गांजा तस्करी में ईसीएलकर्मी को फंसाने के आरोपों का अनुसंधान करेगी सीआइडी
रांची धनबाद में गांजा तस्करी में ईसीएलकर्मी चिरंजीत घोष को फंसाने के मामले का अनुसंधान अब सीआइडी करेगी।
रांची : धनबाद में गांजा तस्करी में ईसीएलकर्मी चिरंजीत घोष को फंसाने के मामले का अनुसंधान सीआइडी करेगी। यह एक हाई प्रोफाइल मामला है, जिसमें धनबाद के तत्कालीन एसएसपी किशोर कौशल से लेकर तत्कालीन निरसा थानेदार तक पर सवाल उठे थे। सीआइडी के एडीजी अनिल पाल्टा ने बुधवार को इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है। जारी आदेश में कहा गया है कि धनबाद के निरसा में 39.300 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया था। इस मामले में 25 अगस्त 2019 को निरसा थाने में एनडीपीएस एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस कांड को सीआइडी ने तत्काल प्रभाव से टेकओवर किया है। अब इस कांड के अनुसंधान के लिए गठित विशेष टीम का नेतृत्व डीएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे। पुलिस निरीक्षक, पुलिस अवर निरीक्षक व सहायक अवर निरीक्षक स्तर के पदाधिकारी इस कांड के अनुसंधान में सहयोग करेंगे।
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फंस सकते हैं धनबाद के पूर्व एसएसपी किशोर कौशल
गांजा तस्करी के इस मामले के अनुसंधान में धनबाद के पूर्व एसएसपी किशोर कौशल फंस सकते हैं। वे वर्तमान में पीटीसी हजारीबाग में पदस्थापित हैं। धनबाद एसएसपी रहते हुए किशोर कौशल समेत धनबाद पुलिस के अन्य अधिकारियों पर 40 किलोग्राम गाजा रखकर ईसीएलकर्मी चिरंजीत घोष को फंसाने का आरोप लगा था। स्थानीय भाजपा नेता विनय कुमार सिंह ने इसकी शिकायत पुलिस मुख्यालय से की थी। इसके बाद पुलिस मुख्यालय के आदेश पर सीआइडी ने इस केस को टेकओवर किया। आरोप है कि जिन व्यक्तियों ने गाड़ी में गांजा भरकर धनबाद पहुंचाया, उसका नाम क्रमश: तिवारी और ठाकुर है और दोनो बाघमारा क्षेत्र के रहने वाले हैं। इन दोनो से पूछताछ के बाद ही पता चलेगा कि धनबाद में गाजा पहुंचाने का आदेश उनको किसने दिया था।
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बंगाल से गिरफ्तार हुए थे चिंरंजीत, धनबाद में मिली थी जमानत
निरसा (धनबाद) : तत्कालीन एसएसपी किशोर कौशल के निर्देश पर निरसा थाना प्रभारी उमेश प्रसाद सिंह ने धनबाद के देवियाना मोड़ के समीप पश्चिम बंगाल से धनबाद की ओर आ रहे वाहन को जब्त किया था। पुलिस ने वाहन से 39.300 किलो गांजा बरामद किया था। शिकायतकर्ता निरसा थाना ने बंगाल के बीरभूम निवासी चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी का सरगना बताया था। बाद में घोष को बंगाल जाकर गिरफ्तार कर जेल भेजा था। चिरंजीत घोष की पत्नी बंगाल कारा विभाग में कांस्टेबल थी। उसने झारखंड पुलिस के वरीय पदाधिकारियों से शिकायत की थी कि बंगाल के एक एसडीपीओ रैंक के अफसर व कुछ कोयला तस्कर के साथ मिलकर पति को फंसाया जा रहा है। बाद में चिरंजीत के खिलाफ किसी प्रकार का सबूत नहीं मिलने पर चिरंजित को धनबाद न्यायालय ने जमानत दे दी थी।