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Coronavirus Update: CM हेमंत सोरेन की अपील, जो बाहर से आए हैं उन्हें छिपाएं नहीं; ये बन सकते हैं बड़ा खतरा

Jharkhand Lockdown Update. हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड आपदा से मुस्तैदी के साथ लड़ रहा है। जरूरत पड़ी तो आर्थिक पैकेज भी देंगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 09:37 AM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 02:33 PM (IST)
Coronavirus Update: CM हेमंत सोरेन की अपील, जो बाहर से आए हैं उन्हें छिपाएं नहीं; ये बन सकते हैं बड़ा खतरा
Coronavirus Update: CM हेमंत सोरेन की अपील, जो बाहर से आए हैं उन्हें छिपाएं नहीं; ये बन सकते हैं बड़ा खतरा

रांची। झारखंड में कोरोना संक्रमण के भले ही कम मामले मिले हैं, लेकिन राज्य सरकार ने शुरू से ही इस मामले सतर्कता और सक्रियता दिखाई है। स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों के बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद पूरी निगरानी रख रहे है। आपदा से निपटने के तमाम उपायों के अलावा उनकी नजर अन्य राज्यों में फंसे हजारों झारखंडियों पर भी है, जिन्हें लगातार राहत पहुंचाने के लिए सीएम ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम गठित की है।

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सुबह से लेकर देर रात वे मिशन मोड में अपने काम में जुटे हैं। उन्हें उम्मीद है कि झारखंड में जल्द ही जनजीवन सामान्य होगा। उनका कहना है कि जरूरत पड़ी तो केंद्र की तर्ज पर राज्य में भी आर्थिक पैकेज की घोषणा करेंगे और स्थिति को संभालने के लिए सेना के मेडिकल सेवाओं की भी मदद लेने से पीछे नहीं हटेंगे। कोरोना संकट के मद्देनजर तमाम मुद्दों पर दैनिक जागरण के राज्य ब्यूरो प्रभारी प्रदीप सिंह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-

कोरोना से संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन का एलान किया गया है, इस एहतियात का क्या परिणाम आप देखते हैं?

जवाब - कोरोना संक्रमण के साथ बढ़ते खतरे को देखते हुए लॉकडाउन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मौजूदा परिस्थितियों में यह अनिवार्य और अपरिहार्य है। यह किसी एक व्यक्ति या समूह का मामला नहीं वरन एक-एक व्यक्ति के स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ा मसला है। यह संतोष की बात है कि हमारे राज्य में अब तक कोरोना से संक्रमित मात्र दो केस ही अबतक मिले हैैं। आशंकाओं से घिरे इस वक्त में सुरक्षित रहने के लिए जरूरी है कि हम सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। लॉकडाउन के नियमों का शत-प्रतिशत पालन खूद भी करें और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।

परिस्थिति गंभीर है। इससे निपटने के लिए आपके स्तर से क्या-क्या निर्णय लिए गए हैं?

जवाब : परिस्थिति की गंभीरता का हमें पूरा अंदाजा है। हमारी पूरी सरकार, हमारी पूरी मशीनरी इस समय सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर इस खतरे से निपटने में 24 गुना 7 मोड में जुटी हुई है। हमने सूचना भवन में राज्य स्तरीय कोविड कंट्रोल रूम बनाया है। कोई भी जरूरतमंद दिन रात किसी भी वक्त 181 पर कॉल कर अपनी समस्या बता सकता है। दूसरे राज्यों में झारखंड के जो लोग हैं, उनकी सहायता के लिए भी नंबर जारी किए गए हैं। दूसरे राज्यों में परेशानियों में फंसे झारखंड के लोगों की सूचनाएं हम तक लगातार पहुंच रही हैं।

हमारी कोशिश है कि बाहर के राज्यों में कठिनाइयों का सामना कर रहे झारखंड के लोगों को त्वरित राहत पहुंचाई जाए। हमने प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग प्रभारी पदाधिकारी प्रतिनियुक्त किए हैं। ये सभी सीनियर आइएएस हैं, जो 24 घंटे लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं और उन्हें राहत देने की कोशिश कर रहे हैं। सभी ग्राम पंचायतों में मुखिया को 10-10 हजार रुपये की आकस्मिक निधि उपलब्ध कराई गई है ताकि हर जरूरतमंद को तत्काल मदद मिल सके।

