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प्रबंधन की उपेक्षा से बीमार हो गया CCL गांधीनगर अस्पताल, मूलभूत सुविधा और मानव संसाधन की है घोर कमी

देश के चिकित्सकों की राय है कि आने वाले छह से आठ सप्ताह में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर लोगों को परेशान कर सकती है। ऐसे में झारखंड के सभी चिकित्सा संस्थान अपने यहां युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहे हैं।

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 08:19 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 08:19 AM (IST)
प्रबंधन की उपेक्षा से बीमार हो गया CCL गांधीनगर अस्पताल, मूलभूत सुविधा और मानव संसाधन की है घोर कमी
प्रबंधन की उपेक्षा से बीमार हो गया CCL गांधीनगर अस्पताल। जागरण

रांची, जासं। देश के चिकित्सकों की राय है कि आने वाले छह से आठ सप्ताह में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर लोगों को परेशान कर सकती है। ऐसे में झारखंड के सभी चिकित्सा संस्थान अपने यहां युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहे हैं। मगर सेंट्रल कोल फिल्डस का केंद्रीय अस्पताल गांधीनगर अभी भी मानव संसाधन की घोर कमी और मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। वर्तमान में अस्पताल में प्रबंधन के द्वारा सृजित आधे से ज्यादा पद खाली हैं। सीसीएल के सबसे बड़े अस्पताल का हाल ये हैं कि यहां मरीजों को पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिल पाता है। इसकी व्यवस्था भी बाहर से करनी पड़ती है।

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क्लास -4 और टेक्निशियन कर्मचारी का है अभाव

गांधीनगर अस्पताल में चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों और टेक्निशियन की भी कमी है। अस्पताल में आया, वार्डब्याज, पुरुष और महिला सफाईकर्मियों, जेनरेटर आपरेटर, फर्मासिस्ट, ईएंडटी टेक्निशियन, लैब टेक्निशियन आदि की कमी है। इनके कारण अस्पताल की व्यवस्था काफी प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही अस्पताल में व्हिल चेयर और स्ट्रेचर ट्राली भी पर्याप्त संख्या में नहीं है।

दवा के लिए भटक रहे परिजन

वहीं अस्पताल के कैंपस में दवाई दुकान तो है मगर उसमें आधी से ज्यादा दवाई नहीं मिलती है। खासकर सर्जिकल आइटम के लिए तो कांके रोड के दवा दुकानों में जाना ही पड़ता है। जबकि नियम के अनुसार कंपनी को कम से कम बाह्यं रोगियों को अस्पताल के अंदर से ही दवा देनी है। अस्पताल में इलाज के लिए बाहर से आने वाले मरीजों के लिए विश्राम गृह है मगर इसकी हालत काफी खराब है। इसमें किसी तरह से लोग दिन गुजारने के लिए मजबूर है।

दूसरे अस्पतालों में रेफर के लिए लगती है पैरवी

सीसीएल गांधीनगर अस्पताल में बिना किसी आला अफसर के पैरवी के मरीजों को किसी दूसरे अस्पताल में रेफर नहीं किया जाता है। वहीं रेफर करने में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की बातें मरीज बताते हैं। मरीजों का आरोप है कि यहां इलाज में काफी कोताही की जाती है। वहीं डॉक्टर के केबिन में दिनभर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव का आना जाना लगा रहता है। डॉक्टर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव के कहे अनुसार दवाई लिखते है। वहीं केबिन के बाहर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव मरीजों को दवाई मिलने का दुकान भी बता देता है।


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