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सड़क पर पैदा हुए, सड़क पर ही कट रही जिंदगी..जिम्मेदारों को क्यों नहीं आती शर्म

फहीम अख्तर रांची ठिठुरन भरी ठंड के बीच आवारा कुत्तों के साथ सोने की मजबूरी। सड़क पर सरपट दौड़ती गाड़ियां। कभी भी कुचले जाने का डर। इन्हीं परिस्थितियों में बच्चे सड़कों पर सोते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 02:29 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 02:29 AM (IST)
सड़क पर पैदा हुए, सड़क पर ही कट रही जिंदगी..जिम्मेदारों को क्यों नहीं आती शर्म
सड़क पर पैदा हुए, सड़क पर ही कट रही जिंदगी..जिम्मेदारों को क्यों नहीं आती शर्म

फहीम अख्तर, रांची : ठिठुरन भरी ठंड के बीच आवारा कुत्तों के साथ सोने की मजबूरी। सड़क पर सरपट दौड़ती गाड़ियां। मौत की आहट को मानो पल-पल महसूस कराने को बेताब। मासूम बच्चे, मजबूर लोग। पास न तो बिस्तर, ना कंबल और न कोई आशियाना। कभी कोई कार चढ़ा कर निकल जाता। कभी कोई ट्रक रौंदकर चला जाता। न इनकी कोई पहचान, ना किसी को इनकी जरूरत। ना कोई शोर-शराबा, ना कोई हंगामा। न कोई जाच, न कोई मुआवजा। सड़क पर पैदा हुए, जिंदगी सड़क पर कट रही। मानवता को शर्मसार करती शहर के अलग-अलग हिस्सों की तस्वीरें बया कर रही हैं कि व्यवस्था किस चिर निद्रा में सो रही है। जालान रोड अपर बाजार में दो मासूम बच्चों के दर्दनाक मौत के 24 घंटे बाद तक हालात जस के तस हैं। सड़क किनारे सो रहे मासूम बच्चे, गरीब लोग अगर फिर किसी अनहोनी के शिकार होते हैं तो अपनी बला से। ये रैन बसेरा किसके लिए, ये धर्मशाला किसके काम की ...

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ट्रक के नीचे सो रहे मासूम बच्चों की मौत से कुछ बड़े सवाल खड़े हुए हैं। शहर में प्रशासनिक पहल पर चलने वाले रैन बसेरे किसके लिए, ये धर्मशाला किसके काम की। अगर इनमें गरीब और असहाय लोगों को रात गुजारने तक की जगह नहीं। समय : रात 12:00 बजे

स्थान : बिग बाजार मोड़ मेन रोड

स्थिति : मेन रोड में भागलपुर निवासी राम सिंह के परिवार की जिंदगी सड़क पर कट रही है। उसकी तीन माह की बच्ची सहित छह बच्चे हैं। सभी सड़क किनारे की शेड पर सोकर जिंदगी काट रहे हैं। दिन में सड़कों पर गुब्बारे बेचकर जिंदगी गुजार रहे हैं। बच्चों को भी कचरा चुनकर बेचने में लगा रखा है। रिपोर्टर से बातचीत करने के दौरान तीन माह की बच्ची ठंड से ठिठुरकर रो रही थी। लेकिन उसे ढकने के लिए उनके पास पर्याप्त कपड़े और कंबल तक नहीं थे। समय : रात 12:15 बजे

स्थान : सर्जना चौक :

स्थिति : सर्जना चौक पर दस साल के चार बच्चे सोते हैं। किसी के मां-बाप नहीं है। किसी तरह कचरा चुनकर जिंदगी काटते हैं। किसी से मांग कर भी खाना खाते हैं। एक दस साल के बच्चे ने बताया कि उसके दो दोस्तों को ट्रक ने कुचल दिया। इससे वे भयभीत हैं। अब संभलकर सड़क पर सोया करते हैं। समय : रात 12:20 बजे

स्थान : अल्बर्ट एक्का चौक

स्थिति : चार बच्चों के अलावा करीब छह परिवार सोता है। वहां मौजूद पूनम बताती है कि उसका जन्म सड़क पर हुआ है। कचरा चुनकर कबाड़ में बेचती है। सड़कों पर ही जिंदगी चल रही है। इस ठंड में कोई कंबल बांटता है तो सालभर उनके काम आत हैं। रिपोर्ट से भी पूछ बैठी कि कंबल दिलाएंगे क्या साहब। मौका-ए-वारदात जालान रोड से

समय : 12:30 बजे

स्थान : अपर बाजार जालान रोड

स्थिति : हर दिन कचरा चुनने वाले बच्चे और उनके परिवार के लोग साते हैं। लेकिन दो बच्चों के कुचले जाने के बाद वहां कोई भी नहीं सोया था। केवल एक रिक्शा चालक वहां सोता दिखाई दिया। एक मजदूर ने बताया कि यहां बच्चे सोते हैं, लेकिन घटना के बाद सभी ने जगह बदल लिया है।


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