नेत्रहीनों की आंखों को नहीं मिल रही रोशनी
रांची : रिम्स भले ही नेत्रहीनों को नई रोशनी देने के लिए तत्पर और तैयार है। लेकिन, नेत्रदान के अभाव के कारण यह काम संभव नहीं हो पा रहा है। कई नेत्रहीन इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें रोशनी नहीं मिल पा रही है।
रांची : रिम्स भले ही नेत्रहीनों को नई रोशनी देने के लिए तत्पर और तैयार है। लेकिन, नेत्रदान नहीं होने से कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सर्जरी अब भी अधर लटकी है। जागरूकता की कमी के कारण मृतक के परिजन आंख दान नहीं कर कर रहे हैं, जिससे जरूरमंदों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। अगर कॉर्निया रिम्स को मिलेगी, तो वह नेत्रहीनों को रोशनी मिल सकती है।
रिम्स को नेत्रदान के लिए 1500 आवेदन मिल चुके हैं, लेकिन इनमें से एक भी नेत्रदान के लिए रिम्स से किसी भी तरह का संपर्क मृतक के परिजनों द्वारा नहीं किया गया है। जागरूकता के अभाव में परिजन नेत्रदान के लिए रिम्स को किसी तरह की जानकारी नहीं देते हैं, जबकि नेत्रदान के लिए आवश्यक है कि मृतक के शरीर से कॉर्निया को मौत के छह घंटे के अंदर निकाल लेना चाहिए। अन्यथा कॉर्निया उपयोगी नहीं रह जाती है।
कतारबद्ध 50 नेत्रहीन
नई जिंदगी और नई रोशनी के इंतजार में 50 की संख्या में मरीज कतारबद्ध हैं, ताकि उनकी आंखों को नई रोशनी मिल सके। लेकिन, नेत्रदान के अभाव में कॉर्निया ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा है। दो महीने में इन 50 मरीजों का नंबर लगाया गया है। न जाने कितने ऐसे मरीज हैं, जो ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं।
चिकित्सकों के साथ आज बैठक करेगा प्रबंधन
यह रिम्स प्रबंधन को भी आभास है कि जागरूकता के अभाव में परिजन नेत्रदान की जानकारी नहीं दे रहे हैं। इसे देखते हुए सोमवार को चिकित्सकों के संग चिकित्सक ने बैठक बुलाई है। बैठक में उन्हें उनकी जिम्मेदा¨रयां बताई जाएंगी, ताकि अधिक से अधिक नेत्रदान हो सके। वहीं आम लोगों को भी जागरूक करने का काम रिम्स करेगा। इसके लिए भी रिम्स ने योजना बनाई है।
उपलब्ध हैं सर्जरी के सारे संसाधन
रिम्स कॉर्निया ट्रांसप्लांट को लेकर पूरी तरह तैयार है। इसके लिए आवश्यक सर्जरी उपकरणों की व्यवस्था कर ली गई है, ताकि सर्जरी के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न हो। दूसरी ओर एमके मीडिया उपकरण की व्यवस्था जल्द ही रिम्स में होगी। इसके लिए खरीदारी की प्रक्रिया चल रही है। इससे कॉर्निया को 72 घंटे तक प्रीजर्व करके रखा जा सकता है।