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धर्मगुरुओं को जनवरी से मिलेगी सम्मान राशि : मुख्यमंत्री

परंपरा और संस्कृति के वाहक माने जाने वाले धर्मगुरुओं को राज्य सरकार जनवरी से सम्मान दिया जाएगा।

By Edited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 06:50 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 11:42 AM (IST)
धर्मगुरुओं को जनवरी से मिलेगी सम्मान राशि : मुख्यमंत्री
धर्मगुरुओं को जनवरी से मिलेगी सम्मान राशि : मुख्यमंत्री
रांची : परंपरा और संस्कृति के वाहक माने जाने वाले धर्मगुरुओं को राज्य सरकार जनवरी से सम्मान राशि मुहैया कराएगी। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रविवार को अपने आवास में बोकारो जिले से आए आदिवासी पारंपरिक व्यवस्था के धर्मगुरुओं और प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान यह घोषणा की। यह भी कहा कि हमारी परंपरा और संस्कृति इन्हीं धर्मगुरुओं के कारण बची हुई है। इस मौके पर आदिवासी पारंपरिक व्यवस्था के धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें राज्य के माझी हड़ाम की उपाधि भी दी। धर्मगुरुओं से संवाद के क्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशी शक्तियां हमारी संस्कृति को नष्ट करने पर तुली हैं, लेकिन सरकार उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी। लालच, भय, अंधविश्वास आदि के फेर में कोई धर्म परिवर्तन न कराए, इसके लिए सरकार ने कानून बनाया है। आदिवासी समाज के प्रबुद्ध लोग भी इस बारे में जागरुकता फैलाएं। लुगु बुरु मेले को राजकीय मेला घोषित किया है उन्होंने कहा कि लुगु बुरु मेले को राजकीय मेला घोषित किया है। वहा टेंट सिटी बनाई जा रही है, ताकि हमारे आदिवासी श्रद्धालुओं को खुले आसमान के नीचे रात न बितानी पड़े। वहा पानी, बिजली आदि की व्यवस्था की जा रही है। प्रतिनिधियों की रजरप्पा में भवन की माग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वहा एक तीन मंजिला इमारत बन रही है, जहा सस्ती दर पर ठहरने व खाने की व्यवस्था रहेगी। राज्य में घेराबंदी से बचे बाकी धार्मिक व पारंपरिक स्थलों की घेराबंदी के लिए अगले साल के बजट में प्रावधान किया जाएगा। सीएम ने कहा कि हमारी बेटियों का पलायन न हो, इसके लिए हमारी सरकार काम कर रही है। उन्हें यहीं रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया गया है। इसके नतीजे दिख रहे हैं। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता लखी हेंब्रम, आनंद मुर्मू समेत बड़ी संख्या में आदिवासी पारंपरिक व्यवस्था के प्रतिनिधि माझी हड़ाम, नायकी, जोगमाझी, भोदरन व कुड़ाम नायके उपस्थित थे। अगले वर्ष से शुरू होगी ओल चिकी लिपि की पढ़ाई मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मातृभाषा को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि हमें अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को नहीं छोड़ना है। 2019 से ओल चिकी लिपि में स्कूलों में पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी। किताबें छप कर आ गई हैं। अभी पहली और दूसरी कक्षा में इसकी पढ़ाई होगी। आनेवाले दिनों में पाचवीं तक ओल चिकी भाषा में पढ़ाई होगी। स्कूलों में स्थानीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी चल रही है। ओल चिकी के अलावा कुडुख, मुंडारी आदि भाषाओं के शिक्षकों की भी नियुक्ति की जा रही है, ताकि हमारे बच्चे अपनी भाषा में पढ़ाई कर सकें। सीएम ने विपक्ष को दी चुनौती, कहा- जमशेदपुर में मेरे एक घर के अलावा कोई संपत्ति हो तो बताएं मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग यह आरोप लगाते हैं कि सरकार उनकी जमीन लूट लेगी। चार साल के शासन में एक भी इंच जमीन नहीं ली गई है। जो लोग आदिवासियों का शोषण करते हैं, जिन लोगों ने राज्य में हर जगह आदिवासियों की जमीन औने-पौने दाम में खरीदी है, वे ही आज हम पर आरोप लगा रहे हैं। चुनौती देता हूं कि मेरा जमशेदपुर में एक घर के अलावा कोई संपत्ति हो तो बताएं। 1995 से विधायक हूं, लेकिन गड़बड़ी नहीं की। वहीं, हम पर आरोप लगानेवाले नेताओं में आदिवासियों की संपत्ति के लुटेरों का नाम और उनके द्वारा पूरे राज्य में अर्जित की गयी संपत्ति की पूरी सूची है।

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