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कस्तूरबा स्कूलों में अब बारहवीं तक का खर्च उठाएगा केंद्र

कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में अब बारहवीं तक की पढ़ाई के लिए केंद्र सरकार राज्य को आर्थिक मदद उपलब्ध कराएगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 09 May 2018 01:02 PM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 04:30 PM (IST)
कस्तूरबा स्कूलों में अब बारहवीं तक का खर्च उठाएगा केंद्र
कस्तूरबा स्कूलों में अब बारहवीं तक का खर्च उठाएगा केंद्र

नीरज अम्बष्ठ, रांची। राज्य में संचालित 203 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में अब बारहवीं तक की पढ़ाई के लिए केंद्र सरकार राज्य को आर्थिक मदद उपलब्ध कराएगी। केंद्र ने शुरू हो रहे 'समग्र शिक्षा अभियान' में पहली बार जहां इन स्कूलों को बारहवीं तक अपग्रेड करने का निर्णय लिया है, वहीं इसके लिए आर्थिक मदद देने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने इसकी जानकारी राज्य सरकार को दी है।

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अब तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित इन स्कूलों में केंद्र सरकार दसवीं कक्षा तक ही खर्च का जिम्मा (कुल खर्च का 60 फीसद) उठाती रही है। हालांकि राज्य में पहले से ही इन स्कूलों को बारहवीं तक अपग्रेड कर दिया गया है। ग्यारहवीं तथा बारहवीं की पढ़ाई तथा इन कक्षाओं के आवासन व अन्य खर्च का वहन राज्य सरकार अपने बजट से करती है। केंद्र द्वारा अब 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद देने से राज्य सरकार को 40 करोड़ 60 लाख रुपये वार्षिक अतिरिक्त राशि बजट में स्वीकृत होगी। इसमें 60 फीसद राशि अर्थात 24 करोड़ 36 लाख रुपये केंद्र सरकार देगी, जबकि राज्य सरकार को शेष 40 फीसद राशि का वहन करना होगा।

गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी की बैठकों में लगातार कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में बारहवीं तक की पढ़ाई का खर्च केंद्र द्वारा उठाने की मांग की थी। केंद्र से इसपर स्वीकृति मिलने से चालू वित्तीय वर्ष के लिए तैयार हो रहे बजट में इसे शामिल किया गया है। इसी माह 25 मई को दिल्ली में आयोजित पैब की बैठक में इस अभियान के बजट पर स्वीकृति मिलनी है।

जानें, किन कक्षाओं के लिए मिलेगी कितनी राशि

-कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई होने पर : प्रत्येक स्कूलं को 60 लाख रुपये वार्षिक।

-कक्षा छह से दस की पढ़ाई के लिए : प्रत्येक स्कूल को 80 लाख रुपये वार्षिक।

-कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई के लिए : प्रति स्कूल एक करोड़ रुपये वार्षिक।


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