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केंद्रीय मंत्री के आदर्श ग्राम में मुखिया दंपती ने मजदूर बन लाखों डकारे

मंत्री ने जिस गांव को आदर्श बनाने के लिए गोद लिया उसी की मुखिया व उसके पति मजदूर बनकर लाखों डकार गए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 28 Nov 2017 02:30 PM (IST)Updated: Tue, 28 Nov 2017 06:39 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री के आदर्श ग्राम में मुखिया दंपती ने मजदूर बन लाखों डकारे
केंद्रीय मंत्री के आदर्श ग्राम में मुखिया दंपती ने मजदूर बन लाखों डकारे

आलोक दीक्षित, रांची। केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री व हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा ने 2014 में चुरचू प्रखंड (झारखंड) के जिस जरबा गांव को आदर्श बनाने के लिए गोद लिया उसी की मुखिया लक्ष्मी देवी व उसके पति पूर्व मुखिया रामदुलार साव मनरेगा में मजदूर बनकर लाखों डकार गए। दोनों संपन्न परिवार से हैं।

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दोनों ने मनरेगा की राशि में ही गड़बड़ी नहीं की बल्कि अन्य योजनाओं की राशि में भी जमकर गोलमाल किया। अपने साथ-साथ अपने लोगों को भी फर्जी तरीके से लाभ पहुंचाया। 2011 से 2017 के बीच इस दंपती ने लाखों रुपये हजम कर लिए। इसका पर्दाफाश आरटीआइ एक्ट के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ।

चुरचू प्रखंड कार्यालय से मिली 3140 पन्नों की जानकारी में इस बात का जिक्र है कि मनरेगा में हुए घपले-घोटाले में मुखिया के अलावा तत्कालीन बीडीओ, कंप्यूटर ऑपरेटर और वेंडर की भी मौन सहमति रही। दरअसल, इन लोगों ने मुखिया द्वारा विभिन्न मदों में प्रस्तुत किए गए सैकड़ों फर्जी बिलों पर कभी भी कोई आपत्ति ही नहीं जताई। आंखें मूंदकर अपनी स्वीकृति दे दी। पास किए गए इन बिलों पर इन लोगों के हस्ताक्षर भी मौजूद हैं।

हजारीबाग के सामाजिक कार्यकर्ता शमशेर आलम ने आरटीआइ के तहत इस मामले की जानकारी मांगी थी। इस पर 21 अगस्त को उन्हें यह जानकारी उपलब्ध कराई गई थी। इसके बाद उन्होंने चुरचू की मौजूदा बीडीओ नीतू सिंह को क्रमश: 28, 29 एवं 31 अगस्त को इस मामले की जांच करने के लिए तीन आवेदन दिए। शमशेर का कहना है कि बीडीओ इस मामले में जांच करने की बजाय इसे रफा-दफा करने में लग गईं। इस पर शमशेर ने 16 अक्टूबर को प्रथम अपीलीय पदाधिकारी से इस मामले में उचित कार्रवाई के लिए आवेदन दिया। मामला आगे बढ़ने पर अब बीडीओ आरटीआइ एक्ट के तहत कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं करा रही हैं।

यहां अनियमितताएं

- मनरेगा के वेंडरों ने अपने बिल में राजमिस्त्री को दिए गए पैसों का भी जिक्र किया है। जबकि मनरेगा में यह साफ निर्देश है कि मजदूरों का भुगतान उनके बैंक खातों में किया जाए।

- जिस कुएं का निर्माण जरबा पंचायत के बाहर किया गया, उसका भुगतान भी मुखिया ने अपनी पंचायत से किया। ऐसा अपने लोगों को लाभ देने के लिए किया गया।

- मनरेगा के जिस वेंडर ने 2012 में फर्जीवाड़ा किया, उस पर कानूनी कार्रवाई करने की बजाय पुन: उसी को 2013-14 में सप्लाई ऑर्डर दिया गया। बीडीओ, चुरचू नीतू सिंह का कहना है कि लगभग तीन माह पहले इस संबंध में आवेदन मिला था। अपने स्तर से जांच कर मैंने पूरी रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी है। साथ ही उपायुक्त स्तर से भी जांच के लिए टीम का गठन किया गया है।

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