Move to Jagran APP

झारखंड: इधर भुखमरी से मौत, उधर नहीं हो रहा 15 फीसद खाद्यान्न का उपयोग

Starvation. केंद्रीय खाद्य सचिव रविकांत ने कहा कि दो महीने की जगह 15 दिन से एक महीने का ही खाद्यान्‍न भंडारण हो रहा है। जबकि 48 घंटे की जगह एक सप्ताह में किसानों को भुगतान हो रहा है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 10:49 AM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 10:49 AM (IST)
झारखंड: इधर भुखमरी से मौत, उधर नहीं हो रहा 15 फीसद खाद्यान्न का उपयोग
झारखंड: इधर भुखमरी से मौत, उधर नहीं हो रहा 15 फीसद खाद्यान्न का उपयोग

रांची, राज्य ब्यूरो। एक तरफ झारखंड के दूर-दराज क्षेत्रों से अक्षम, असहाय लोगों की भूख से मौत के मामले गाहे-बगाहे सामने आते रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्र से झारखंड को होने वाली खाद्यान्न की कुल आपूर्ति में से 10 से 15 फीसद का उपयोग नहीं हो रहा है।यह चौंकाने वाली जानकारी केंद्रीय खाद्य सचिव ने दी है। कहीं राशन कार्ड तो कहीं आधार से लिंक नहीं होने के कारण लोगों को खाद्यान्‍न नहीं दिए जाने के मामले भी राज्‍य में सामने आ चुके हैं। ऐसे में इसे सिस्‍टम की लापरवाही का आलम यह है कि भूखे लोगों को अनाज नहीं देने के बावजूद 10 से 15 फीसद खाद्यान्‍न का उपयोग नहीं हो रहा है।

loksabha election banner

बता दें कि झारखंड में भूख के कारण हुई एक ग्यारह वर्षीय बच्ची की मौत का मामला अक्‍टूबर 2017 में सुर्खियों रहा था। तब इस मौत ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, सरकारी कार्यशैली और मानवता को कठघरे में ला खड़ा किया। हालांकि झारखंड सरकार के इंकार के बाद भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में भूख से किसी नागरिक की मौत होना सामान्य बात नहीं है। विडंबना यह है कि गरीबों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिए शुरू की गई जन-वितरण प्रणाली, अंत्योदय अन्न योजना, एकीकृत बाल विकास सेवाएं, समेकित बाल विकास परियोजना व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 जैसी तमाम सरकारी व्यवस्थाएं भी बच्ची को मौत के मुंह में जाने से रोक नहीं सकीं!

बीते दिन रांची में केंद्रीय खाद्य सचिव रविकांत ने कहा है कि झारखंड को होने वाली खाद्यान्न की कुल आपूर्ति में से 10 से 15 फीसद का उपयोग नहीं हो रहा है। खाद्यान्न के शत फीसद उपयोग के लिए उन्होंने राशन कार्ड में सूचीबद्ध परिवारों के एक-एक सदस्यों को आधार से जोडऩे का सुझाव दिया है। वर्तमान में 94 फीसद राशन कार्ड आधार से जोड़े जा चुके हैं, जबकि सूचीबद्ध सदस्यों में से 74 फीसद का ही इससे जुड़ाव है। वे सोमवार को मुख्य सचिव और खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अफसरों के साथ मंत्रणा कर रहे थे।

केंद्रीय सचिव ने कहा कि कंप्यूटराइज्ड खाद्यान्न वितरण में झारखंड अग्रणी राज्य है। इससे बहुत हद तक बिचौलियों का खात्मा हो गया है। इससे इतर कई इलाकों में भंडारण क्षमता की कमी समस्या उत्पन्न कर रही है। कुछ इलाकों में अभी भी 15 दिन से एक महीना की ही भंडारण क्षमता है, जबकि कम से कम दो महीने का स्टॉक होना चाहिए। इस पर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने चतरा के ईटखोरी के अलावा दुमका और गोड्डा के पोड़ैयाहट में गोदाम बनाए जाने की जानकारी दी।

केंद्रीय सचिव ने इस बीच किसानों से धान खरीद की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर किसानों को 48 घंटे के अंदर भुगतान हो जाना चाहिए, जबकि झारखंड में भुगतान की यह अवधि 15 दिन है। उन्होंने इसके लिए समय पर मिलिंग कराने तथा इसकी क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया। 

सरकार ने स्वीकारा गरीबी मिटाने और भुखमरी खत्म करने में झारखंड का 29 वां स्थान
राज्य सरकार ने स्वीकारा है कि सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 2018 के दो मानकों गरीबी मिटाना और भुखमरी खत्म करने के लक्षित मामलों में देश के सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में झारखंड का 29वां स्थान है। अल्पसूचित प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत के प्रश्न के जवाब में प्रभारी मंत्री अमर बाउरी ने इसे स्वीकारा। सुखदेव भगत ने यह भी पूछा कि क्या अच्छे स्वास्थ्य के मामले में झारखंड का देश में 23वां और आर्थिक विकास में 25वां स्थान है। उन्होंने संतोषी की मौत का मामला उठाते हुए पूछा कि भुखमरी की परिभाषा क्या है।

अमर बाउरी ने 29वें स्थान की बात स्वीकारते हुए कहा कि इसी लक्ष्य में हमें परफार्मिंग स्टेट की सूची में रखा गया है। उन्होंने इस दिशा में सरकार के स्तर से किए जा रहे प्रयासों को बताया। कहा, 86 फीसद आबादी को खाद्य सुरक्षा के दायरे में लाया गया है। कुछ कमियां हैं उन्हें दूर किया जाएगा। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि भूख से मौत पर राजनीति होती है, भूख से मरने से पहले कोई सूचना नहीं दी जाती है और मर जाने के बाद राजनीति करते हैं।

प्रदीप यादव ने भी भूख से मौत की परिभाषा पूछी। कहा, आखिर क्यों गरीबों को सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। इस पर अमर बाउरी ने कहा कि भूख से मौत एक कलंक है लेकिन यह भी बताएं कि यह शुरू कहां से हुआ था। कहा, हमने सभी पंचायतों में मुखिया को 10 हजार रुपये दिए हैं। हालांकि यह बहस किसी मुकाम तक नहीं पहुंची। स्पीकर दिनेश उरांव ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आपने पूछा था कि गरीबी मिटाने और भुखमरी खत्म करने में झारखंड का कौन सा स्थान है। अब सरकार ने जवाब दे दिया कि 29 वां स्थान है।

यह भी पढ़ें : उच्च विकास दर की चिंता में सरकारें, हकीकत बयां करता भुखमरी सूचकांक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.