मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बने जेएससीए के मुख्य संरक्षक
प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) के मुख्य संरक्षक बनाए गए हैं। यह निर्णय जेएससीए ने अपने संविधान से हटकर लिया।
जागरण संवाददाता, रांची : प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) के मुख्य संरक्षक बनाए गए हैं। जेएससीए ने मुख्यमंत्री के खेल प्रेम को देखते हुए उन्हें अपने संविधान से हटकर मुख्य संरक्षक बनाया है। साथ ही, मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक कुमार (पिंटु) भी जेएससीए के आजीवन सदस्य बनाए गए हैं।
जेएससीए के सचिव संजय सहाय ने बताया कि इस संबंध में इस साल जनवरी माह में मुख्यमंत्री का मंतव्य ले लिया गया था। हालांकि, मुख्यमंत्री को कब मुख्य संरक्षक बनाया गया इससे अधिसंख्य सदस्य अनभिज्ञ थे। लेकिन, कुछ सदस्यों के अनुसार 30 अगस्त को ऑनलाइन हुई वार्षिक आमसभा (एजीएम) में जब वार्षिक रिपोर्ट सदस्यों को दी गई थी, तब उसमें हेमंत सोरेन को मुख्य संरक्षक दिखाया गया था।
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जेएससीए संविधान में नहीं है मुख्य संरक्षक का पद :
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोढ़ा समिति लागू होने के पहले व वर्तमान में जेएससीए के संविधान में इस पद का नाम नहीं है। जेएससीए संविधान के अनुसार राज्य के राज्यपाल जेएससीए का पैट्रन इन चीफ होंगे। इसके बाद संरक्षक, मानद सदस्य, जिला, स्कूल-क्लब व संस्थान के सदस्य आते हैं। पैट्रन इन चीफ के अलावा अन्य किसी के मनोयन को पहले एजीएम में रखा जाता है, फिर हाउस की सहमति से इसपर मुहर लगती है। जेएससीए ने संविधान से हटकर मुख्य संरक्षक का पद सृजित किया और हेमंत सोरेन से सहमति लेने के बाद मुख्य संरक्षक बनाया। वैसे, अभिषेक कुमार की आजीवन सदस्यता पर 30 अगस्त को हुई जेएससीए की वार्षिक आमसभा में मुहर लगी। इसी दिन पांच अन्य लोगों को भी आजीवन सदस्यता दी गई। इनमें जेएससीए की प्रेस सलाहकार प्रिया ओझा, चरणजीत कौर, कंट्री क्रिकेट क्लब के सचिव डॉ. नरेंद्र सिन्हा, मनोज कुमार व विक्की सलूजा शामिल हैं।
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11 साल बाद जेएससीए को आई सीएम की याद :
जेएससीए के पूर्व सदस्य व रांची जिला क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव सुनील कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जैसे खेल प्रेमी को तो पहले ही जेएससीए से जोड़ लेना चाहिए था। लेकिन, जेएससीए को उनकी याद 11 साल के बाद आई। उन्होंने कहा कि 2008 में स्टेडियम की नींव तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने रखी थी और हेमंत सोरेन भी उस समारोह में आए थे। लेकिन, उसके बाद जेएससीए को उनकी याद नहीं आई। अब 11 साल बाद जब वे मुख्यमंत्री हैं, तब उन्हें मुख्य संरक्षक बनाया गया है। जेएससीए ने पुराने सदस्यों (जिसमें कई राजनेता हैं) को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। खेल में राजनीति नहीं होनी चाहिए। क्रिकेट के विकास के लिए सभी व्यक्ति को साथ लेकर चलना चाहिए।
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