झारखंड में भाजपा को सरकार बनाने के लिए चाहिए सिर्फ 10 विधायक, जानिए कैसे
Jharkhand Politics प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंंह के कार्यकाल में गृह राज्य मंत्री रहे आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने की खबर से झारखंड की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस विधायकों पर मजबूत पकड़ रखने वाले आरपीएन सिंंह झारखंड की राजनीति में क्या गुल खिलाएंगे ?
रांची, डिजिटल डेस्क। झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह भाजपा में शामिल हो रहे हैं। इसे लेकर झारखंड में सियासत अचानक गरमा गई है। प्रदेश कांग्रेस के विधायकों पर आरपीएन सिंंह की गहरी पकड़ मानी जाती है। यहां कांग्रेस के विधायक हर कदम उनसे पूछ कर उठाया करते थे। ऐसे में झारखंड सरकार को लेकर कई तरह की आशंकाएं प्रबल हो गई हैं।
कई बार असहज महसूस कर चुके हैं कांग्रेस विधायक
झामुमो नेतृत्व वाली हेमंत सोरेन की सरकार में शामिल कांग्रेस विधायकों ने कई बार अपनी छटपटाहट दिखाई है, लेकिन हर बार आरपीएन सिंंह ने ही मामले को संभाल लिया था। अब उनके भाजपा में चले जाने से झामुमो सरकार पर लोगों को संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं।
बीस सूत्री समितियों को लेकर हुआ था पहले विवाद
मालूम हो कि कांग्रेस के ओबीसी विधायक झारखंड मुक्ति मोर्चा के राजनीतिक फैसलों पर कई बार नाराजगी जताते रहे हैं। कांग्रेस के विधायकों की नाराजगी की बात उस समय भी सामने आई थी जब राज्य के सभी जिलों में बीस सूत्रीय समितियों का गठन होना था। काफी जद्दोजहद के बाद झामुमो और कांग्रेस के बीच तनातनी खत्म हुई।
स्थानीय भाषाओं को लेकर हो चुका है विवाद
झारखंड की स्थानीय भाषाओं की सूची में भोजपुरी, मैथिली, अंगिका और मगही को स्थान देने और नहीं देने के सवाल पर भी कांग्रेस और झामुमो में तनातनी की बात सामने आ चुकी है। कांग्रेस के दबाव में ही हेमंत सोरेन सरकार ने इन भाषाओं को स्थानी भाषाओं की सूची में शामिल किया है। अब इस बात को लेकर हेमंत सोरेन का झामुमो में विरोध चल रहा है।
इस तरह भाजपा को चाहिए मात्र दस विधायक
झारखंड सरकार की मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो विधानसभा में वर्तमान में कांग्रेस के 16 विधायक हैं, झाविमो के दो विधायकों के विलय का प्रस्ताव स्पीकर की अदालत में विचाराधीन है। अभी उस पर फैसला होना बाकी है। वहीं भाजपा के 26 विधायक हैं और आजसू के दो। तीन निर्दलीय या छोटे दलों के विधायक भाजपा के पाले में हैं। ऐसे में 81 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को दस विधायक चाहिए सरकार बनाने के लिए।
भाजपा पहले ही कह चुकी है गिर जाएगी सरकार
उल्लेखनीय है कि भाजपा के तमाम बड़े नेता यह बात कई बार दोहरा चुके हैं कि हेमंत सोरेन की सरकार बहुत दिनों तक नहीं चलने वाली है। यह सरकार कभी भी गिर सकती है। खुद भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी इस बात को कई बार कह चुके हैं।
सबकी नजर अब कांग्रेस के विधायकों पर टिकी
झारखंड कांग्रेस के विधायकों पर जिस तरह से आरपीएन सिंंह की मजबूत पकड़ रही है, उससे भाजपा समेत हर दल में यह कयास लगाया जा रहा कि कांग्रेस के विधायक टूट कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इससे झारखंड सरकार अस्थिर हो सकती है। अब सबकी नजर कांग्रेस विधायकों पर टिकी हुई है।
अस्थिर सरकारों के लिए बदनाम रहा है झारखंड
मालूम हो कि झारखंड में सरकार अस्थिर रहने का लंबा इतिहास रहा है। रघुवर दास के नेतृत्व में बनी भाजपा की सरकार ही एकमात्र रही जो पांच साल चली। इससे पहले जितनी भी सरकारें बनी, वह पांच साल तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं। इतना ही नहीं यहां निर्दलीय विधायक रहे मधुकोड़ा के भी मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रहा है।
यूपी में मची भगदड़ की भरपाई कर रही भाजपा
उधर, झारखंड की मौजूदा सियासी घटनाक्रम पर भाकपा माले ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि उत्तरप्रदेश चुनाव में भाजपा में भगदड़ मचा हुआ है। उसकी भरपाई करने के लिए भाजपा ने यह कदम उठाया है। झारखंड कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंंह को भाजपा में शामिल कराया है। कांग्रेस के नेता भाजपा से मिलकर अंदर ही अंदर क्या साजिश रच रहे हैं, झामुमो को देखना चाहिए। मालूम हो कि झारखंड विधानसभा में भाकपा माले का एक विधायक है।
झारखंड विधानसभा में दलीय स्थिति
- झारखंड मुक्ति मोर्चा -- 30
- भारतीय जनता पार्टी -- 25
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस -- 16
- झारखंड विकास मोर्चा -- 03
- आजसू पार्टी -- 02
- नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी -- 01
- सीपीआइ एमएल -- 01
- राष्ट्रीय जनता दल -- 01
- निर्दलीय -- 02