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संत मारिया महागिरजाघर में प्रभु येसु के पवित्रतम हृदय का समारोह मना, बिशप ने सुनाया संदेश

शुक्रवार को पुरुलिया रोड स्थित संत मारिया महागिरिजाघर में प्रभु येसु के पवित्रतम हृदय का समारोह मनाया गया। इस अवसर पर ऑनलाइन मिस्सा अनुष्ठान का आयोजन किया गया। अनुष्ठान के मुख्य अनुष्ठाता आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो ने विश्वासियों के नाम संदेश जारी किया।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 02:29 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 02:29 PM (IST)
संत मारिया महागिरजाघर में प्रभु येसु के पवित्रतम हृदय का समारोह मना, बिशप ने सुनाया संदेश
संत मारिया महागिरजाघर में प्रभु येसु के पवित्रतम हृदय का समारोह मना। जागरण

रांची, जासं । शुक्रवार को पुरुलिया रोड स्थित संत मारिया महगिरिजघर में प्रभु येसु के पवित्रतम हृदय का समारोह मनाया गया। इस अवसर पर ऑनलाइन मिस्सा अनुष्ठान का आयोजन किया गया। अनुष्ठान के मुख्य अनुष्ठाता आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो ने विश्वासियों के नाम संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि सदियों से पृथ्वी के कोने-कोने में हृदय को प्रेम का प्रतीक माना गया है। हृदय शब्द प्रेम का पर्यायवाची बन गया है। मनुष्य के सभी अंगों की अपनी-अपनी भूमिका है, परन्तु हृदय उसके जीवित रहने का महत्त्वपूर्ण और केन्द्रीय अंग है। रोमी सैनिक ने क्रूस पर टंगे येसु के हृदय को भाले से छेेदित किया, यह जानने के लिए कि येसु जीवित है अथवा नहीं। हृदय मनुष्य के अस्तित्व और उसके सारे सोच-विचारों और उसकी भावनाओं, धरणाओं, प्रवृत्तियों आदि को समेट कर अपने में संजोए रखता है।

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हृदय प्रेम का प्रतीक है, लेकिन प्रेम की परिभाषा हम नहीं दे सकते हैं। हम सभी प्रेम का अनुभव करते हैं। हम दूसरों को प्रेम देते हैं और उनसे प्रेम लेते हैं। प्रेम का विपरीत है, घृणा जिसे शैतान और उसके अनुयायी देते हैं और लेते हैं। प्रेरित संत योहन कहते हैं कि ”ईश्वर प्रेम है“। यह एक प्रकार से ईश्वर की व्याख्या है, परिभाषा नहीं। ईश्वर ने अपने छलकते प्रेेम को साझा करने के लिए मनुष्य की सृष्टि की। उसने प्रत्येक मनुष्य की आत्मा में अपने प्रेम को रोप दिया है, जिसके कारण मनुष्य प्रेम करने और प्रेम देने में वाध्य और सक्षम है।

पुराने व्यवस्थान में ईश्वरीय प्रेम का प्रकटन: पुराने व्यस्थान की मानव-मुक्ति का इतिहास बतलाता है कि ईश्वर ने अपने दयामय प्रेम में, इब्राहिम को चुनकर उसके वंशज़ को चुनी हुई प्रजा बनाया। इस्राएलियों की करुण पुकार सुनकर मूसा की अगुवाई में उसने उन्हें मिश्र की दासता से मुक्त किया। उसने इस्राएलियों के साथ सिनाई पर्वत पर व्यवस्थान स्थापित किया और अपनी पवित्रा इच्छाओं को दस आज्ञाओं के रूप में प्रकट किया। राजाओं और नबियों को नियुक्त करकेे, बबिलोन के निर्वासन से वापस लाकर, येरुसालेम का भव्य मंदिर बनाकर और मुक्ति के लिए एक मसीह को भेजने की प्रतिज्ञा करके, ईश्वर ने इस्राएलियों को अपना अगाध प्रेम प्रकट किया।

नये व्यवस्थान में ईश्वर के प्रेम का प्रकटन: संत योहन ईश्वर के प्रेेम के बारे अपने पत्रा में लिखते हैं, ”ईश्वर हमको प्यार करता है। यह इससे प्रकट हुआ है कि ईश्वर ने अपने एकलौते पुत्रा को संसार में भेजा, जिससे हम उसके द्वारा जीवन प्राप्त करें“। हमारे प्रभु येसु ने मनुष्य के पापों की क्षमा के लिए, उसकी मुक्ति के लिए, शरीर धरण किया, भयंकर दुःख सहा, क्रूस पर अपने को बलिदान चढ़ाया और अपने पुनरुत्थान से हम सबको पुनरुत्थान की संतान बनाया।


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