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झारखंड में बूढ़े बंदियों की रिहाई में बाधक बने सख्त कानून

महात्मा गांधी की जयंती पर दो अक्टूबर को झारखंड में चंद बंदी ही छूटेंगे। ऐसे में जेलों पर बढ़े बंदियों के लोड नहीं के बराबर कम होंगे।

By Edited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 07:56 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 12:54 PM (IST)
झारखंड में बूढ़े बंदियों की रिहाई में बाधक बने सख्त कानून
झारखंड में बूढ़े बंदियों की रिहाई में बाधक बने सख्त कानून

रांची। बूढ़े बंदियों की रिहाई में सख्त कानून बाधक बन रहे हैं। महात्मा गांधी की जयंती पर दो अक्टूबर को पूरे प्रदेश में चंद बंदी ही छूटेंगे। ऐसे में जेलों पर बढ़े बंदियों के लोड नहीं के बराबर कम होंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद जिन बूढ़े बंदियों ने जेल से छूटने का विचार बनाया था, यह उनका सपना ही रह जाएगा। रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद 60 साल के ऊपर के ऐसे 129 बंदी हैं, जिनकी रिहाई की आस जगी तो थी, लेकिन रिहाई की शर्तों को वे पूरा नहीं कर पा रहे थे। इनमें इक्का दुक्का बंदी ही रिहाई की शर्तों को पूरा कर रहे हैं।

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गांधी जयंती के मौके पर छोड़े जाने वाले बंदियों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो आदेश निर्गत किया है, उसके अनुसार उम्रकैद के वैसे बंदी जो 14 साल की सजा काट चुके हैं, लाचार हैं, सामान्य मामले में बंद हैं, जिन्हें छुड़ाने वाला कोई नहीं है, उन्हें चिह्नित कर छोड़ना है। इनकी संख्या प्रदेश की जेलों में बेहद कम है। वैसे लाचार बंदी, जो हमेशा बीमार रहते हैं, अस्पताल में भर्ती रहते हैं, लगातार दवाइयां खाते हैं, लेकिन न तो 50 फीसद सजा काटे हैं और न हीं उम्र कैद के 14 साल को पूरा किए हैं, वे नहीं छूट सकेंगे। ऐसे बंदियों को जेल से छूटने के लिए अपनी मौत का इंतजार है।

पूरे प्रदेश में सिर्फ 15 बंदियों को छोड़ने की ही आस बची है
पूरे प्रदेश में गांधी जयंती के मौके पर सिर्फ 15 बंदियों को ही छोड़ने की आस बची है। पिछले दिनों राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में 19 बंदियों की सूची रखी गई थी, जिनमें चार बंदियों का नाम कट गया था। अब 15 बंदियों के नामों की अनुशंसा छोड़ने के लिए मुख्यमंत्री से की गई है। इनमें भी एक बंदी बीएसएफ का बंदी है, जिसके लिए बीएसएफ से मंतव्य मांगा गया है। मुख्यमंत्री की अनुशंसा के बाद उक्त सूची राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजी जाएगी, जिसके बाद ही सूची फाइनल होगी।

राज्य में सात केंद्रीय कारा, जहां रहते हैं उम्रकैद के बंदी
राज्य में सात केंद्रीय कारा हैं, जहां उम्र कैद के बंदी, बूढ़े बंदी रहते हैं। इन केंद्रीय कारा में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार, केंद्रीय कारा घाघीडीह जमशेदपुर, केंद्रीय कारा दुमका, केंद्रीय कारा पलामू, जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग, केंद्रीय कारा देवघर व केंद्रीय कारा गिरिडीह शामिल हैं।

गांधी जयंती पर छूटने वाले बंदियों के लिए क्या हैं शर्तें
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर देशभर में 60 साल से ऊपर के वैसे बंदी को छोड़ने का आदेश हुआ है जो सामान्य अपराध के बंदी हैं, लाचार भी हैं और 50 फीसद से ज्यादा सजा काट चुके हैं। संगीन अपराध (हत्या, राजद्रोह, देश द्रोह, एनआइए व सीबीआइ के केस वाले बंदी, दुष्कर्म हत्या, पोक्सो आदि) वाले बंदी को छोड़ने का कतई आदेश नहीं हुआ है। ऐसे में प्रदेश की जेलों में सामान्य अपराध के 60 साल से उपर के बंदी भी गिने-चुने हैं।

तीन चरणों में छूटेंगे बंदी
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर बंदियों को छोड़ने का विचार हुआ है। इसके तहत बंदियों को तीन चरणों में छोड़ा जाएगा। दो अक्टूबर 2018 व दो अक्टूबर 2019 को गांधी जयंती पर तथा डांडी मार्च पर छह अप्रैल 2019 को बंदियों को छोड़ने का प्रस्ताव है। पहले चरण के लिए ही राज्य में सिर्फ 15 बंदियों का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजा गया है। 


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