मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार से फिर कहा कि झारखंड के तीन मेडिकल कालेजों में दाखिले की दें इजाजत
शैक्षणिक सत्र 2019-2020 के लिए एमबीबीएस में सौ-सौ सीटों पर दाखिला भी हुआ था। वर्ष 2020 के अक्टूबर में नेशनल मेडिकल काउंसिल ने यह कह कर इन कालेजों में दाखिले पर रोक लगा दिया कि कालेजों में सहायक प्रोफेसर और विभिन्न पदों पर कर्मचारी नहीं हैं।
जागरण ब्यूरो, रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेशनल मेडिकल काउंसिल से हजारीबाग, पलामू और दुमका मेडिकल कालेजों में छात्रों के नए प्रवेश को रोकने के फैसले पर पुनः विचार करने का अनुरोध पत्र के माध्यम से किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि विगत माह भी पुनर्विचार से संबंधित आग्रह पत्र काउंसिल को प्रेषित किया गया था। साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से भी झारखंड के छात्रों के भविष्य के लिए ससमय विचार करने का अनुरोध किया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को टवीट कर यह जानकारी दी है। मालूम हो कि नेशनल मेडिकल काउंसिल ने हजारीबाग, पलामू और दुमका मेडिकल कालेजों में इस वर्ष दाखिले पर रोक लगा रखी है। इससे झारखंड के गरीब छात्र बहुत परेशान हैं।
नेशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा इसलिए दाखिले पर लगाई गई रोक
उल्लेखनीय हो कि पलामू, हजारीबाग और दुमका मेडिकल कालेज सह अस्पताल का शुभारंभ वर्ष 2019 में 17 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। शैक्षणिक सत्र 2019-2020 के लिए एमबीबीएस कोर्स में क्रमश: सौ-सौ सीटों पर दाखिला भी हुआ था। लेकिन वर्ष 2020 के अक्टूबर महीने में नेशनल मेडिकल काउंसिल ने यह कह कर इन कालेजों में दाखिले पर रोक लगा दिया कि कालेजों में सहायक प्रोफेसर और विभिन्न पदों पर कर्मचारी नहीं हैं। नेशनल मेडिकल काउंसिल के सचिव डाक्टर आर के वत्स ने खुद अपने पत्र में इसका उल्लेख किया था। पत्र के बाद से ही एमबीबीएस में नए दाखिले बंद हो गए। यह पत्र तीनों मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों को प्राप्त हुआ था। वैसे इससे पूर्व भी नेशनल मेडिकल काउंसिल ने फरवरी के महीने में ही कई कमियों की ओर इशारा किया था। सरकार ने तीन महीने के भीतर इन कमियों को दूर कर लेने का वचन दिया था, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई। अंतत: नेशनल मेडिकल काउंसिल को कठोर कदम उठाना पड़ा।
झारखंड के गरीब छात्रों के लिए बहुत बड़ा नुकसान
उधर, मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए काउंसिल का दौर चल रहा है। छात्र चाह कर भी इन कालेजों में दाखिला नहीं ले पा रहे हैं। खासकर झारखंड के रहने वाले गरीब छात्र विशेष रूप से परेशान हैं। इन कालेजों की कुल तीन सौ सीटों में आदिवासी छात्रों के लिए करीब 100 सीटें आरक्षित हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें। एक तरह से देखा जाए तो झारखंड जैसे गरीब राज्य के लिए इन तीनों मेडिकल कालेजों में दाखिला बंद होना बहुत बड़ा नुकसान है। झारखंड के ही जमशेदपुर शहर में खुले टाटा-मणिपाल मेडिकल कालेज की फीस ज्यादा होने के कारण यहां के गरीब छात्र चाह कर भी दाखिला लेने में अक्षम हैं। कई जिलों में छात्र और अभिभावक तीन मेडिकल कालेजों को खोलने की मांग को लेकर डीसी और अन्य अधिकारियों का दरवाजा खटखटा चुके हैं। मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप के लिए गुहार लगा चुके हैं।
राज्य में सरकारी अस्पतालों की स्थिति भी बेहद खराब
स्वास्थ्य के मामले में पहले ही झारखंड की स्थिति बेहतर नहीं है। कहने के लिए गांवों से शहर तक सरकारी अस्पताल का संजाल है, लेकिन डाक्टर व नर्स नहीं तो कहीं मेडिकल कर्मचारी व संसाधनों का टोटा है। जहां डाक्टर काम कर रहे हैं, वे वेतन के लिए तरस रहे हैं। गरीब मरीजों का इलाज भगवान भरोसे है। प्राइवेट में इलाज कराना सबके बस की बात नहीं। ऐसी बदरंग स्थिति में तीन नए मेडिकल कालेज व अस्पतालों में दाखिले पर पाबंदी से समस्या और गहरा गई है। एमबीबीएस की पढ़ाई के इच्छुक छात्र क्या करें और कहां जाएं, समझ में नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री, राज्यपाल से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख रहे हैं। भविष्य अंधकारमय होने की बात कहकर गुहार लगा रहे हैं। इंडियन मेडिकल काउंसिल ने भी राज्य में सरकारी मेडिकल कालेज खुलकर बंद होने की घटना को दुखद बताया है। केंद्र और राज्य सरकारों से पलामू, हजारीबाग और दुमका में खुले इन मेडिकल कालेजों में दाखिला शुरू करने की अपील कर चुका है।