प्रत्येक जिले, शहर, कस्बे और प्रखंड में जरूरी सामान की होम डिलीवरी के लिए हमने नंबर जारी किए हैं। किसी भी व्यक्ति को राशन, दूध, पानी की दिक्कत ना हो, इसके लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। सामाजिक संगठनों, संस्थाओं और स्वयंसेवकों को भी यह आपातकालीन सहायता के अभियान से जोड़ रहे हैं। राज्य के सभी थानों में किचन बनाया गया है, ताकि कोई भी भूखा न रहे। मास्क, सैनिटाइजर ऊंची कीमत पर बेचे जाने की शिकायतें मिली तो हमने त्वरित कार्रवाई की। ऐसे लोगों पर प्राथमिकी हुई। स्कूल बंद रहने की वजह से मिड डे मील का अनाज और पैसा हम एक-एक बच्चे के घर पहुंचाने की कोशिश करेंगे।

पूरी तरह से घर में रहने की पाबंदी का उल्लंघन भी हो रहा है, इसकी क्या वजह है। क्या लोग संक्रमण की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं?

जवाब :  लोगों से हम लगातार अपील कर रहे हैं कि लॉक डाउन के नियमों का पालन करें। जागरूकता के लिए लगातार अभियान चल रहा है। सोशल मीडिया, विज्ञापन, मुनादी सहित हर माध्यम का सहारा लेकर लोगों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका सहयोग उनकी जान की हिफाजत के लिए बहुत जरूरी है। जो लोग लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं। उनके साथ सख्ती से पेश आया जाए। उससे बेहतर स्थिति यह होगी कि लोग स्व-अनुशासन का पालन करें।

खाद्यान्न की उपलब्धता को बनाए रखने और कालाबाजारी रोकने के लिए क्या उपाय किए गए हैं?

जवाब : खाद्यान्न समेत जरूरी वस्तुओं का परिवहन निर्बाध रूप से हो, यह सुनिश्चित कराने में हमारा तंत्र लगा हुआ है। हमारे मंत्री खुद पल-पल की स्थिति की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। एफसीआइ से को-ऑर्डिनेट कर राशन दुकानों में खाद्यान्न की पर्याप्त आपूर्ति कराई जा रही है। प्रखंडों के आपूर्ति पदाधिकारी, पंचायतों के मुखिया सहित सरकारी कर्मचारियों को इसकी निगरानी में लगाया गया है। फिर भी कोई परेशानी हो तो जिले के डीसी, बीडीओ, सीओ, कंट्रोल रूम किसी को भी फोन कर सकते हैं। सोशल मीडिया के जरिये हमतक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग की महती भूमिका ऐसे समय में है। क्या भविष्य में इस विभाग के अधिकारिक मजबूत किए जाने की रणनीति है?

जवाब : आपदा प्रबंधन प्रभावी तरीके से हो, किसी भी परिस्थिति से निपटा जा सके, इसके लिए तंत्र को मजबूत करना जरूरी है। कोई भी आपदा हमें पीछे धकेल देती है। इसलिए पहले से तैयारी तो दुरुस्त रखनी ही होगी। फिलहाल हमारा पूरा जोर मौजूदा कोरोना संकट से निपटने पर है और इसमें तमाम विभाग, तमाम अफसर, तमाम कर्मचारी लगे हुए हैं। इस समय एकमात्र फोकस कोरोना संकट से लडऩे पर है। संकट जब आता है तो वह हमें सीख और सबक भी देता है। मौजूदा संकट में हम जो कुछ कर रहे हैं, या कर पा रहे हैं, वह हमारे लिए लर्निंग भी है, जिसका इस्तेमाल करते हुए हम भविष्य के दूसरे संकटों के लिए भी खुद को तैयार कर सकेंगे।

कहा जा रहा है कि संक्रमण प्रभावित राज्यों से लौटे लोग जांच कराने को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं हैं। इससे परेशानी बढ़ सकती है। इस प्रवृत्ति पर रोक के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

जवाब :  अपील यह भी की जा रही है कि जो जहां हैं, वहीं रहें। देश में कहीं भी रहें, उनकी सहायता की कोशिश की जा रही है, फिर भी बाहर के राज्यों से कुछ लोग झारखंड लौट रहे हैं। उन पर निगाह रखी जा रही है। उनकी जांच के इंतजाम किए गए हैं। एक-एक उप स्वास्थ्य केंद्र का समन्वय रिम्स और एमजीएमसीएच के साथ हो इसके उपाय किए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता हर दिन अस्पतालों का दौरा कर रहे हैं। लोगों से अपील है कि बाहर से आए हुए लोगों के बारे में प्रशासन पुलिस को सूचना दें। यह छिपने छिपाने का नहीं बताने का वक्त है ताकि समय रहते खतरे से निपटा जा सके, संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

केंद्र सरकार ने आपदा से निपटने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। क्या राज्य सरकार भी पैकेज की घोषणा करेगी ताकि लोगों को राहत मिल सके?

