बूटी मोड़ दुष्कर्म कांड: साइको किलर को फांसी तक लाने वाले IO परवेज आलम ने खींची बड़ी लकीर
झारखंड पुलिस के 1994 बैच के दारोगा इंस्पेक्टर परवेज आलम सीबीआइ में अभी प्रतिनियुक्ति पर हैं। परवेज ने बीटेक छात्रा के हत्यारे दरिंदे को फांसी तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई।
रांची, राज्य ब्यूरो। बीटेक छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में दरिंदे को फांसी तक पहुंचाने में सीबीआइ के इंस्पेक्टर परवेज आलम ने बड़ी भूमिका निभाई। इंस्पेक्टर परवेज आलम कांड के अनुसंधानकर्ता हैं। वे झारखंड पुलिस के 1994 बैच के दारोगा हैं, जो झारखंड पुलिस ड्यूटी मीट के ओवरऑल चैंपियन भी रह चुके हैं। वे झारखंड पुलिस में डीएसपी के पद पर प्रोन्नत हैं, लेकिन सीबीआइ में इंस्पेक्टर हैं।
सीबीआइ के इंस्पेक्टर परवेज आलम को वर्ष 2014 में राष्ट्रपति वीरता पदक मिला था। उन्हें यह पदक झारखंड पुलिस में रहते हुए 11 सितंबर 2011 को आदित्यपुर में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में वीरता का प्रदर्शन करने के लिए मिला। इस मुठभेड़ में एक सिपाही शहीद हो गया था, लेकिन उग्रवादियों को हार का सामना करना पड़ा था। राष्ट्रपति वीरता पदक मिलने के बाद ही उन्हें झारखंड पुलिस में डीएसपी के पद पर प्रोन्नति मिली थी।
गढ़वा में सात हत्यारोपियों को दिलाई उम्र कैद की सजा
सीबीआइ के इंस्पेक्टर परवेज आलम जब झारखंड पुलिस में थे, तब मई 2017 में गढ़वा के जदपुरा में बालू घाट की ठेकेदारी के विवाद में एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या हो गई थी। कांड के अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर परवेज आलम बनाए गए थे। इंस्पेक्टर परवेज आलम ने अपराधियों को गिरफ्तार किया और अगस्त 2017 में चार्जशीट दाखिल की। इस केस में सात अपराधियों को अदालत से उम्र कैद की सजा हुई थी।
बीटेक छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले को खोजने वाले ये हैं टीम के जांबाज
इंस्पेक्टर परवेज आलम (अनुसंधानकर्ता), एएसआइ नीरज कुमार यादव, सिपाही प्रभात कुमार, आरिफ हुसैन, नैमन टोप्पो, अशोक कुमार, रीतेश पाठक व महिला सिपाही जूही खातुन।
सजा के बिंदु पर सुनवाई सुनने सीबीआइ के ये अधिकारी भी पहुंचे
डीआइजी अभय सिंह (रांची रेंज), नागेंद्र प्रसाद (एसपी सह एसीबी रांची के प्रमुख), विरोनिका लकड़ा (एएसपी)।
पटना पुलिस भी पहुंची थी कोर्ट
दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले राहुल राज को सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान पटना पुलिस भी रांची स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में पहुंची थी। अब पटना के कोर्ट में भी राहुल के खिलाफ 11 साल की बच्ची से दुष्कर्म करने व गला घोटकर हत्या की कोशिश करने के मामले में भी सजा होनी
बड़े मामलों को सिरे से खोलती है सीबीआइ, झारखंड पुलिस होती रही है फेल
झारखंड पुलिस अनुसंधान व सजा दिलाने के मामले में फेल होती रही है। इसके लिए ताजा उदाहरण है रांची की वार्डन सुचित्रा मिश्रा की हत्या, जिसमें रांची पुलिस की थ्योरी कोर्ट में टिक नहीं पाई और उसके सभी आरोपित कोर्ट से बरी हो गए। सफायर इंटरनेशनल स्कूल में छात्र विनय महतो के हत्यारोपी कोर्ट से बरी हो गए। वहीं, दूसरी तरफ देखा जाए तो केंद्रीय जांच एजेंसियां ही बड़े मामले को खोलती है। बीटेक छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में सीबीआइ ने न सिर्फ अपराधी को ढूढ़ निकाला, बल्कि उसे फांसी की सजा भी दिलाई। यह बेहतर अनुसंधान का ही परिणाम है जो झारखंड पुलिस को आइना दिखा रहा है।
कुछ बड़े मामले, जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी ने किया खुलासा
- बीटेक की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले को जब रांची पुलिस व झारखंड की अपराध अनुसंधान विभाग नहीं सुलझा पाई तो केस सीबीआइ को दिया गया। कांड का खुलासा हो गया। अपराधी को फांसी की सजा हुई।
- तमाड़ के पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में जब वर्षों तक रांची पुलिस व सीआइडी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो केस राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को सौंप दी गई। एनआइए ने चंद महीने में ही पूरे केस का खुलासा कर दिया और सभी आरोपितों को सलाखों के भीतर पहुंचा दिया। कांड अदालत में विचाराधीन है।
जिसमें झारखंड पुलिस का अनुसंधान कोर्ट में पहुंचते ही फुस्स हो गया
- धुर्वा में बहुचर्चित वार्डन सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड में रांची पुलिस का अनुसंधान कोर्ट में पहुंचते ही फुस्स हो गया। सभी आरोपित बरी हो गए। अब सुचित्रा मिश्रा का कातिल कौन है, यह पता ही नहीं।
- तुपुदाना में सफायर इंटरनेशनल स्कूल में छात्र विनय महतो की हत्या मामले में रांची पुलिस की थ्योरी कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर सकी। इस हत्याकांड में पुलिस ने जिन्हें आरोपित बनाते हुए जेल भेजा था, वे बरी हो गए।
- डोरंडा में नन्ही परी की दुष्कर्म के बाद हत्या के छह साल बाद भी रांची पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। नतीजा यह हुआ कि हाई कोर्ट में यह मामला पहुंच गया। अब हाई कोर्ट इस केस की मॉनीटङ्क्षरग कर रही है।
- झारखंड पुलिस के डीएसपी यूसी झा की डोरंडा में भीड़ ने हत्या कर दी थी। पुलिस की लचर अनुसंधान के कारण ही इस मामले में गिरफ्तार सभी आरोपित बरी हो गए।
अभियोजन व अनुसंधान में गुणात्मक सुधार की जरूरत : डीजीपी
डीजीपी कमल नयन चौबे ने बताया कि नक्सल फ्रंट पर झारखंड पुलिस बेहतर कर रही है, लेकिन अभियोजन व अनुसंधान में गुणात्मक सुधार की जरूरत है। जिन कांडों में आरोपित बरी हो गए, उन कांडों की समीक्षा की जाएगी। कहां कमी रही और क्या होना चाहिए था, इसकी भी समीक्षा होगी। राज्य को 2500 नए दारोगा मिले हैं, जिसका राज्य को लाभ मिलेगा। विधि व्यवस्था व अनुसंधान को अलग-अलग करने के मामले में प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जाएगा, ताकि बेहतर अनुसंधान हो और अपराधी को सजा दिलाया जा सके। है।