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यहां WhatsApp पर मिल रहा खून, मुंह ताक रहे लाइन में लगने वाले

RIMS Blood Bank. रिम्स ब्लड बैंक के बाहर लाइन में खड़े मरीज के परिजनों को निराश होकर लौटना पड़ रहा व्‍हाट्सएप ग्रुप से जुड़े बाहरी मरीजों को हो रहा लाभ।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 12:09 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 12:09 PM (IST)
यहां WhatsApp पर मिल रहा खून, मुंह ताक रहे लाइन में लगने वाले
यहां WhatsApp पर मिल रहा खून, मुंह ताक रहे लाइन में लगने वाले

रांची, जासं। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के ब्लड बैंक के भरोसे रोजाना वहां के सैकड़ोंं मरीज रहते हैं। बैंक में लाइन लगाकर खड़े रहने के बाद भी मरीजों के परिजनों को ब्लड नहीं मिल पाता जबकि ब्लड बैंक की डॉक्टर द्वारा बनाए गए एक वाट्सएप ग्रुप के जरिये लोगों को ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है। यह उन मरीजों के परिजनों के लिए रोड़ा बन रहा है जो घंटों ब्लड बैंक के बाहर लाइन लगाकर खड़े होकर अपने नंबर आने का इंतजार करते हैं।

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वैसे यह ग्रुप ब्लड बैंक से जुड़े उन संस्थाओं के लिए बनाया गया है जो लगातार कैंप लगाते हैं। इस पर कैंप से जुड़ी शिकायतें, तिथि का निर्धारण व अन्य समस्याओं को बताना है, लेकिन यह अब ब्लड सप्लाई का ग्रुप बन गया है। इसका फायदा रिम्स के मरीजों को कम और बाहरी मरीजों को ज्यादा मिल रहा है।

ग्रुप से जुड़े हैं कई संगठन
रिम्स ब्लड बैंक के एक चिकित्सक द्वारा यह ग्रुप पांच फरवरी को बनाया गया है। इस ग्रुप में अनेक समाजसेवी संस्थाओं के लोग, ब्लड कैंप लगाने वाली संस्थाओं के साथ कई गण्यमान्य लोग शामिल हैं। इस ग्रुप के सदस्यों द्वारा किसी को ब्लड की जरूरत पडऩे पर ग्रुप में सिर्फ मरीज का रिक्यूजिशन, ब्लड सैंपल व टोकन नंबर भेजने पर परिजनों को ब्लड उपलब्ध करा दिया जाता है। इस कारण रिम्स में भर्ती मरीजों को परेशानी होती है।

रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. अनिल कुमार की यूनिट में भर्ती मरीज के परिजन सोहन महतो ने बताया कि गुरुवार की शाम डॉक्टर ने ब्लड चढ़ाने की बात कही थी। रिक्यूजिशन और सैंपल जमा करने के बाद भी ब्लड नहीं मिला। शुक्रवार को शाम में ब्लड मिला। वहीं एक अन्य मरीज ने किसी संस्था के सदस्य से बात की उसे वहीं से आधे घंटे के भीतर खून उपलब्ध करा दिया गया।

इस ग्रुप की सुचना मुझे नहीं है। लेकिन अगर जिस उद्देश्य से ग्रुप बनाया गया है उसके अलावा दूसरा काम हो रहा है तो यह गलत है। इसका पता लगाकर ग्रुप को जल्द बंद कराया जाएगा। -डॉ. डीके सिंह, निदेशक, रिम्स।


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