जवाब : राज्य के हालात पर हमारी निगाह है। यह तय मानिये कि राहत के लिए पैसे की कमी नहीं आने दी जाएगी। मुख्यमंत्री राहत कोष को ज्यादा से ज्यादा सुदृढ़ करने पर हमारा जोर है। हमने राज्यभर के लोगों से अपील की है कि अपनी क्षमता के अनुसार सहयोग करें। आपकी दी हुई राशि का उपयोग आपके लिए ही होगा। केंद्र ने जिस पैकेज की घोषणा की है, उससे अलग जो कुछ करने की जरूरत होगी, उसमें पीछे हटने का सवाल कहां है। मूल उद्देश्य यही है कि लोगों तक सहायता पहुंचे।

आपने अन्य राज्यों में खाद्यान्न की आपूर्ति रोकने को कहा है, इसकी क्या वजह है?

जवाब : यह सामान्य परिस्थिति नहीं है। दूसरे राज्य में खाद्यान्न की आपूर्ति पर रोक एक तात्कालिक कदम है। अभी परिस्थितियां ऐसी नहीं है कि सामान्य व्यापार चालू रखा जाए। वैसे राज्यों का आपस में सहयोग तो बना ही रहेगा। जरूरत के अनुसार सभी राज्य एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार हैं।

अन्य राज्यों से समन्वय के लिए वरीय अधिकारियों की टीम गठित की गई है। इसके क्या परिणाम सामने आए हैं?

जवाब : अन्य राज्यों से समन्वय के लिए लगाए गए सभी अधिकारी सीनियर आइएएस हैं। वे लगातार दूसरे राज्यों के अफसरों के संपर्क में है। कई शहरों में फंसे हुए झारखंड के लोगों का तक राशन और जरूरत के सामान पहुंचाए जा रहे हैं। मॉनिटरिंग 24 घंटे चल रही है।

अगर लॉक डाउन की अवधि बढ़ी तो इससे निपटने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं?

जवाब : हमारी सरकार हर परिस्थिति के लिए तैयार है। हमारी कोशिश है कि रोजमर्रा के लिए अनिवार्य वस्तुओं की कमी ना हो।

चिकित्सकों व पारा मेडिकल कर्मियों की कमी को दूर करने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं?

जवाब : राज्य में जितने भी चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, पारा मेडिकल कर्मी हैं सभी का सहयोग हमें मिल रहा है। मेडिकल कॉलेजों और पारा मेडिकल इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स से भी जरूरत पडऩे पर सेवाएं ली जा सकती हैं। सरकारी चिकित्सकों के साथ-साथ प्राइवेट हॉस्पिटल के चिकित्सकों कर्मियों को जरूरत के हिसाब से तैयार रहने को कहा गया है। जरूरत होगी तो पारा मिलिट्री फोर्सेज की मेडिकल विंग से भी सहयोग मांगा जाएगा।

अखबार पूरी तरह सुरक्षित, भरोसे के साथ पढ़ें : हेमंत

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अखबार को सूचना का सशक्त माध्यम बताते हुए कहा है कि लोगों को अफवाहों से बचना चाहिए और प्रिंट मीडिया जैसे सशक्त माध्यम पर भरोसा करना चाहिए। अखबारों को पूरी तरह सैनिटाइज किये जाने को भी उन्हें सराहनीय बताया। कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि अखबार पूरी तरह सुरक्षित हैं। लॉकडाउन में घर में रहने के दौरान लोग अपना समय पढऩे-लिखने, ज्ञानवद्र्धन करने और सकारात्मक काम में लगाएं। सोशल मीडिया के जरिए अफवाहें ना फैले, इसकी मॉनीटरिंग की जा रही है।

प्रत्येक डीसी, एसडीओ और थानेदार को निर्देश दिए गए हैं। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। हर जिले के उपायुक्त, एसडीओ और थानेदार को निर्देश दिए गए हैं कि वे गलत सूचनाएं प्रेषित करने वालों पर पैनी नजर रखें। कार्रवाई भी हो रही है। अखबार समाचारों के विश्वसनीय स्रोत हैं। ज्यादातर अखबार सैनिटाइज होकर निकल रहे हैं, यह सराहनीय प्रयास है। इनका वितरण सुरक्षित तरीके से हो, इसके लिए अखबारों के मैनेजमेंट से सहयोग की अपील करता हूं।


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