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विभागों ने नहीं दिया 29449 करोड़ का हिसाब

अकेले छह विभागों ने नहीं दिया 10171 करोड़ रुपये का हिसाब -सीएजी की नसीहत, यूसी के ि

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 08:37 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 08:37 AM (IST)
विभागों ने नहीं दिया 29449 करोड़ का हिसाब
विभागों ने नहीं दिया 29449 करोड़ का हिसाब

-अकेले छह विभागों ने नहीं दिया 10171 करोड़ रुपये का हिसाब

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-सीएजी की नसीहत, यूसी के लिए निर्धारित करें समयसीमा राज्य ब्यूरो, रांची : केंद्र व राज्य संपोषित विभिन्न योजनाओं के मद में भारी-भरकम राशि लेने के बाद समय पर उसका हिसाब नहीं देना सरकार के विभागों की पुरानी आदत है। योजना सह वित्त और महालेखाकार के बार-बार दिशानिर्देश के बावजूद यह स्थिति बनी हुई है। सरकार के विभिन्न विभागों ने मार्च 2017 तक इस मद में 29,449.52 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिया था। सीएजी की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार विभागों ने वित्तीय वर्ष 2014-15 तक 4748 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिया था। 2015-16 में बकाये की इस राशि में 11981 करोड़ तथा 2016-17 में 12720 करोड़ और जुड़ गए। सीएजी ने बकाये में इजाफा की मूल वजह केंद्र सरकार के उस निर्णय को माना है, जिसमें सरकार के विभिन्न प्राधिकारों को राशि का हस्तांतरण सीधे न कर राज्य सरकार के माध्यम से किया जाने लगे। सीएजी ने इसी तरह झारखंड सरकार द्वारा कोषागार संहिता नियम में 2015 में दी गई ढील को भी इसकी वजह करार दिया है।

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इनसेट

छह विभागों पर सर्वाधिक बकाया :

मानव संसाधन विभाग : 2509.26

ऊर्जा विभाग : 2204.44

शहरी विकास विभाग : 2191.98

नगर विकास विभाग : 1551.57

कल्याण विभाग : 1038.08

पंचायती राज विभाग : 675.51

नोट : आंकड़े करोड़ रुपये में।

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पीएल खाते में आठ वर्षो से यूं ही पड़े रहे 14 हजार करोड़

31 मार्च 2017 तक सरकार के विभागों के 155 व्यक्तिगत बही खातों में 9488.40 करोड़ रुपये पड़े हुए थे। इस बकाये में आगे चलकर 4270.43 करोड़ और जुड़ गए। 14 पीएल खातों की जांच के दौरान पाया गया कि सात संस्थानों के खाते में 285.82 करोड़ रुपये तीन से आठ वर्षो तक पड़ा रहा।

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