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Jharkhand: पुलिस वालों की बल्ले-बल्ले, अब हफ्ते में एक दिन मौज- रोज 8 घंटे की ड्यूटी...

Jharkhand News झारखंड पुलिस के 80 हजार पुलिसकर्मी-पदाधिकारी क्षतिपूर्ति अवकाश काटे जाने का लगातार विरोध कर रहे हैं और इसे फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं। आरोप है कि एक माह के अतिरिक्त वेतन के बदले 21 दिन का क्षतिपूर्ति अवकाश काट लिया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 06:32 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 08:59 AM (IST)
Jharkhand: पुलिस वालों की बल्ले-बल्ले, अब हफ्ते में एक दिन मौज- रोज 8 घंटे की ड्यूटी...
Jharkhand News, Jharkhand Police: पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसएसपी-एसपी को कहा कि सिपाहियों से आठ घंटे की ड्यूटी लें।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News झारखंड पुलिस में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी से लेकर पुलिस निरीक्षक स्तर तक के 80 हजार पुलिसकर्मी-पदाधिकारी क्षतिपूर्ति अवकाश काटे जाने का लगातार विरोध कर रहे हैं और इसे फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर वे मुख्यमंत्री से भी मिलने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि अपनी समस्या बता सकें।

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उनका कहना है कि पूर्व की सरकार ने दूसरे राज्यों की तर्ज पर पुलिसकर्मियों (चतुर्थवर्गीय से पुलिस निरीक्षक तक) के लिए एक माह का अतिरिक्त वेतन देने संबंधित प्रविधान शुरू कराया। यह अतिरिक्त वेतन पुलिसकर्मियों की 84 दिनों की वैसी ड्यूटी के बदले था, जो होली, दीपावली, मुहर्रम, ईद, बकरीद या अन्य पर्व-त्योहार में विधि-व्यवस्था की ड्यूटी संभालते हैं।

आरोप है कि पूर्व की सरकार ने इस तथ्य को ही गायब कर दिया और एक माह के अतिरिक्त वेतन के बदले 21 दिन का क्षतिपूर्ति अवकाश काट लिया। प्रशिक्षण अवधि में भी इसका लाभ नहीं मिलेगा सहित कई नियम व शर्त जोड़ दिया गया। राज्यभर के पुलिसकर्मी (चतुर्थवर्गीय से पुलिस निरीक्षक तक) इसी नियम व शर्त का विरोध कर रहे हैं। क्षतिपूर्ति अवकाश कटने से पुलिसकर्मी तनाव में हैं।

पुलिस मुख्यालय ने भी पुलिसकर्मियों की मांग को जायज बताते हुए गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से दो बार रिमाइंडर भेजकर क्षतिपूर्ति अवकाश बहाल करने की अनुशंसा की थी, लेकिन अब तक इसपर विचार नहीं हो सका है।

पुलिस को 1.60 अरब रुपये नहीं मिल पा रहे

आवंटन के बावजूद अनुमति नहीं होने से पुलिस को 1.60 अरब रुपये नहीं मिल पा रहे हैं। पुलिस मुख्यालय ने इसके लिए एक बार फिर सरकार को पत्र लिखकर भुगतान की अनुमति देने का आग्रह किया है। सरकार की अनुमति मिली तो राज्य के 80 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों-पदाधिकारियों को फायदा होगा। इसमें सिपाही से लेकर आइपीएस संवर्ग के अधिकारियों तक के यात्रा व भोज्य भत्ता से संबंधित रुपये शामिल हैं। अगर यह राशि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 31 मार्च के पहले नहीं बंटी तो आगामी वित्तीय वर्ष में यह राशि दोगुनी हो जाएगी।

मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सिपाही, हवलदार से लेकर अन्य पदाधिकारी तक जो विभिन्न पोस्ट, पिकेट, कंपनी आदि में प्रतिनियुक्त हैं, उनके यात्रा भत्ता, भोज्य भत्ता व वर्दी भत्ता की निकासी नहीं हो पा रही है। जबकि, इस मद में राज्य सरकार ने पुलिस के सभी जिले, वाहिनी व इकाई में एक अरब 60 करोड़ रुपये भी आवंटित कर दी है।

कोरोना महामारी के चलते झारखंड सरकार की योजना सह वित्त विभाग ने वेतन के अलावा अन्य किसी भी मद की राशि निकासी पर रोक लगाया था। यही कारण है कि आवंटन के बावजूद उक्त राशि की निकासी नहीं हो पा रही है। अगर वित्तीय वर्ष 2020-2021 की समाप्ति के पहले इस राशि का भुगतान नहीं होगा तो उक्त राशि वापस हो जाएगी और सरकार पर राजस्व का अतिरिक्त भार भी बना रहेगा।

सिर्फ नाम का है पुलिस के लिए सप्ताह में छह दिन व एक दिन में आठ घंटे की ड्यूटी का आदेश

झारखंड पुलिस में सिर्फ नाम के लिए है सप्ताह में छह दिन व एक दिन में आठ घंटे की ड्यूटी। जिला मुख्यालय से सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में ड्यूटी करने वाले जवान साप्ताहिक अवकाश के दिन भी थाने में रहते हैं। उन्हें अपने कार्यस्थल पर ही रहने का आदेश पहले से निर्गत है। गत वर्ष नवंबर में पुलिसकर्मियों ने केंद्र के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग में एक शिकायत कर इसकी सूचना दी थी।

इसके बाद एक बार फिर पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसएसपी-एसपी को निर्देशित किया है कि सभी सिपाहियों से आठ घंटे की ड्यूटी लें और इससे पुलिस मुख्यालय को अवगत कराएं। गौरतलब है कि पुलिस सुधार के लिए गठित मुशहरी कमेटी ने 49 बिंदुओं पर अपनी अनुशंसा की थी। इन 49 बिंदुओं में एक बिंदु पुलिस की ड्यूटी को लेकर था।

इसमें सिपाही संवर्ग के लिए पाली व्यवस्था के आधार पर आठ घंटे की ड्यूटी और सप्ताह में एक दिन का अवकाश सुनिश्चित करना था। बताया गया था कि पुलिस आठ घंटे से अधिक समय तक कार्य करती है, जिसके चलते तनावग्रस्त रहती है। इसलिए उनकी ड्यूटी के घंटे व कार्य दिवस तय होना आवश्यक है।


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