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कनहर बराज परियोजना के कार्यों में तेजी लाने का निर्देश, अगले महीने तक मांगी रिपोर्ट

Jharkhand. मुख्य सचिव ने समय सीमा तय की है। अगले महीने तक छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र में स्थित भूमि की मांगी रिपोर्ट। फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन देने का आदेश दिया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 03:37 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 03:37 PM (IST)
कनहर बराज परियोजना के कार्यों में तेजी लाने का निर्देश, अगले महीने तक मांगी रिपोर्ट
कनहर बराज परियोजना के कार्यों में तेजी लाने का निर्देश, अगले महीने तक मांगी रिपोर्ट

रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने गढ़वा और पलामू में समृद्ध सिंचाई व्यवस्था बहाल करने के लिए कनहर बराज परियोजना के कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया है।  उन्होंने बराज से संबंधित सभी प्राथमिक कार्यों को मूर्त रूप देने की समय सीमा तय कर दी है। इसी अवधि में उन्होंने सारे काम पूरे करने के सख्त निर्देश दिए हैं।

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साथ ही, छत्तीसगढ़ और झारखंड के जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंताओं को आपस में मिलकर दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित जमीन की मालिकाना स्थिति 28 फरवरी तक स्पष्ट कर संयुक्त रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। वे मंगलवार को प्रोजेक्ट बिल्डिंग में कनहर बराज प्रोजेक्ट की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे।

बताते चलें कि झारखंड सरकार कनहर बराज परियोजना से जुड़ी 58.01 हेक्टेयर जमीन को छत्तीसगढ़ की सीमा में मान रहा है, जबकि  छत्तीसगढ़ 79.55 हेक्टेयर जमीन पर दावा कर रहा है। सीमा रेखा पर जमीन की वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं होने से भी परियोजना के कार्यों में अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं हो पा रही है।

1019 हेक्टेयर भूमि की है जरूरत, 90 प्लॉट की स्थिति अस्पष्ट

 कनहर बराज प्रोजेक्ट के लिए पलामू और गढ़वा जिले में कुल 1019 हेक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ेगी। उसमें से 866.62 हेक्टेयर जमीन की वास्तविक स्थित ज्ञात हो चुकी है। दोनों जिला के उपायुक्तों ने समीक्षा के दौरान बताया की चिह्नित जमीन में से 90 प्लॉटों की प्रकृति स्पष्ट होनी बाकी है। मुख्य सचिव ने तीन फरवरी तक पूरी जमीन की स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश उपायुक्तों को दिया।

इसी तरह उन्होंने  जंगल-झाड़ से जुड़ी जमीन को फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए वन विभाग को ऑनलाइन आवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इस आवेदन पर जल संसाधन विभाग तथा वन विभाग को निर्देश दिया गया कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस से संबंधित जमीन पर स्थित पेड़ों के चिह्नितीकरण का काम 30 अप्रैल तक कर लिया जाए।

प्रोजेक्ट का सर्वाधिक लाभ गढ़वा को मिलेगा

छत्तीसगढ़ से झारखंड में प्रवेश करने वाली कनहर नदी पर बराज बनने से इसका सर्वाधिक लाभ गढ़वा जिले के किसानों को होगा। गढ़वा के भवनाथपुर, विशुनपुर, चिनिया, डंडई, धुरकी, गढ़वा, कांडी, केतार, मझिआंव, मेराल, नगर उंटारी, रमना, रंका और पलामू के चैनपुर प्रखंड के खेतों को बराज के पानी से सिंचित करने की योजना है। जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, झारखंड और छत्तीसगढ़ के जलसंसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख के अलावा कई अफसरों ने बैठक में शिरकत की।


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