की थी। लेकिन संचिका जब सीएमओ पहुंची तो एसीबी जांच की अनुशंसा को बदलते हुए राज्यस्तरीय पदाधिकारियों की टीम बनाकर जांच करने का आदेश दिया। कार्मिक विभाग को जांच टीम के गठन के लिए फाइल भेज दी गई। जब यह फाइल मुख्य सचिव राजबाला बर्मा के यहां पहुंची तो उन्होंने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री से एसीबी जांच की अनुशंसा की। इससे पहले विभागीय मंत्री ने सभी जिलों के डीसी को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था। लेकिन जब रिपोर्ट नहीं आई है, तो उन्होंने एसीबी जांच की अनुसंशा कर दी थी।

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चार लोगों पर नामजद है प्राथमिकी :

श्रम, प्रशिक्षण एवं नियोजन विभाग की ओर से इस मामले को लेकर एक अप्रैल 2016 को तीन अधिकारी और एक दैनिक कर्मी के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई उनमें तत्कालीन कोषाध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद, तत्कालीन रोकड़पाल बालदेव सिंह, तत्कालीन कोषाध्यक्ष शशि भूषण प्रसाद और दैनिक कर्मी आमिर सोहेल शामिल हैं। जब प्राथमिकी दर्ज की गई उस दौरान योगेंद्र प्रसाद हेहल में सहायक निदेशक, प्रशिक्षण के पद पर थे। वहीं, शशिभूषण प्रसाद उप निदेशक प्रशिक्षण, दुमका से संबद्ध थे।

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यह है पूरा मामला :

केंद्र सरकार के कौशल एव प्रशिक्षण मंत्रालय की ओर से झारखंड स्टेट स्किल डवलपमेंट इनिसिएटिव सोसाइटी(जेएसएसडीआइएस) को युवक-युवतियों को शार्ट टर्म प्रशिक्षण के लिए राशि प्रदान की जाती है। इसके तहत वोकेशलन ट्रेनिंग प्रोवाइडर (वीटीपी) केजरिए लघु अवधि का प्रशिक्षण दिया जाता है। नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग ने जब जांच कराई तो वित्तीय वर्ष 2012-13 से लेकर अब तक करीब 11 करोड़ रुपये फर्जी भुगतान की बात सामने आई। कैशबुक में गड़बड़ी मिली। जिसके बाद विभागीय मंत्री राज पलिवार ने 70 वीटीपी के 19 करोड़ रुपये के भुगतान पर तत्काल रोक लगा दी थी।

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किस जिले में कितने वीटीपी को किया गया भुगतान :

रांची-11, रामगढ़-1, हजारीबाग-4, बोकारो-4, धनबाद-6, कोडरमा-1, गिरिडीह-1, दुमका-2, साहिबगंज-3, गोड्डा-1, चतरा-2, पलामू-3, पूर्वी सिंहभूम-6, सरायकेला खरसावां-2, खूंटी-1, सिमडेगा-1, पश्चिम सिंहभूम-1

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