Jharkhand CM Hemant Soren: मुख्यमंत्री हेमंत के घर आज बजेगी शहनाई, गांव के हर घर में भेजा है बहन की शादी का कार्ड
Jharkhand CM Hemant Soren मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चचेरी बहन आशा सोरेन आज मंगलवार को परिणय सूत्र में बंधेगी। नेमरा में बोकारो से रात में बरात पहुंचेगी। मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन मां रुपी सोरेन व चाची के अलावा कई सगे संबंधी शामिल हुईं।
गोला,रामगढ़{लाल किशोर महतो} । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चचेरी बहन आशा सोरेन आज मंगलवार को परिणय सूत्र में बंधेगी। नेमरा में बोकारो से रात में बरात पहुंचेगी। सोमवार को मेहंदी रस्म की अदायगी हुई। मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन, मां रुपी सोरेन व चाची के अलावा कई सगे संबंधी शामिल हुईं। मेंहदी रस्म के बाद सोरेन परिवार के सदस्य व गांव के लोग बस, स्कार्पियो व बोलेरो से तिलकोत्सव में शामिल होने के लिए दोपहर बाद बोकारो के बालीडीह राधानगर स्थित झोपड़ो गांव के लिए रवाना हुए। मुख्यमंत्री ने गांव के हर घर में शादी का आमंत्रण पत्र भेजा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चचेरी बहन की शादी पूरी तरह से संताली रीति-रिवाज व पैतृक गांव नेमरा में पुरखों द्वारा चलाई जा रही परंपरा के साथ हो रही है। शादी का निमंत्रण कार्ड बिल्कुल ही साधारण, लेकिन सबसे अलग व आकर्षक है। थाली-लोटा और आम पल्लव की तस्वीर के साथ निमंत्रण कार्ड बाहा बाप्ला के नाम से है। संताली में बाहा बाप्ला को शुभ-विवाह कहा जाता है। निमंत्रण कार्ड संताली भाषा में है। इसे हिंदी में परिभाषित किया गया है। शादी का कार्ड गांव के सभी लोगों को मिला है। शादी का कार्ड पाकर नेमरा, रौ रौ, नरसिंहडीह, सरगडीह आसपास के ग्रामीण काफी खुश हैं।
शिबू सोरेन को भी अपनी भतीजी से है खास लगाव
पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के छोटे भाई शंकर सोरेन का निधन वर्षों पूर्व हो गया था। उन्हें शंकर सोरेन से काफी प्यार था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने चाचा शंकर सोरेन की गोद में खेले, पले और बढ़े हैं। मंगलवार को उस लाडली की शादी होने वाली है, जिनके पिता शंकर सोरेन अपने पैतृक गांव नेमरा में ही जीवन बसर किए। अपने गांव से उनका खास लगाव रहा। सोरेन परिवार की गांव में मौजूद संपत्ति परिसंपत्ति की देखरेख शंकर सोरेन और उनके परिवार के लोग ही किया करते हैं। सांसद शिबू सोरेन तो राजनीति में इधर-उधर भ्रमण किया करते थे। सबसे बड़े भाई राजाराम सोरेन भी बाहर ही रहे।
भाई लालू सोरेन और रामू सोरेन भी गांव से बाहर ही रहकर गुजर-बसर करते थे। सोरेन परिवार का ज्यादा सदस्य बाहर में रहने के बावजूद परिवार के सभी सदस्य कभी अपने पैतृक गांव को नहीं भूले। अपना सारा कार्यक्रम परंपरा के अनुसार अपने पैतृक गांव में ही करते रहे। इससे उनके परिवार के सदस्य और गांव वाले काफी खुश रहा करते हैं। ग्रामीण गर्व से कहते हैं- सोरेन जी का परिवार तो कहीं से भी बड़ा आयोजन कर सकता था, परंतु यह परिवार हमेशा गांव में ही आकर, गांव और परिवार का ख्याल रखकर परंपरा निभाता रहा है।