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Mine Lease Case: हेमंत सोरेन खदान लीज मामला... बुरे फंसे रांची डीसी... हाईकोर्ट ने पूछा- आपको कैसे पता खान विभाग की पूरी जानकारी

Hemant Soren vs Raghubar Das मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खदान लीज मामले में अब रांची के डीसी भी बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं। मंगलवार को सुनवाई के दौरान रांची डीसी से कोर्ट ने इस तरह का सवाल पूछ दिया कि वह लाजवाब हो गए।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 06:04 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 06:05 PM (IST)
Mine Lease Case: हेमंत सोरेन खदान लीज मामला... बुरे फंसे रांची डीसी... हाईकोर्ट ने पूछा- आपको कैसे पता खान विभाग की पूरी जानकारी
Hemant Soren Mine Lease Case: बुरे फंसे रांची डीसी... हाईकोर्ट ने पूछा- आपको कैसे पता खान विभाग की पूरी जानकारी

रांची, राज्य ब्यूरो। CM Hemant Soren Mine Lease Case मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन आवंटन मामले में झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वादी की ओर से कहा गया कि याचिका के उस पार्ट को हम सुनवाई के लिए प्रेस नहीं करेंगे क्योंकि इस मामले में चुनाव आयोग ने सीएम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में अदालत ने रांची डीसी की ओर से शपथ पत्र दाखिल करने पर कड़ी नाराजगी जताई और उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। अदालत ने पूछा है कि रांची के उपायुक्त होते हुए उन्हें खनन विभाग के बारे में सारी जानकारी कैसे हैं। इस मामले में भी 19 मई को सुनवाई होगी।

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याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 191 का उल्लंघन बताया था

मालूम हो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम से खनन पट्टा आवंटन मामले में जनहित याचिका दाखिल की गई है। चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में इसकी सुनवाई हो रही है। प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार हैं। अदालत की नोटिस के बाद हेमंत सोरेन की ओर से अदालत में जवाब दाखिल किया गया है। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अमृतांश वत्स पक्ष रख रहे हैं। यह याचिका भी शिव शंकर शर्मा ने दाखिल की है। प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन पर पद का दुरुपयोग करते हुए रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन की लीज आवंटित करने का आरोप लगाया है। इस विभाग के हेमंत सोरेन खुद मंत्री भी हैं। प्रार्थी के वकील का आरोप है कि मुख्यमंत्री का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 191 का उल्लंघन है। लाभ के पद पर रहते हुए इस तरह का व्यवसाय नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने पर उस व्यक्ति की सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रविधान है।

इस तरह चला घटनाक्रम, चुनाव आयोग ने अभी नहीं भेजा गया है जवाब

सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन का तर्क है कि वर्ष 2008 में हेमंत सोरेन को खनन पट्टा मिला था। वर्ष 2018 में लीज समाप्त हो गया। इसके बाद नवीकरण के लिए आवेदन दिया था। शर्तों को पूरा नहीं करने पर लीज का नवीकरण रद कर दिया गया था। सितंबर 2021 में विभाग की ओर से फिर से लीज आवंटित कर दी गई। उन्होंने फरवरी 2022 में लीज सरेंडर कर दिया था। मालूम हो कि इस मामले का सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खुलासा किया था। रघुवर दास ने प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने नाम से खनन पट्टा लिया है। वह मुख्यमंत्री हाेने के साथ-साथ खनन विभाग के मंत्री भी हैं। इस खुलासे के बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया था। भाजपा ने इसकी शिकायत राज्यपाल रमेश बैस से की थी। राज्यपाल ने चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी थी। फिर चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव से रिपार्ट मांगी। इसके बाद चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन से जवाब मांगा था। 10 मई को जवाब दाखिल करने की अंतिम तिथि थी। लेकिन हेमंत सोरेन ने मां की तबीयत खराब हाेने का हवाला देते हुए एक माह का समय मांगा। चुनाव आयोग ने एक माह का समय तो नहीं दिया, लेकिन दस दिनों की मोहलत दे दी थी। अभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जवाब नहीं भेजा है।


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