World Cancer Day: फैसल ने लड़ी कैंसर से जबरदस्त जंग, जानिए इनकी कहानी
World Cancer Day. कैंसर से घबराएं नहीं। डटकर मुकाबला करें। चिकित्सकों की सलाह लें। यह संदेश दे रहे हैं कैंसर सर्वाइवर वरिष्ठ पत्रकार फैसल अनुराग।
रांची, [प्रभात गोपाल झा]। कैंसर रोग से घबराएं नहीं। डटकर मुकाबला करें। चिकित्सकों की सलाह लें। आधुनिक मेडिकल प्रणाली में काफी हद तक इलाज संभव है। यह कहना है वरिष्ठ पत्रकार फैसल अनुराग का। वह आज कैंसर के खिलाफ लगभग जंग जीतकर खुद दूसरे लोगों को जागरूक कर रहे हैं। आइए जानते हैं कैंसर से लड़ाई की कहानी खुद फैसल अनुराग की जुबानी। 2017 में डायग्नोस हुआ कैंसर फैसल कहते हैं - मुझे रक्त कैंसर का एक रूप लिम्फोमा नॉन हॉजकिंग को 2017 में डायग्नोस किया गया।
इसके बाद दिल्ली जाकर एम्स में इलाज शुरू कराया गया। आठ कीमोथेरेपी हो चुकी है। अब पहले से हालत में सुधार है, तो आहिस्ते-आहिस्ते जिंदगी पटरी में लौट रही है। दवाइयां दी गई हैं, जिससे प्रतिरोधक क्षमता और ताकत बढ़ सके। नहीं हारी हिम्मत, परिवार का मिला सहारा मैंने रक्त कैंसर डायग्नोस होने के बाद हिम्मत नहीं हारी। मुझे मेरे परिवार ने शुरू से सहारा दिया और कैंसर के खिलाफ जंग लड़ने को प्रेरित किया। मेरे भाइयों, दामाद और बेटियों की मदद से आज वर्तमान स्वरूप में लौट सका हूं। फिर से जिंदगी जी रहा हूं।
दिल्ली में रहनेवाले भाई और उनके परिवार का विशेष तौर पर सहारा मिला। उन्होंने दिन-रात सेवा की। मरीज का परिवार रखे हिम्मत मैं यह समझता हूं कि कैंसर का पता चलने पर परिवार और मरीज दोनों ही हिम्मत छोड़ चुके होते हैं। मेरी हिम्मत तो मेरे डॉक्टर भाई ने बढ़ाई। दिल्ली के एम्स में भी चिकित्सकों ने हौसला बढ़ाया और कहा कि अगर आप अंदर से मजबूत रहेंगे, तो उतनी ही जल्दी ठीक होंगे। आज की तारीख में जितने भी कैंसर हैं, तो उसमें 80 फीसद कैंसर पूरी तरह ठीक हो रहे हैं। इसके लिए मेडिकल साइंस ने दवाइयां बना दी हैं। अगर मरीज शुरुआती दौर में ही चिकित्सक के पास पहुंच जाता है, तो उसके बचने की संभावना बढ़ जाती है।
अगर किसी व्यक्ति को शरीर में परिवर्तन नजर आए, तो तत्काल किसी बेहतर संस्थान में ऑन्कोलॉजिस्ट से संपर्क करें। रिम्स में ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट हो दुरुस्त मुझे हर तीन महीने में एम्स रिव्यू के लिए जाना पड़ता है। मेरा मानना है कि रिम्स के ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट को दुरुस्त करना चाहिए। यहां सारे संसाधन हैं। यहां पर एक्सपर्ट्स बहाल हों। दिल्ली के एम्स के ही पार्ट डॉ. भीम राव अंबेडकर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर अस्पताल जैसा संस्थान यहां विकसित किया जाए।
मैंने दिल्ली में गिरिडीह के एक व्यक्ति को देखा, जिन्होंने अपनी पत्नी के कैंसर के इलाज के लिए घर को भी बेच दिया था। यहां पर ऐसा मेडिकल सिस्टम हो कि किसी भी व्यक्ति को बाहर इलाज के लिए नहीं जाना पड़ा और किसी प्रकार की आर्थिक तंगी नहीं हो। यहां से बड़ी संख्या में लोग मुंबई, दिल्ली और वेल्लोर इलाज के लिए जाते हैं। बीपीएल और एपीएल के मरीजों को तत्काल सहायता राशि मुहैया करायी जानी चाहिए।