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आदिवासियों का एक ही बार बनेगा जाति प्रमाणपत्र, आजीवन रहेगा मान्य Ranchi News

Jharkhand. झारखंड के जनजातीय समुदाय से आनेवाले लोगों का अब एक ही बार जाति प्रमाणपत्र बनेगा जो आजीवन मान्य होगा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 11:42 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 08:13 PM (IST)
आदिवासियों का एक ही बार बनेगा जाति प्रमाणपत्र, आजीवन रहेगा मान्य Ranchi News
आदिवासियों का एक ही बार बनेगा जाति प्रमाणपत्र, आजीवन रहेगा मान्य Ranchi News

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड के जनजातीय समुदाय से आनेवाले लोगों का अब एक ही बार जाति प्रमाणपत्र बनेगा, जो आजीवन मान्य होगा। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग जाति प्रमाणपत्र के लिए परेशान हैं। अगर खतियान में उनका नाम नहीं है तो अफसर ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामसभा तथा शहरी क्षेत्रों में वार्ड समितियों की अनुशंसा के आधार पर प्रमाणपत्र निर्गत करें। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जाति प्रमाणपत्र नहीं बनने की समस्या अब किसी भी कीमत पर राज्य मुख्यालय तक नहीं पहुंचनी चाहिए।

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अफसर यह सुनिश्चित करें कि प्रमाणपत्र के लिए किसी को बार-बार कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़े। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट बिल्डिंग के नए सभागार में राज्य के बीडीओ और सीओ के लिए आयोजित कार्यशाला में संबंधित निर्देश जारी किए। मुख्यमंत्री ने इसी तरह किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना तथा मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की ओर भी बीडीओ और सीओ का ध्यान आकृष्ट कराया।

उन्होंने इन योजनाओं को गंभीरता से लेने तथा किसानों के आवेदन पर एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने अफसरों को मिशन मोड में कार्य करने तथा दलित और आदिवासी किसान पर विशेष फोकस करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को जुलाई में योजना की पहली तथा दुर्गा पूजा के समय दूसरी किस्त देने का लक्ष्य निर्धारित किया है, ताकि वे न खेती के लिए खाद, बीज व अन्य संसाधन जुटा सकें।

मानकी मुंडा, ग्राम प्रधान व डाकुआ को एक सप्ताह में दे प्रोत्साहन राशि

मुख्यमंत्री ने मानकी मुंडा, ग्राम प्रधान, डाकुआ, जोगमांझी समेत पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था में जुटे अन्य लोगों को सरकार द्वारा निर्धारित सम्मान राशि का भुगतान एक सप्ताह के अंदर करने को कहा है। इनकी पहचान के लिए उन्होंने संबंधित मुखिया, मानकी मुंडा, ग्राम प्रधान के अलावा अफसरों को अपने स्तर से जांच करने का निर्देश दिया। अंचलाधिकारियों को उन्होंने ऐसे छूटे हुए लोगों को चिह्नित करते हुए प्रोत्साहन राशि के लिए प्रस्ताव मांगा।

30 सितंबर तक गांव की योजनाओं को धरातल पर उतारने का टास्क

मुख्यमंत्री ने ग्रामसभा से अनुमोदित योजनाओं को अभियान चलाकर 30 सितंबर तक धरातल पर उतारने का टास्क प्रखंड विकास पदाधिकारियों को सौंपा। उन्होंने निर्धारित अवधि में हर स्वीकृत योजना पर काम करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर लोग असंतुष्ट होते हैं तो सरकार बदनाम होती है। उन्होंने कहा कि अफसर शासक नहीं सेवा भाव से काम करें। यहां लालफीताशाही नहीं चलेगी। लोकतंत्र में शासन, प्रशासन और जनता के बीच मधुर संबंध होना चाहिए।

सीओ के छलक आए आंसू, मुख्य सचिव ने बंधाया ढांढस

सभागार में उस समय खामोशी छा गई, जब अपनी बात रखते हुए साहिबगंज के सीओ विजय कुमार रो पड़े। इस पर मुख्य सचिव डीके तिवारी ने उन्हें ढांढस बंधाया और पानी की ग्लास दिया। सीओ ने कहा कि उनके पिता की तबियत खराब हो गई, परंतु नौकरी के कारण वे उनकी अपेक्षित सेवा नहीं कर सकें। इस बीच उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि इस घटना ने उन्हें विचलित कर दिया। इस पीड़ा को कम करने के लिए उन्होंने वृद्धों की सेवा का प्रण लिया। उन्होंने चार बुजुर्गों की सेवा का जिम्मा उठा रखा है।

सीओ को मिलेगी पेंशन स्वीकृत करने की शक्ति

अपनी बात रखते हुए एक सीओ ने वृद्धा, दिव्यांग और विधवा पेंशन की स्वीकृति का आदेश सीओ को देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह प्रक्रिया एसडीओ स्तर पर पूरी होती है। अगर यह शक्ति सीओ को दे दी जाए तो लाभुक बेवजह की भागदौड़ से बच सकेंगे और पेंशन स्वीकृत करने के मामले में तेजी आएगी। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले में मुख्य सचिव को संज्ञान लेने तथा यह अधिकार सीओ को देने से संबंधित आदेश जारी करने को कहा।

मुख्यमंत्री ने बीडीओ को दिए निर्देश

- 14वें वित्त आयोग की राशि से ली जा रही योजनाओं को समय पर करें पूरा।

- सौर ऊर्जा आधारित पेयजल योजना तथा पेबर्स ब्लॉक सड़क निर्माण का कार्य करें पूरा।

- मानकों के अनुरूप सभी गांवों में स्ट्रीट लाइट लगाने की करें कार्रवाई।

मुख्यमंत्री ने सीओ को दिए निर्देश

- दाखिल खारिज के कार्य में लाएं तेजी। ऑनलाइन लगान भुगतान संदिग्ध जमाबंदी, भू मापी सहित अन्य कार्यों का समय पर करें निपटारा।

-  पैतृक/पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के आधार पर सुनिश्चित करें दाखिल खारिज की प्रक्रिया।

- टाना भगत की भूमि का दाखिल खारिज और उनके बच्चों के कौशल विकास पर करें फोकस।

- खतियान उपलब्ध नहीं होने पर संबंधित मामलों का करें भौतिक सत्यापन। अन्य कागजात से मिलान कर जारी करें रसीद, लें लगान।


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