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इलेक्ट्रोस्टील के रांची कार्यालय में भी सीबीआइ छापा, कई दस्तावेज जब्त

सीबीआइ टीम ने इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड कंपनी के रांची के कांके रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में छापेमारी की।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 10 Sep 2017 02:40 PM (IST)Updated: Sun, 10 Sep 2017 02:40 PM (IST)
इलेक्ट्रोस्टील के रांची कार्यालय में भी सीबीआइ छापा, कई दस्तावेज जब्त
इलेक्ट्रोस्टील के रांची कार्यालय में भी सीबीआइ छापा, कई दस्तावेज जब्त

जागरण संवाददाता, रांची। सीबीआइ टीम ने शनिवार को इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड कंपनी के रांची के कांके रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय, ओडिशा के सुंदरगढ़ स्थित मुख्य कार्यालय और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंती नटराजन के दिल्ली स्थित आवास में एक साथ छापेमारी की। ओडिशा के सुंदरगढ़ में कंपनी के प्रबंध निदेशक उमंग केजरीवाल के कार्यालय में भी सीबीआइ ने छापेमारी की।

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रांची के कांके रोड में उमाशांति अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 801 स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में सीबीआइ की टीम ने शनिवार को छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज को जब्त किया है। पश्चिम सिंहभूम के सारंडा में गलत तरीके से इलेक्ट्रोस्टील कंपनी को वन भूमि आवंटित किए जाने के मामले में सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की है, जिसकी मुख्य आरोपी पूर्व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन हैं। वर्ष 2014 में सीबीआइ ने इलेक्ट्रोस्टील कंपनी को वन भूमि देने के मामले की शिकायत मिलने पर जांच शुरू की थी।

शिकायत के दो साल पूर्व यूपीए सरकार की केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन थीं। जयंती नटराजन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों में फेर-बदल कर गलत तरीके से इलेक्ट्रोस्टील कंपनी को 55.79 एकड़ जमीन पर खनन के लिए क्लीयरेंस दे दिया था। कंपनी ने फॉरेस्ट कंवरसेशन एक्ट 2012 का उल्लंघन किया।

हाथी जोन में नियम को ताक पर रखकर दिया था क्लीयरेंस

पूर्व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन पर आरोप है कि उन्होंने नियम को ताक पर रखकर खनन के लिए क्लीयरेंस दिया था। पूर्व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के समय भी इलेक्ट्रोस्टील कंपनी ने 190 एकड़ जमीन पर खनन के लिए स्वीकृति मांगी थी, जिसमें 55.79 एकड़ भूखंड पर वन क्षेत्र होने के कारण खनन की स्वीकृति नहीं दी गई थी।

बताया गया था कि यह क्षेत्र हाथियों के लिए विचरण क्षेत्र है। वर्ष 2011 में जयंती नटराजन जब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री बनीं तो इलेक्ट्रोस्टील कंपनी एक बार फिर खनन स्वीकृति के लिए वहां पहुंची, जहां जयंती नटराजन ने उक्त कंपनी को खनन की स्वीकृति दे दी थी।

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