Coronavirus Effect: मंत्री हाजी हुसैन-आलमगीर की फजीहत तय, CM हेमंत कर सकते हैं जवाब तलब
Coronavirus Effect मंत्री हाजी हुसैन अंसारी ने बेटे के तब्लीगी जमात में शामिल होने की बात छुपाई। मंत्री आलमगीर आलम ने सैंकड़ाें लोगों को लॉक डाउन तोड़कर बसों में ठूंसकर घर भेजा।
रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य सरकार के दो मंत्रियों आलमगीर आलम और हाजी हुसैन अंसारी के रुख से खासे नाराज बताए जाते हैं। इसकी वजह हाल के दिनों में दोनों मंत्रियों के कारण हुई सरकार की फजीहत है। दोनों मंत्रियों की वजह से राज्य में कोरोना से बचाव को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के स्तर से की गई बेहतर कोशिश को भी झटका लगा है और खराब संदेश लोगों के बीच जा रहा है। पहले मंत्री आलमगीर आलम ने रांची से बसों में ठूंसकर लगभग 600 लोगों को पाकुड़ समेत अन्य हिस्सों में दबाव बनाकर रांची के उपायुक्त के माध्यम से भिजवाया। इससे काफी किरकिरी हुई।
इसके बाद एक अन्य मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र के नई दिल्ली में तबलीगी जमात में शामिल होने का मामला प्रकाश में आया। जब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ तो मंत्री और उनके पुत्र समेत पूरे परिवार को क्वॉरेंटाइन किया गया। इससे भी भारी फजीहत हुई। कहा यह जा रहा है कि मंत्री के पद पर रहते हुए उन्हें खुद सजग होना चाहिए था कि जमात में उनका बेटा शामिल हुआ था तो उन्हें खुद उसे इलाज के लिए आगे लाना चाहिए था। संभावना है कि स्थिति सामान्य होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन दोनों मंत्रियों से जवाब तलब कर सकते हैं।
हालांकि मंत्री आलमगीर आलम के पक्ष में कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर सामने आए हैैं। मंत्री होने के साथ-साथ आलमगीर आलम कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैैं। राजेश ठाकुर ने कहा है कि हजारों लोगों को दिल्ली की सीमा पर बसों में ठूंसकर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भेजा है, लेकिन यहां इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जाना ओछी मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लिया।
आपदा पर राजनीति, पीएम की वीसी में समय नहीं मिलने पर राजनीतिक जंग
झारखंड में कोरोना वायरस को लेकर किए जा रहे बचाव के उपायों के बीच केंद्र व राज्य सरकार के बीच जंग छिड़ती दिख रही है। इसे आपदा पर राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल के दिनों में दो दफा राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस से रूबरू हुए। इसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपनी बातें रखने का मौका नहीं मिला। हालांकि यह संभव भी नहीं प्रतीत होता कि कम समय में सभी राज्यों को प्रधानमंत्री की वीडियो कांफ्रेंसिंग में समय मिले। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि वे झारखंड की जरूरतों से प्रधानमंत्री को अवगत कराना चाहते हैैं। जब उन्हें इसका मौका मिलेगा तो अपनी बातें रखेंगे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो इस पर संयमित हैं लेकिन राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि झारखंड के जरूरतों की अनदेखी की जा रही है। उधर सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इस पर नाराजगी व्यक्त की है। महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टïाचार्य ने कहा है कि टोना-टोटका, थाली, ताली पीटने और दीया जलाने से कोरोना नहीं भागने वाला है। इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने होंगे। फिलहाल झारखंड में सत्तारूढ़ दल के रुख से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक तूल पकड़ सकता है।