Move to Jagran APP

राष्ट्र सेविका समिति की मुख्य संचालिका ने कहा, विश्व में हिदू चिंतन ही नारी को देता है सर्वोच्च सम्मान

राष्ट्र सेविका समिति की मुख्य संचालिका शांता अक्का ने कहा कि विश्व में हिंदू चिंतन ही महिलाओं को देता है सर्वोच्च सम्मान। वे राष्ट्र सेविका समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन के अवसर पर संबोधित कर रही थीं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 02:57 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 06:13 AM (IST)
राष्ट्र सेविका समिति की मुख्य संचालिका ने कहा, विश्व में हिदू चिंतन ही नारी को देता है सर्वोच्च सम्मान
राष्ट्र सेविका समिति की मुख्य संचालिका ने कहा, विश्व में हिदू चिंतन ही नारी को देता है सर्वोच्च सम्मान

जागरण संवाददाता, रांची : राष्ट्र सेविका समिति की मुख्य संचालिका शांता अक्का ने कहा कि विश्व में हिदू चिंतन ही नारी को सर्वोपरि सम्मान देता है। कई धर्मो में नारी को भोग की वस्तु माने जाने के कारण समाज का नैतिक पतन बढ़ा है। बच्चों पर इसका गलत प्रभाव पर रहा है। समाज को इसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है। वे सोमवार को राष्ट्र सेविका समिति की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन सत्र को संबोधित कर रहीं थीं। बैठक का आयोजन सरला बिरला विश्वविद्यालय के कैंपस में किया गया था। मुख्य संचालिका ने कहा कि भारत की महान संस्कृति का संरक्षक मातृशक्ति ही है। मातृशक्ति गुरु से भी अधिक वंदनीय है। क्षमा की प्रतिमूर्ति है व साक्षात ईश्वर का स्वरूप है। भारत को परम वैभव पर ले जाना है

loksabha election banner

शांता अक्का ने कहा कि भारत को परम वैभव पर ले जाने के लिए सभी बहनों को मिलकर कार्य करना है। किसी भी देश की पहचान वहां के समाज, परिवार एवं घरों से होती है। वर्तमान समय में परिवार व्यस्था पर पश्चिमीकरण का असर दिखने लगा है। इससे समाज एवं परिवार को बचाना है। हिदुओं के घरों में हिदुत्व एवं आत्मीयता का भाव कैसे दिखे प्रयास करना होगा। यह सब हम नारियों के कंधों पर ही है। उन्होंने कहा कि डॉ एनी बेसेंट ने कहा था- हिंदुत्व ही वह मिट्टी है जिसमें भारत की जड़ें गहरी जमी हुई है और यदि उस भूमि से उसे उखाड़ दिया गया तो भारत वैसे ही सूख जाएगा जैसे कोई वृक्ष भूमि से उखाड़ने पर सूख जाता है। पर्यावरण में असंतुलन पैदा होने के लिए हम सब जिम्मेदार

बैठक के समापन के उपरात शाता अक्का ने कार्यक्रम स्थल पर नीम के पेड़ का पौधा लगाया। इस अवसर पर कहा कि भूमि, जल, वायु, जीव जंतु और वनस्पतियों के रूप में वाह्य पर्यावरण और आत्मा के रूप में आतरिक पर्यावरण दोनों ही परमात्मा के बनाए हुए हैं। उनकी एकात्मता को समझा जाना चाहिए। इसके नष्ट होने से प्रदूषण होती है। आज पर्यावरण में जो असंतुलन पैदा हुआ है। इसके लिए हम सब दोषी हैं। अपनी परंपराओं में पौधारोपण एक अति महत्वपूर्ण कार्य माना गया है। इसे धार्मिक दृष्टि से भी संरक्षण मिला है। हिदुओं के मंगल कार्यो में भी पर्यावरण को ध्यान में रखा गया है। इसे अभियान के रूप में चलाने की जरूरत है। मौके पर मुख्य कार्यवाहिका अन्नदानम सीता गायत्री, अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका सुनीता हल्देकर, अलका ईमानदार, सुलभा देशपाडे, झारखंड प्रांत की कार्यवाहिका शारदा गुप्ता, सह कार्यवाहिका त्रिपुला दास, संचालिका उषा सिंह, शालिनी सचदेव सहित सैकड़ों बहनें उपस्थित थीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.