Move to Jagran APP

मुश्किलों ने तराशा, हौसले ने बना दिया चैंपियन

जिले के ठेठईटांगर प्रखंड के टूकुपानी पंचायत के जामबहार के छोटे से गांव से चैंपियन निकली है।

By Edited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:24 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 09:27 AM (IST)
मुश्किलों ने तराशा, हौसले ने बना दिया चैंपियन
मुश्किलों ने तराशा, हौसले ने बना दिया चैंपियन

रांची, जासं। सिमडेगा जिले के ठेठईटांगर प्रखंड के टूकुपानी पंचायत के जामबहार के छोटे से गांव मांझीटोली में मिट्टी के बने एक खपरैल झोपड़ीनुमा घर को बाहर से आप देखें तो शायद ही समझ पाएं कि यह हॉकी के किसी नेशनल चैंपियन का घर है। इस घर में पली-बढ़ी जूनियर झारखंड टीम की रोपनी कुमारी समेत झारखंड के ग्रामीण इलाकों में बिखरी ज्यादातर प्रतिभाओं की जमीन से जुड़ी पहचान उन्हें और भी खास बनाती है। मुश्किल हालात से जूझती रोपनी ने भी संघर्ष को ही अपनी ताकत बनाया और हौसले के दम पर सफलता का परचम लहराया। वह विगत जूनियर नेशनल हॉकी प्रतियोगिता में चैंपियन रहनेवाली झारखंड टीम की सदस्य रही है।

loksabha election banner

शरीफे के फल से शुरू किया था खेलना : गरीबी में बांस की स्टिक और सूखे शरीफे के फल से हॉकी खेलते-खेलते रोपनी कब चैंपियन बन गई, यह उसके घर-गांव के लोग समझ ही नहीं पाए। बकौल रोपनी जब उसने खेलना शुरू किया था तो उसे भी नहीं पता था कि वह किस स्तर तक खेलेगी।

बचपन में ही सिर से उठा पिता का साया, मां का मिला साथ : रोपनी कुमारी बताती हैं कि बचपन में ही उसके सिर से पिता का साया उठ गया। पिता रातू मांझी का देहांत होने के बाद पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। ऐसे में मां ने मेहनत-मजदूरी कर बच्चों को पाला। वह खुद हिम्मत से काम लेने के साथ-साथ बच्चों की हौसला अफजाई भी करती रही। मुझसे बड़े दो भाइयों विजला मांझी व तिरपन मांझी के कंधों पर भी घर चलाने की जिम्मेवारी आन पड़ी। फिलहाल परिवार का बड़ा बेटा विजला कमाने के लिए परदेस गया हुआ है। छोटी बहन 7वीं में पढ़ती है।

जुनून ऐसा कि खेत को ही बना लिया मैदान : रोपनी जब कुछ बड़ी हुई तो गांव के मध्य विद्यालय में पढ़ने जाने लगी। इस दौरान उसपर हॉकी खेलने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि वह कभी स्कूल के मैदान तो कभी खेत में ही हॉकी खेलने लगती थी। इसी बीच वह हॉकी प्रशिक्षण केंद्र से जुड़ी, जहां उसे खेलने के लिए बेहतर स्थान, उपकरण, प्रशिक्षण आदि मिला तो उसके खेल में और निखार आया। वहीं मनोज कोनबेगी और कमलेश्वर मांझी का भी बेहतर सहयोग मिला। इस दौरान परिवार का भी पूरा सहयोग मिला।

देश के लिए खेले बेटी : रोपनी की मां पतरा देवी ने बताया कि उसकी बेटी 14 फरवरी को सिमडेगा लौटी है, लेकिन अभी घर नही आई है। उसने फोन पर बात किया था तो अपना हाल चाल बताया। मां और भाई-बहन का हालचाल भी लिया। पतरा देवी अपनी बेटी की सफलता से काफी खुश हैं। बेटी देश के लिए खेले और पूरी दुनिया में देश का मान बढ़ाए। गांव स्तर पर ऐसे खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने का प्रयास हो तो और बेहतर स्थिति हो सकती है।

खिलाड़ियों को मिले प्रोत्साहन : रोपनी इन दिनों हॉकी प्रशिक्षण केंद्र सिमडेगा में है, जहां वह प्रतिदिन चार घंटे अभ्यास करती है। उसने कहा कि खिलाड़ियों को स्कॉलरशिप मिलनी चाहिए, जिससे उन्हें आर्थिक सहयोग मिल सके। रोपनी 2017 में झारखंड की सबजूनियर टीम शामिल रही थी। इस दौरान उसका जबर्दस्त प्रदर्शन रहा था। 2018 में वह सब जूनियर झारखंड टीम में चयनित हुई, जबकि 2019 में जूनियर झारखंड टीम चयनित रोपनी ने चार गोल कर शानदार प्रदर्शन किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.