कोनार सिंचाई परियोजना: ... और निर्दोष साबित हुए चूहे, 4 इंजीनियर सस्पेंड; पढ़ें पूरी खबर
नहर टूटने के बाद सरकार की ओर से दावा किया गया था कि प्रारंभिक तौर पर ऐसा लगता है कि चूहों ने नहर में छेद कर दिया था जिससे वह पानी का दबाव नहीं सह सका।
रांची, राब्यू। आखिरकार चूहा निर्दोष साबित हो गया। कोनार सिंचाई परियोजना से जुड़े चार इंजीनियर सस्पेंड कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास के द्वारा उद्घाटन के महज 13 घंटे बाद कोनार सिंचाई परियोजना का केनाल टूट जाने पर सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। बीते दिन कोनार सिंचाई परियोजना नहर के एक हिस्से के बह जाने की पड़ताल के लिए गठित समिति ने नियत समय 24 घंटे के भीतर जल संसाधन विभाग को रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए चार इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में नहर में छेद करने का ठिकरा चूहों पर फोड़ा गया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि केनाल के निचले हिस्से का गेट जिसे स्केप रेगुलेटर कहा जाता है, बंद होने से यह घटना हुई है। चैनल का गेट बंद होने से पानी का दबाव बढ़ा और नहर का अपेक्षाकृत कमजोर हिस्सा बह गया।
जांच रिपोर्ट में किसी भी तरह के बड़े नुकसान की बात नहीं कही गई है। टूटे हिस्से की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है लेकिन इसमें समय लग सकता है। विभाग के अभियंता प्रमुख हेमंत कुमार ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि जांच रिपोर्ट में चूहों का कहीं जिक्र नहीं। जबकि नहर टूटने के बाद सरकार की ओर से दावा किया गया था कि प्रारंभिक तौर पर ऐसा लगता है कि चूहों ने नहर में छेद कर दिया था जिससे वह पानी का दबाव नहीं सह पाई। मीडिया में यह सवाल उठाया गया था कि कैसे 2200 करोड़ के प्रोजेक्ट को एक ही दिन में चूहों ने धराशाई कर दिया।
बता दें कि उद्घाटन के महज 12 घंटे बाद ही कोनार नहर का एक हिस्सा बगोदर प्रखंड के पास बह गया था जिससे आसपास के खेत पानी व मिट्टी से भर गए हैं। नहर में लबालब पानी भरा था और इसका एक हिस्सा पानी का बहाव नहीं सह सका और तटबंध टूट गया। 42 साल के लंबे इंतजार के बाद पूरी हुई कोनार नहर परियोजना का उद्घाटन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था।
गेट बंद होने को माना शरारत या भूल :
जल संसाधन विभाग ने मामले की जांच के लिए मुख्य अभियंता, मुख्यालय मो. सनाउल्लाह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम गठित की गई थी। इसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। स्थल भ्रमण के क्रम में टीम ने पाया कि नहर के टूटे हिस्से से करीब छह सौ मीटर नीचे एक स्केप चैनल था, जो करीब एक फीट खोल कर रखा गया था। ऐसा पानी का बहाव सामान्य बनाने के लिए किया गया था लेकिन रात में इस गेट को किसी ने शरारतवश या भ्रमवश बंद कर दिया। किसने बंद किया यह स्पष्ट नहीं हो सका।
गेट बंद होने से नहर में जल जमाव आवश्यकता से अधिक हो गया। दबाव बढ़ा ओर जो हिस्सा कमजोर था टूट गया। नहीं हुआ अधिक नुकसान टीम ने रिपोर्ट में बताया है कि नहर का करीब 28-30 मीटर का हिस्सा टूटा है। नहर के टूटने से 10-15 एकड़ खेतों में पानी भर गया। केनाल के टूटे हिस्से की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है लेकिन इसमें कुछ समय लग सकता है। करीब सौ फीट मिट्टी भरनी होगी।
विभागीय लापरवाही से इन्कार नहीं
जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट स्पष्ट तो नहीं लेकिन सांकेतिक तौर पर नहर टूटने की एक वजह लापरवाही को भी बता रही है। सामान्य तौर पर नहर में पानी छोड़े जाने के बाद केनाल के प्रत्येक हिस्से को चेक किया जाता है कि कहीं पानी रिस तो नहीं रहा है लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया। यदि शाम या रात को ही सभी चेक प्वाइंट चेक कर लिए गए होते तो ऐसी घटना नहीं होती।
जागरण का सवाल : .. तो दोषी कौन!
कोनार सिंचाई परियोजना की नहर टूटने की घटना को गेट बंद होने के तकनीकी बिंदुओं से जोड़ दिया गया है। सीधे तौर पर विभागीय अभियंताओं को उनकी जवाबदेही से बचाया भी जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि नहर में पानी छोड़े जाने के बाद संवेदनशील स्थानों की जांच क्यों नहीं की गई। नहर में पानी छोड़े जाने का ट्रायल 30 जुलाई को किया गया था। बताया जा रहा है तब जांच में सब ठीक पाया गया था। लेकिन जब विधिवत सिंचाई के लिए पानी छोड़ा गया तो जांच क्यों नहीं की गई? विभागीय जांच अगर आगे बढ़ी तो मुख्य अभियंता से लेकर अन्य कनीय अभियंताओं को जवाब तो देना ही होगा।