चैंबर ने सरकार की औद्योगिक विकास की नीति को बताया अस्पष्ट
रांची राज्य में औद्योगिक विकास के लिए सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है। इसलिए उद्योग-धंधे चौपट हो रहे हैं। चैंबर के अध्यक्ष दीपक मारू ने ये बातें कहीं।
जागरण संवाददाता, रांची : राज्य में औद्योगिक विकास के लिए सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है। इसलिए उद्योग-धंधे चौपट हो रहे हैं। बाजार में मंदी छायी है और व्यवसायी धंधा छोड़ने को मजबूर हैं। दरअसल, सरकार योजनाएं बनाती तो हैं लेकिन विभागीय अधिकारी इसपर अमल नहीं करते। चैंबर ने कई बार सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया, लेकिन परिणाम शून्य ही निकला। ये बातें बुधवार को झारखंड चैंबर के अध्यक्ष दीपक मारू ने प्रेस वार्ता के दौरान कही।
दीपक मारू ने कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास बार-बार औद्योगिक इकाइयों को निर्बाध बिजली आपूर्ति देने की बात कहते हैं, लेकिन पावर कट की समस्या बनी हुई है। सिंगल विंडो सिस्टम, इज ऑफ डूइंग बिजनेस भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। मामूली कार्य के लिए विभाग का चक्कर काटना व्यवसायियों की मजबूरी बन गई है। सरकार और पदाधिकारी के बीच जब तक संवादहीनता बनी रहेगी, तबतक राज्य में उद्योग-धंधा नहीं बढ़ सकता। मुख्यमंत्री आवास के सामने लगाया बैनर
राज्य में व्याप्त मंदी की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए चैंबर की ओर से मुख्यमंत्री आवास सहित चार प्रमुख स्थानों पर बैनर लगाए गए हैं। बैनर में व्यापारियों की मार्मिक पुकार, अब तो सुध लो सरकार.. नारा लिखा हुआ है। चैंबर अध्यक्ष का कहना है कि राज्य व उद्योग हित में सरकार का ध्यान खींचने के लिए यह बैनर लगाए गए हैं। इस प्रकार के बैनर राज्य के सभी जिलों में लगाए जाएंगे। बैनर में बिजली की आंख मिचौली जारी है, आज एक और बंदी की बारी है.., सिंगल विंडो सिस्टम का एक ही मोटो, दर-दर के तुम चक्कर काटो.. आदि नारे वाले बैनर भी लगाए गए हैं। बड़े काम बाहरी कंपनी को सौंप देंगे तो राज्य में उद्योग कैसे बढ़ेगा : अजय भंडारी
उद्योग उप समिति के चेयरमैन अजय भंडारी ने कहा कि बड़े-बड़े प्रोजेक्ट बाहरी कंपनी को सौंप दिए जाते हैं। ऐसी कंपनियां बाहर से ही सामान की खरीद करती हैं। स्थानीय लोगों को सरकारी खरीद में प्राथमिकता नहीं दी जाती। ऐसे में राज्य में उद्योग कैसे पनपेंगे। यहां के लोगों को कुछ काम मिलता भी है तो उसका समय पर पेमेंट नहीं होता है। निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदारों के सैकड़ों करोड़ रुपये बकाया हैं। इस कारण बाजार में पूंजी का अभाव हो गया है। सरकार मंत्री-अधिकारियों द्वारा तैयार गलत आंकड़े-रिपोर्ट को सही मानती है। ग्राउंड रियलिटी पर ध्यान नहीं देती। मोमेंटम झारखंड के दौरान भी चैंबर ने सरकार को चेताया था कि जिस रास्ते से आप औद्योगिकीकरण की बात करते हैं, उससे औद्योगिकीकरण नहीं होगा।
भ्रष्टाचार में डूबे जेबीवीएनएल को सरकार छोड़ने को तैयार नहीं : विनोद तुलस्यान
बिजली उप समिति चेयरमैन बिनोद तुलस्यान ने कहा कि तमाम घोषणाओं और दावों के बाद भी बिजली की उपलब्धता और दर व्यापार को चौपट करने के लिए काफी है। मगर जिद का आलम यह है कि हजार करोड़ घाटा खानेवाला, भ्रष्टाचार के कंठ तक लिप्त जेबीवीएनएल को सरकार छोड़ने को तैयार नहीं है। राज्य में बिजली वितरण की व्यवस्था तो खराब है ही, संचरण व्यवस्था भी ठीक नहीं है। अपने बच्चे को कभी परिवहन धंधे में नहीं आने दूंगा : अरुण बुधिया
बस ट्रासपोर्ट एसोसिएशन उप समिति चेयरमैन अरूण बुधिया का कहना था कि एकीकृत बिहार में परिवहन सेक्टर देश में अव्वल था। झारखंड गठन के बाद से परिवहन सेक्टर को चौपट कर दिया गया है। विभाग रोज नया-नया नियम बनाता है ताकि बस ऑनर परेशान हों। परिवहन प्राधिकार की बैठकों में बिना बस ऑनर से चर्चा किए अव्यवहारिक निर्णय ले लिये जाते हैं। स्थिति ये है कि अब परिवहन सेक्टर से जुड़े लोग अपने बच्चों को नौकरी करने की सलाह देते हैं। वहीं, विनोद नेमानी ने जेसीबी, क्रेन आदि हेवी मशीन के लगाए जाने वाले एकमुश्त टैक्स को अव्यवहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि जेसीबी, लोडर, क्रेन आदि के रजिस्ट्रेशन के समय सात वर्ष का एकमुश्त 12 प्रतिशत रोड टैक्स जमा करने को कहा जाता है। ऐसा नियम अन्य किसी भी राज्य में नहीं है। विभागीय अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण नियम में बदलाव नहीं किया जा सका है।